जसवंतनगर(इटावा)।जैनधर्माचार्य,पुष्पगिरी प्रणेता और गणाचार्य श्री 108 पुष्पदंत सागर जी महाराज  ने यहां कहा है कि मनुष्य अपने अंदर व्याप्त बुराइयों को यदि एक-एक कर निकालने का प्रयास करे,तो एक न एक दिन वह स्वयं भगवान बन सकता है।
         कोई 30 वर्ष के बड़े अंतराल के बाद बुधवार सुबह जसवंतनगर पहुंचे पुष्पदंत सागर जी महाराज ने यह गूढ़ ज्ञान यहां जैन भवन में बड़ी संख्या में जुटे जैन और अजैन धर्मावलंबियों के बीच अपने मंगल प्रवचनो के दौरान दिया।
    उन्होंने धर्म की व्याख्या में कहा कि  हम भाग्यशाली और पुण्य प्रतापी हैं कि हम जैन धर्म और जैन कुल में जन्मे है या जैनधर्म के पथानुरागी हैं।हमें अपनी स्वयं की आत्मा की पहचान करते ‘जिन’ मार्ग पर दृढ़ इच्छा शक्ति के साथ चलना चाहिए।   प्रतिदिन कोई न कोई एक बुराई को अपने जीवन से निकालने की चर्चा के दौरान उन्होंने यह भी कहा कि 24 घंटे में  1 मिनट को अपने व्यतीत हुए  पूरे दिन का आंकलन करने के लिए हमे अवश्य ही  स्वयं को देना चाहिए।  उस एक मिनट में  यह सोचना विचारना चाहिए कि हमने किसके साथ बुरा और किसके साथ अच्छा किया?..  देश,धर्म और समाज के लिए क्या योगदान दिया?
         उन्होंने बताया कि इन छोटी-छोटी आदतों से ही जीवन में अच्छाइयां आती हैं और जीवन सच्ची समाधि की ओर बढ़ता है। अपने शरीर में विराजित आत्मा की ओर भी हमे झांककर देखना होगा। उससे प्रेम करते हुए हमे उस आत्मा रूपी परमात्मा की आराधना और पूजा करनी चाहिए।
   उन्होंने लोगों को सचेत करते कहा कि हम फालतू की चीजों में तो लगे रहते हैं। अपने स्वभाव अपने लक्ष्यों को नही पहचान पाते।
    अपने धाराप्रवाह 30 मिनटों के प्रवचन में  उन्होंने अंत में कहा कि “जसवंतनगर” के नाम में ही ‘जस’ है,ऐसी धर्म नगरी में धर्म प्रभावना सदैव होती ही रहनी चाहिए। यहां के लोग बहुत पुण्यशाली है,जो धर्म मार्ग में लगे रहते हैं।
    अपने मंगल प्रवचन के बाद महाराज जी आहार पर निकले और विधि अनुसार उनका आहार  कूंचा गली निवासी प्रमोदकुमार, आमोद कुमार  जैन के  यहां पूरे जैन विधि विधान से हुआ। आहार के उपरांत जैन भवन को जाते वक्त महाराज जी का मंगल प्रवेश  शिवकांत  आराध्य जैन के घर पर बड़े ही भाग्य से हुआ। वहां सभी परिजनों ने महाराज जी का पद प्रक्षालन करके आशीर्वाद प्राप्त किया।
*वेदव्रत गुप्ता

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