भारत में इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग (IPO) गतिविधियों ने साल 2025 की पहली छमाही में मजबूती दिखाई है। EY की एक रिपोर्ट के अनुसार इस अवधि में कुल 108 सौदे हुए, जिनसे 4.6 अरब डॉलर की पूंजी जुटाई गई। भारतीय आरंभिक सार्वजनिक पेशकश (आईपीओ) वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा एक निजी कंपनी पहली बार जनता को अपने शेयर बेचती है, जिससे वह सार्वजनिक रूप से कारोबार करने वाली कंपनी बन जाती है।
पिछले वर्ष की तुलना में 30 प्रतिशत की गिरावट
रिपोर्ट में बताया गया कि सौदों की संख्या में पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में 30 प्रतिशत की गिरावट हुई। इसके बावजूद यह बाजार के लचीलेपन को दर्शाता है। हालांकि, फंडरेजिंग में केवल 2% की मामूली गिरावट दर्ज की गई है, जो बाजार की स्थिरता को दर्शाता है।
वैश्विक अनिश्तिता और भू-राजनीतिक तनाव का पड़ा असर
EY की रिपोर्ट के अनुसार, यह प्रवृत्ति जारीकर्ताओं और निवेशकों दोनों के अधिक चयनात्मक दृष्टिकोण को दर्शाती है। इसमें कंपनियां अनुकूल बाजार समय और मूल्यांकन रणनीतियों को प्राथमिकता दे रही हैं। वैश्विक अनिश्चितताओं और भू-राजनीतिक तनावों के कारण कई प्रमुख कंपनियों ने अपनी लिस्टिंग को स्थगित कर दिया है या मूल्यांकन पर पुनर्विचार किया है। इस रिपोर्ट से स्पष्ट है कि भारतीय आईपीओ बाजार में गुणवत्ता और स्थिरता बनी हुई है, भले ही सौदों की संख्या में कमी आई हो।
दूसरी छमाही में बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद
इसमें कहा गया कि बाजार सहभागियों को 2025 की दूसरी छमाही में बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद है। यह स्थिर बाजार के विकास को मजबूत करने के उद्देश्य से सहायक सरकारी पहलों से प्रेरित होगा। घरेलू आर्थिक सुधार से आईपीओ बाजार में तेजी की संभावना है क्योंकि निवेशक भावना मजबूत हो रही है और बाजार में अस्थिरता कम हो रही है।