Wednesday , October 23 2024

बिज़नेस

सीएनजी की कीमतों में हो सकती है 4-6 रुपये की बढ़ोतरी, हालात संभालने के लिए सरकार उठा सकती है ये कदम

सरकार ने शहरी खुदरा सप्लायर्स को सस्ती सीएनजी में कटौती की है। ऐसे में माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में सीएनजी की कीमतों में चार से छह रुपये की बढ़ोतरी हो सकती है। सूत्रों के हवाले से यह जानकारी सामने आई है। सूत्रों का कहना है कि हालांकि सरकार सीएनजी की बढ़ती कीमतों को उत्पाद शुल्क में कटौती करके नियंत्रित करने की कोशिश कर सकती है। सरकार ने प्राकृतिक गैस की आपूर्ति में 20 प्रतिशत की कमी की है।

गैस की सप्लाई में हो रही कटौती
अरब सागर से लेकर बंगाल की खाड़ी तक भारत में जमीन के नीचे से और समुद्र तल से पाइपों के जरिए प्राकृतिक गैस की सप्लाई होती है। इस प्राकृतिक गैस एक तरह का कच्चा माल होता है, जिसे ऑटोमोबाइल में इस्तेमाल के लिए सीएनजी और घरों में रसोई गैस के रूप में इस्तेमाल करने के लिए बदला जाता है। लेगेसी फील्ड से उत्पादित होने वाली गैस को शहरों के खुदरा गैस सप्लायर्स को भेजा जाता है। इस सप्लाई में पांच प्रतिशत सालाना की कटौती की जा रही है। घरेलू रसोई गैस की सप्लाई स्थिर है, ऐसे में उसमें बढ़ोतरी की संभावना नहीं है, लेकिन चूंकि सप्लायर्स के पास गैस की कम सप्लाई हो रही है, जिसके चलते उन्हें महंगी सीएनजी खरीदनी पड़ रही है। यही वजह है कि आने वाले दिनों में सीएनजी की कीमतें बढ़ने की आशंका है।

सरकार कर सकती है उत्पाद शुल्क में कटौती
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, जल्द ही महाराष्ट्र में चुनाव होने हैं और कुछ ही माह में दिल्ली में भी विधानसभा चुनाव होंगे। ऐसे में सरकार बढ़ती कीमतों को रोकने के लिए सीएनजी पर उत्पाद शुल्क में कटौती कर सकती है। मुंबई और दिल्ली जैसे शहरों में सीएनजी आधारित वाहनों की बड़ी संख्या है। यही वजह है कि सरकार नहीं चाहेगी कि कीमतों में बढ़ोतरी से मतदाता नाराज हों। ऐसे में इसकी भी चर्चा है कि सरकार हालात को संभालने के लिए उत्पाद शुल्क घटा सकती है।

भारत से टकराव के बाद बढ़ रहीं मालदीव की मुश्किलें, दिल्ली से मदद मिलने के बावजूद गहराया आर्थिक संकट

मालदीव में आर्थिक संकट लगातार गहराता जा रहा है। दरअसल, अपनी मुद्रा की लगातार बदल रही स्थिति और पर्यटकों की कमी के चलते देश में विदेशी मुद्रा की भारी कमी पैदा हो गई है। ऐसे में मालदीव ने अब विदेशी मुद्रा को लेकर नए नियम तैयार किए हैं। इसके तहत अब देश में विदेशी मुद्रा के जरिए लेनदेन के तरीकों को सीमित किया जाएगा। साथ ही पर्यटन संस्थाओं और बैंकों में विदेशी मुद्रा विनिमय नियंत्रण अनिवार्य रूप से लागू किया जा रहा है।

गौरतलब है कि मालदीव की अर्थव्यवस्था बीते कुछ दिनों में नकारात्मक रूप से प्रभावित हुई है। खासकर भारत से टकराव के कारण मालदीव की आर्थिक स्थिति को तगड़ा झटका लगा है। दरअसल, मालदीव से ‘भारत को बाहर करने की नीति’ (इंडिया आउट कैंपेन) चलाकर सत्ता में आए मोहम्मद मुइज्जु की सरकार की नीतियों के चलते भारतीय पर्यटकों के मालदीव जाने में भारी कमी आई है। देश की अर्थव्यवस्था के लिए सबसे जरूरी पर्यटन सेक्टर पर प्रभाव पड़ने की वजह से इस द्वीप देश की आर्थिक स्थिति भी बिगड़ी है।

बीते महीने ही मालदीव पर इस्लामिक बॉन्ड के भुगतान में देरी के कारण डिफॉल्टर होने का खतरा पैदा हो गया था। हालांकि, भारत की तरफ से ब्याज रहित 5 करोड़ डॉलर के कर्ज के चलते मालदीव इस संकट से निकलने में सफल हुआ था।

हालांकि, लगातार घटते विदेशी मुद्रा भंडार के चलते मालदीव का आयात खर्च काफी ज्यादा हुआ है। ऐसे में मालदीव के केंद्रीय बैंक और मालदीव के मौद्रिक प्राधिकरण (एमएमए) ने 1 अक्तूबर को कुछ नए विनियम लागू किए हैं। इसके तहत पर्यटन उद्योग द्वारा विदेशी मुद्रा के जरिए जुटाई गई राशि को स्थानीय बैंकों में जमा कराना जरूरी है।

मालदीव के मौद्रिक प्राधिकरण, जिसने अगस्त में ही डॉलर के खर्च को लेकर सख्त सीमा लगा दी थी, उसने इस बार डॉलर की कमी के चलते स्थानीय धिवेही भाषा में नए नियमों का एलान किया। इसके तहत मालदीव में सभी लेनदेन मालदीव रुफिया में करना जरूरी है। सिर्फ उन्हीं लेनदेन को छूट दी गई है, जिन्हें विदेशी मुद्रा में करना अनिवार्य है।

ब्याज दर 9% से अधिक होने पर मकान खरीदारी होगी प्रभावित, 2029 तक 1.04 लाख करोड़ डॉलर का आवासीय बाजार

भारत की आर्थिक वृद्धि रियल एस्टेट क्षेत्र में तेजी से विस्तार को बढ़ावा दे रही है। आवासीय बाजार हर साल 25.6 फीसदी की दर से बढ़ रहा है, जिसके 2029 तक बढ़कर 1.04 लाख करोड़ डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है। हालांकि, इस वृद्धि में महंगे होम लोन बड़ी बाधा बन सकते हैं। फिक्की और एनारॉक के ‘मकान खरीदार धारणा सर्वेक्षण’ सर्वे में शामिल करीब 90 फीसदी उत्तरदाताओं का कहना है कि होम लोन के 9 फीसदी से अधिक होने पर मकान खरीदने की उनकी इच्छा प्रभावित हो सकती है। सर्वे में दावा किया गया है कि 71 फीसदी से अधिक लोग मानते हैं कि अगर ब्याज दर 8.5 फीसदी से कम रहती हैं, तो खरीदारी का फैसला प्रभावित नहीं होगा। 54 फीसदी ने कहा, ब्याज दर 8.5 फीसदी से 9 फीसदी के बीच होने पर उन्हें अपनी पसंद पर विचार करना पड़ेगा।

98% चाहते हैं…समय पर पूरी हो परियोजना
करीब 98 फीसदी मकान खरीदारों की प्राथमिकता समय पर परियोजनाओं का पूरा होना है। 93 फीसदी लोग बेहतर निर्माण गुणवत्ता चाहते हैं, जबकि 72 फीसदी उत्तरदाता अच्छे हवादार मकान खरीदना चाहते हैं।

रियल एस्टेट निवेश का पसंदीदा क्षेत्र
59 फीसदी से अधिक लोगों के लिए रियल एस्टेट निवेश का पसंदीदा क्षेत्र है। 67 फीसदी से अधिक लोग खुद के इस्तेमाल के लिए मकान खरीदना चाहते हैं। 35 फीसदी से अधिक खरीदारों के लिए 45-90 लाख का बजट पसंदीदा विकल्प है। 28 फीसदी 1.5 करोड़ तक के मकान खरीदना चाहते हैं।

उद्योग की सफलता के लिए विश्वास महत्वपूर्ण
फिक्की के कार्यक्रम में सेबी के कार्यकारी निदेशक प्रमोद राव ने कहा, उद्योग की दीर्घकालिक सफलता के लिए निवेशकों का विश्वास महत्वपूर्ण है। पारदर्शिता और कामकाज के तरीकों पर सेबी की नजर इस विश्वास को बनाए रखने में महत्वपूर्ण कारक रही है।

‘अधिक वीजा मांगों के कारण FTA पर नहीं किए हस्ताक्षर’, ब्रिटेन की पूर्व व्यापार मंत्री का बयान

ब्रिटेन की पूर्व व्यापार मंत्री केमी बेडेनोच ने दावा किया कि उन्होंने अधिक वीजा मांगों के कारण भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) को रोक दिया था। केमी अभी भारतीय मूल के पूर्व प्रधानमंत्री ऋषि सुनक की जगह कंजर्वेटिव पार्टी की प्रमुख बनने की दौड़ में हैं। ब्रिटिश मीडिया की खबरों में यह जानकारी दी गई।

बेडेनोच ने कहा, ‘एक वजह से एफटीए पर हस्ताक्षर नहीं हो पाए थे, वह यह थी कि भारतीय पक्ष ने प्रवासन के मुद्दे पर अधिक रियायतों की उम्मीद की थी।’ नाइजीरियाई मूल की नेता ने ‘द टेलीग्राफ’ से बातचीत में कहा, मैं जब व्यापार मंत्री थीं तो मैंने प्रवासन को सीमित करने के लिए प्रयास किए। लेकिन भारत के साथ एफटीए में वे बार-बार प्रवासन की बात कर रहे थे और मैंने इसके लिए मना किया। यही एक वजह थी कि हमने इस पर (एफटीए) हस्ताक्षर नहीं किए।

पूर्व मंत्रियों ने खारिज किया केमी का दावा
हालांकि, कुछ पूर्व कंजर्वेटिव मंत्रियों ने ‘द टाइम्स’ के साथ बातचीत में उनके दावों को यह कहते हुए खारिज किया कि बेडेनोच समझौते के पक्ष में थीं और उन्होंने कई दौर की वार्ताओं का संचालन किया। एक पूर्व मंत्री ने कहा, केमी किसी भी कीमत पर एक समझौता चाहती थीं और उन्हें लगता था कि जो आपत्तियां उठाई गईं हैं, वे गंभीर नहीं हैं। पूर्व मंत्री ने कहा, वास्तविकता यह थी कि सभी सौदों की ताकत भारतीय पक्ष के पास थी और वे बातचीत में हमसे अधिक मजबूत स्थिति में थे। हम हमेशा एक कमजोर स्थिति से शुरुआत कर रहे थे।

हालांकि, बेडेनोच के एक करीबी सूत्र ने इन दावों को खारिज किया और कहा कि भारत सरकार ने कंजर्वेटिक सरकार के साथ समझौता न करने का फैसला किया। उनका (भारतीय पक्ष) मानना था कि वे लेबर पार्टी के शासन में बेहतर शर्तों पर बातचीत कर सकते हैं। सूत्र ने कहा, केमी ऐसा कोई समझौता नहीं करना चाहती थीं जो ब्रिटेन के प्रवासन नियमों को बदलता। यह पूरी तरह से गलत है कि उन्होंने वीजा की बात की थी। भारत ने इसलिए पीछे हटने का फैसला लिया, क्योंकि उन्हें लगता था कि लेबर सरकार में वे छात्रों और सामाजिक सुरक्षा पर बेहतर सौदा करेंगे।

स्वास्थ्य बीमा को लेकर बड़ा फैसला, GST हटा सकती है सरकार, इस उम्र के लोगों को होगा फायदा

जीवन बीमा प्रीमियम और सीनियर सिटीजन के स्वास्थ्य बीमा को लेकर बड़ी खबर सामने आ रही है। केंद्र सरकार टर्म जीवन बीमा पॉलिसियों और वरिष्ठ नागरिकों के स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम में जीएसटी छूट दे सकती है। राज्य मंत्रिस्तरीय पैनल के अधिकांश सदस्यों ने आम आदमी को लाभ पहुंचाने के लिए करों में कटौती का समर्थन किया है।

एक ही दिन में बजाज ऑटो के शेयर 13% से ज्यादा टूटे, दिवाली से पहले इतनी बड़ी गिरावट, आखिर माजरा क्या है?

गुरुवार के कारोबारी सत्र के के बाद बजाज ऑटो के शेयर 13% से अधिक की गिरावट के साथ बंद हुए। कोरोना संकट यानी मार्च 2020 के बाद कंपनी के शेयरों में आई यह सबसे बड़ी गिरावट है। कंपनी के शेयरों में कमजोरी का सबसे बड़ा कारण त्यौहारी सीजन के दौरान उम्मीद से कम बिक्री का अनुमान है। दोपहर तीन बजकर 30 मिनट पर कंपनी के शेयर 1,523.45 अंकों यानी 13.11% की गिरावट के साथ 10,093.50 रुपये के भाव पर बंद हुए।

बजाज ऑटो के शेयरों में गिरावट पूरे दोपहिया वाहन उद्योग के लिए चिंता की खबर है। गुरुवार को हीरो मोटो कॉर्प के शेयर भी 3.39% कमजोर होकर 5,214.95 रुपये के भाव पर बंद हुए। टीवीएस मोटर कंपनी के शेयरों में भी 3.43% की गिरावट आई और यह 2,679 रुपये के भाव पर बंद हुआ।

त्योहारी सीजन में कम वाहनों वाहनों की बिक्री का अनुमान
बुधवार को विश्लेषकों से बातचीत के दौरान बजाज ऑटो के कार्यकारी निदेशक राकेश शर्मा ने बताया कि आगामी अक्टूबर-नवंबर त्योहारी सीजन के दौरान मोटरसाइकिल की बिक्री में केवल 1% से 2% की वृद्धि होने की उम्मीद है। यह उद्योग जगत के अनुमान 5% से 6% की वृद्धि से काफी कम है। संभावित रूप से उम्मीद से कमतर बिक्री अनुमानों से निवेशकों को निराशा हुई और उन्होंने बिकवाली की, वे त्योहारी सीजन से पहले मजबूत बिक्री की उम्मीद कर रहे थे।

ऐसा नहीं है कि केवल बजाज ऑटो के शेयरों में गिरावट दिखी, हीरो मोटोकॉर्प और टीवीएस मोटर जैसी प्रतिद्वंद्वी कंपनियों के शेयरों में भी लगभग 5% तक की गिरावट दर्ज की गई। बजाज ऑटो के प्रति निवेशकों के सतर्क रुख का असर पूरे बाजार की अवधारणा पर भी पड़ा।

बढ़ती महंगाई के कारण उपभोक्ता वस्तुओं की मांग में आ रही नरमी
जानकार मानते हैं कि बजाज ऑटो के शेयरों में तेज गिरावट से एक और संकेत मिलता है, वह यह कि त्योहारी सीजन के दौरान पारंपरिक रूप से मजबूत रहने वाली उपभोक्ता मांग इस साल सुस्त रह सकती है। भारतीय आमतौर पर त्योहारी सीजन के दौरान मोटरसाइकिल जैसे वाहनों की बड़ी खरीदारी करते हैं, लेकिन लगातार बढ़ती महंगाई खासकर, खाने-पीने के चीजों की कीमतों में वृद्धि के कारण उपभोक्ताओं के खर्च करने की क्षमता बुरी तरह प्रभावित हुई है। ऑटो सेक्टर के की बात करें तो खुदरा विक्रेताओं ने पहले ही अपनी रिपोर्ट में कहा है कि त्यौहारी सीजन के दौरान उपभोक्ता महंगी खरीदारी से बच रहे हैं, इसलिए उद्योग जगत को और अधिक सतर्क दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत है।

वैश्विक तनाव व फेड की ओर से ब्याज दर में कटौती की अटकलों के बीच सोना फिर रिकॉर्ड हाई पर, जानें भाव

भारत में सोने की कीमतें गुरुवार को ऐतिहासिक शिखर पर पहुंच गईं। मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) पर पीली धातु 76,899 रुपये प्रति 10 ग्राम के नए सर्वकालिक उच्च स्तर पर कारोबार करती दिखी। विशेषज्ञों का कहना है कि सोने की कीमतों में उछाल के कई कारण हैं। इनमें प्रमुख केंद्रीय बैंकों का नरम दृष्टिकोण, बॉन्ड यील्ड में नरमी और बढ़े हुए भू-राजनीतिक तनाव प्रमुख हैं।

केडिया एडवाइजरी के निदेशक अजय केडिया ने मीडिया से बातचीत में सोने की कीमतों में ऐतिहासिक वृद्धि के कारणों के बारे में बताया। उन्होंने कहा, “एमसीएक्स गोल्ड 76,899 रुपये के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया, क्योंकि प्रमुख केंद्रीय बैंकों के नरम दृष्टिकोण और बॉन्ड यील्ड में नरमी से बुलियन की मांग को बढ़ावा दिया है। फेडरल रिजर्व से इस साल अपने दो शेष निर्णयों में दरों में कटौती की उम्मीद है, जिसमें नवंबर में 25-आधार अंकों की कटौती की संभावना बढ़ रही है।”

उन्होंने आगे कहा, “अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव को लेकर अनिश्चितता और बुधवार को लेबनान पर इजरायल के हवाई हमलों के बाद मध्य पूर्व में फिर से तनाव बढ़ने से भी सोने की कीमतों में तेजी आई।” कोटक सिक्योरिटीज में कमोडिटी रिसर्च के एवीपी कायनात चैनवाला ने कहा कि वैश्विक स्तर पर सोने की कीमतों में भी तेजी देखी जा रही है।

कायनात चैनवाला ने कहा, “अमेरिकी ट्रेजरी यील्ड में गिरावट और भू-राजनीतिक तनाव के बीच मजबूत सुरक्षित-हेवन मांग के कारण कॉमेक्स सोने की कीमतों में उछाल आया। हालांकि, डॉलर के मजबूत होने के कारण कीमतें उच्च स्तरों से नीचे आ गईं। इसके बावजूद, मध्य पूर्व में बढ़े तनाव, खासकर लेबनान में हिजबुल्लाह पर इजरायल के हमलों के बाद, सुरक्षित-हेवन बोलियों ने गिरावट को सीमित करने में मदद की, जिससे कॉमेक्स सोना 0.5% बढ़कर $2,691.30 प्रति औंस पर बंद हुआ।”

पारसी धर्म में आसमान को सौंपा जाता है शव, समय के साथ बदल गई परंपरा

टाटा सन्स के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा का बुधवार की देर रात मुंबई में निधन हो गया। उनका अंतिम संस्कार मुबई में हुआ। रतन टाटा पारसी धर्म से ताल्लुक रखते हैं। लेकिन उनका अंतिम संस्कार पारसियों के पारंपरिक तरीके से इतर हुआ। उनका अंतिम संस्कार विद्युत शवदाह गृह में किया गया। इससे पहले करीब 45 मिनट तक उनके लिए प्रार्थना की गई। अंतिम संस्कार से पहले रतन टाटा को राज्य सरकार की ओर से गार्ड ऑफ ऑनर भी दिया गया।

हालांकि, पारसी रीति-रिवाज में अंतिम संस्कार की परंपरा अलग और काफी कठिन होती है। हिंदू धर्म में शव को अग्नि या जल को सौंपा जाता है, मुस्लिम और ईसाई समुदाय में शव को दफन कर दिया जाता है, लेकिन पारसी समुदाय में ऐसा नहीं होता है। पारसी लोग शव को आसमान को सौंप देते हैं, जिसे गिद्ध, चील, कौए खा जाते हैं।

आखिर पारसी संप्रदाय में अंतिम संस्कार कैसे किया जाता है? मौजूदा दौर में इस संप्रदाय को अंतिम संस्कार से जुड़ी कौन सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा है? रतन टाटा का अंतिम संस्कार अलग तरीके से क्यों होगा? आइए जानते हैं…

पारसी आसमान को क्यों सौंप देते हैं शव?
हिंदू धर्म में शव को अग्नि या जल को सौंपते हैं। मतलब शव को जलाया या जल में प्रवाहित कर दिया जाता है। कुछ जगहों पर शव को दफन करने की परंपरा भी है। वहीं, मुस्लिम व ईसाई धर्म में शव को धरती को सौंप दिया जाता है। मतलब दफन कर दिया जाता है। लेकिन, पारसी संप्रदाय में अंतिम संस्कार बिल्कुल अलग होता है। पारसी लोग अग्नि को देवता मानते हैं। इसी तरह जल और धरती को भी पवित्र मानते हैं। जबकि शव को अपवित्र माना जाता है। पारसी समुदाय का मानना है कि शव को जलाने, प्रवाहित करने या दफन करने से अग्नि, जल या धरती अपवित्र हो जाती है। ऐसा करने से ईश्वर की संरचना प्रदूषित होती है। इसलिए पारसी समुदाय में शव को आसमान को सौंप दिया जाता है। इसके लिए एक खास स्थान का चयन किया गया है।

फिर शव का क्या होता है? क्या है टावर ऑफ साइलेंस?
अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर पारसी लोग कैसे शव को आसमान को सौंपते हैं? दरअसल इसके लिए एक खास जगह का चयन किया गया है। उसे टावर ऑफ साइलेंस कहा जाता है। इसे दखमा भी कहते हैं। ये एक बड़ा सा गोलाकार कढ़ाईनुमा कूप होता है। इसमें शव को सूरज की रोशनी में पारसी लोग ले जाकर छोड़ देते हैं। जिसे बाद में गिद्ध, चील, कौए खा जाते हैं। दुनियाभर में पारसी समुदाय से जुड़े लोगों की आबादी करीब डेढ़ लाख है। इनमें से ज्यादातर मुंबई में रहते हैं। यही कारण है कि मुंबई के बाहरी इलाके में टावर ऑफ साइलेंस बनाया गया है।

वित मंत्री सीतारमण बोलीं- यूरोपीय संघ का प्रस्तावित कार्बन टैक्स मनमाना, भारत के निर्यात को होगा नुकसान

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को कहा कि यूरोपीय संघ का कार्बन सीमा समायोजन तंत्र (सीबीएएम) एकतरफा और मनमाना है। इसके कार्यान्वयन के बाद भारत के निर्यात को नुकसान पहुंचेगा।

सीतारमण एक शिखर सम्मेलन को संबोधित कर रही थीं। उन्होंने कहा, यूरोपीय संघ (ईयू) ने 1 जनवरी 2026 से अपने यहां आयात होने वाले स्टील, सीमेंट और उर्वरक सहित सात कार्बन-गहन क्षेत्रों पर कार्बन कर लगाने का फैसला किया है। इसके दायरे में इंजीनियरिंग सामान भी आएंगे। उन्होंने कहा, यह यूरोपीय संघ की ओर से पेश किया गया सीमा कर है। इस तरह के कदम व्यापार अवरोध पैदा करने वाले होते हैं।

उन्होंने कहा कि इसके खिलाफ, भारत ने यूरोपीय संघ के समक्ष कई बार अपनी चिंता व्यक्त की है। सरकार लेनदेन की लागत को कम करने के तरीकों पर भी विचार कर रही है। यूरोपीय संघ के इस निर्णय से भारतीय निर्यातकों को नुकसान होगा, क्योंकि भारत के लिए यूरोप शीर्ष निर्यात गंतव्यों में से एक है।

निर्मला सीतारमण ने कहा, 2023-24 में यूरोपीय संघ के साथ भारत का कुल व्यापार 137.41 अरब डॉलर था, जिसमें आयात 61.48 अरब डॉलर और निर्यात 75.93 अरब डॉलर था। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि इसकी संभावना बहुत कम है कि सीबीएएम के चलते भारत का यूरोपीय संघ के साथ मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) को अंतिम रूप देने में दिक्कत आएगी। उन्होंने कहा, हम 2030 तक कार्बन उत्सर्जन में कमी के लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।

इंटरनेट उपभोक्ताओं की संख्या बढ़कर 96.96 करोड़ पहुंची, दूरसंचार कंपनियों को हर ग्राहक से 8% अधिक कमाई

देश में इंटरनेट ग्राहकों की संख्या चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जून अवधि में तिमाही आधार पर 1.59 फीसदी बढ़कर 96.96 करोड़ पहुंच गई। जनवरी-मार्च तिमाही में देश में 95.44 करोड़ इंटरनेट ग्राहक थे। कुल 96.96 करोड़ ग्राहकों में 4.20 करोड़ लोग वायर के जरिये इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं, जबकि वायरलेस इंटरनेट सब्सक्राइबर्स की संख्या 92.75 करोड़ पहुंच गई है।

भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) की ओर से ‘इंडिया टेलीकॉम सर्विसेज परफॉर्मेंस इंडिकेटर’ रिपोर्ट में कहा गया है कि अप्रैल-जून तिमाही के दौरान मोबाइल सेवाओं के लिए हर ग्राहक से दूरसंचार कंपनियों को होने वाली कमाई सालाना आधार पर 8.11 फीसदी बढ़कर 157.45 रुपये पहुंच गई है। मासिक आधार पर इन कंपनियों का प्रति उपयोगकर्ता औसत मासिक राजस्व (एआरपीयू) जनवरी-मार्च तिमाही के 153.54 रुपये की तुलना में 2.55 फीसदी बढ़ा है।

रिपोर्ट के मुताबिक, अप्रैल-जून तिमाही में दूरसंचार सेवा क्षेत्र का समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) बढ़कर 70,555 करोड़ रुपये पहुंच गया है। इसमें तिमाही आधार पर 0.13 फीसदी और सालाना आधार पर 7.51 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है।

ब्रॉडबैंड से 94 करोड़ लोग चलाते हैं इंटरनेट
रिपोर्ट के मुताबिक, ब्रॉडबैंड के जरिये इंटरनेट चलाने वालों की संख्या अप्रैल-जून तिमाही में 1.81 फीसदी बढ़कर 94.07 करोड़ पहुंच गई। जनवरी-मार्च तिमाही में इनकी संख्या 92.40 करोड़ थी। हालांकि, नैरोबैंड इंटरनेट सब्सक्राइबर्स की संख्या 3.03 करोड़ से घटकर 2.88 करोड़ रह गई।

टेलीफोन ग्राहक : 120.56 करोड़
देश में टेलीफोन ग्राहकों की संख्या अप्रैल-जून तिमाही में बढ़कर 120.56 करोड़ हो गई। इसमें जनवरी-मार्च की तुलना में 0.53 फीसदी और सालाना आधार पर 2.70 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है।