Saturday , July 27 2024

बिज़नेस

रेल बजट में 50 फीसदी हिस्सा नई ट्रेनों की बजाय यात्रियों की सुरक्षा पर होगा खर्च, आएगा कवच 4.0

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को संसद में आम बजट 2024 पेश कर दिया। वित्त मंत्री से बजट में भारतीय रेलवे के लिए कुछ महत्वपूर्ण घोषणाएं करने की उम्मीद थी, लेकिन बजट में रेलवे को लेकर कोई बड़ी घोषणा नहीं की गई। इसमें सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि वित्त मंत्री ने अपने बजट 2024 भाषण में भारतीय रेलवे के लिए किसी भी नई योजना या पहल की कोई घोषणा भी नहीं की। रेल यात्रियों को भी उम्मीद थी कि बजट में वंदे भारत और अमृत भारत ट्रेनों पर ज्यादा फोकस किया जाएगा। इसके अलावा रेल यात्रियों को भी उम्मीद थी कि सफर के दौरान कई सुविधाएं भी मिलेंगी, लेकिन वित्तमंत्री ने ऐसी कोई घोषणा नहीं की।

केंद्रीय बजट 2024-25 पर रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि केंद्रीय बजट में रेल मंत्रालय को एतिहासिक राशि का आवंटन हुआ है। रेलवे को बजट में 2.62 लाख करोड़ रुपये मिले हैं। इस आवंटन का सबसे बड़ा हिस्सा 1.8 लाख हजार करोड़ रुपये सुरक्षा पर खर्च किया जाएगा। इसमें पुराने ट्रैक की जगह नए ट्रैक लगाना, सिग्नल सिस्टम को नई तकनीक के साथ विकसित करना और फ्लाईओवर-अंडरपास का निर्माण करना और ट्रेनों में कवच प्रणाली स्थापित करने में ये राशि खर्च की जाएगी।

रेल मंत्री वैष्णव ने कहा कि पिछले दस वर्षों में मोदी सरकार ने जो काम किए हैं, उन प्रोजेक्ट्स को हम तीसरे कार्यकाल में दोगुनी गति से इसे आगे बढ़ाएंगे। आने वाले दिनों में हम रेलवे इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करेंगे, रेलवे इंजन और डिब्बों के मैन्यूफैक्चरिंग को बढ़ाएंगे। आमतौर पर निम्न वर्ग और मध्यवर्गीय लोगों सफर के लिए रेलवे का ज्यादा का उपयोग करते हैं। पहले के मुकाबले इन दिनों जनरल कोच में यात्रियों की संख्या बढ़ रही है। पिछले वित्तीय वर्ष में 700 करोड़ लोगों ने रेलवे से यात्री की है। इनमें एक व्यक्ति ने एक से अधिक बार यात्राएं की हैं। इसमें वो आंकड़ा भी शामिल किया गया है।

इसलिए रेलवे ने हाल ही में 2500 जनरल कोच लगाने का फैसला किया। साथ ही 10 हजार नए जनरल कोच बनाने का निर्णय लिया गया है। इनकी मंजूरी बजट 2024 में मिल गई है। कुछ दिनों पहले ही कवच प्रणाली 4.0 लागू हो गई है। तेजी से इसे ट्रेनों में लगाए जाने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। वहीं, आने वाले दिनों में रेलवे प्रोजेक्ट में तेजी लाई जाएगी।

रेलवे का जिक्र नहीं होने से गिरे रेलवे के शेयर
इसी बीच बजट में रेलवे का जिक्र नहीं होने से रेल कंपनियों से जुड़े शेयर धड़ाम हो गए। एक शेयर में 8 फीसदी से ज्यादा की गिरावट आई। इसका कारण रहा कि वित्त मंत्री ने रेलवे के लिए किसी भी घोषणा का जिक्र नहीं किया। हाल ही में हुए ट्रेन हादसों के बाद उम्मीद जताई जा रही थी कि रेलवे के इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत बनाने और नई ट्रेनों के लिए कुछ घोषणाएं हो सकती हैं लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। इसी का कारण रहा कि रेलवे से जुड़ी कंपनियों के शेयरों में मंगलवार को जबरदस्त गिरावट आई है।

एक करोड़ गरीब-मध्यम वर्गीय परिवारों को घर, हाउसिंग सेक्टर को एक साल में 15% वृद्धि का अनुमान

23 जुलाई को वितमंत्री निर्मला सीतारामण ने लोकसभा में केंद्रीय बजट पेश किया। जिसमें किसानों, महिलाओं और युवाओं के लेकर महत्वपूर्ण घोषणाएं की है। इसके साथ ही एक करोड़ गरीब व मध्यम वर्ग परिवारों को घर मुहैया करवाने के लिए सरकार ने ब्याज पर सब्सिडी योजना का एलान किया है। महिलाओं को विशेषरूप से प्रॉपट्री खरीदने पर राज्य सरकारों से स्टैम्प ड्यूटी पर छूट देने को कहा गया है। जिसमें महिलाएं अपने घर का सपना पूरा कर सकें। बजट भाषण में बोलते हुए वित्तमंत्री ने एलान किया है कि प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में तीन करोड़ अतिरिक्त घरों का निर्माण किया जाएगा। इसके अलावा औद्योगिक श्रमिक जो कि रोजगार के लिए शहरों में आते हैं उनके लिए सरकार छात्रावास शैली के आवासों के साथ किराये के आवास भी बनाएगी। यह सार्वजनिक और निजी भागीदारी मॉडल (पीपीपी) पर आधारित होगा।

हाउसिंग सेक्टर की ग्रोथ एक साल 10 से 15 प्रतिशत रहने का अनुमान
हिरानंदानी ग्रुप के चेयरमैन एवं एमी नीरजंन हीरानंदानी का कहना है कि बजट में प्रधानमंत्री आवास योजना को आगे बढ़ाए जाने से हाउसिंग सेक्टर की ग्रोथ अगले एक साल 10 से 15 प्रतिशत तक बढ़ेगी। सरकार ने अफोडेबल हाउसिंग के लिए जो एलान किया है उससे होम फाइनेंस कंपनियों की कारोबारी वृद्धि में 25 प्रतिशत बढ़ने की उम्मीद है। हमें उम्मीद है कि अगले पांच सालों में जब हम पांच ट्रिलियन की इकॉनमी बनेंगे तो भारत के जीडीपी में हाउसिंग और इन्फ्रा का योगदान 20 प्रतिशत होगा। मौजूदा समय में यह जीडीपी में 7 प्रतिशत की योगदान है।

हाउसिंग फाइनेंस और सीमेंट कंपनियों को मिलेगा लाभ
स्मॉल केस मैनेजर और संस्थापक सोनम श्रीवास्तव का कहना है कि तीन करोड़ अतिरिक्त घर बनाने की सरकार की घोषणा से रियल एस्टेट मार्केट में तेजी तो आएगी लेकिन इसका सीधा फायदा हाउसिंग फाइनेंस और सीमेंट कंपनियों को होगा। हाउसिंग फाइनेंस फर्मों को लोन की मांग बढ़ने से लाभ होगा जिससे नए बाजार और अवसर भी पैदा होंगे। हालांकि उन्हें क्रेडिट मूल्यांकन और जोखिम प्रबंधन में चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। सीमेंट कंपनियों को अपने उत्पादन क्षमता में बढ़ोतरी करनी पड़ सकती है। जिसमें बढ़ी हुई मांग को पूरा किया जा सके। कंपनियों का फोकस कच्चे माल की बढ़ती लागत का प्रबंधन करने और उत्पादन क्षमता पर निवेश पर होगा। सैमको सिक्योरिटीज के शोध विश्लेषक दिव्यम मौर ने कहा, एक करोड़ गरीब मध्यमवर्गीय परिवारों को घर खरीदने में मदद करने के लिए वित्तमंत्री के 10 लाख करोड़ रुपये के आवंट से आवसीय संपत्तियों की मांग को बढ़ावा मिलेगा साथ ही ब्याज सब्सिडी और फंडिंग से रियल एस्टेट उद्योग डेवलपर्स और छोटी हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों को बहुत फायदा होगा।

रिकॉर्ड तेजी से सेक्टोरल फंड में अच्छा रिटर्न, पावर-इन्फ्रा के साथ इसमें हो सकती है बेहतर कमाई

घरेलू शेयर बाजार में रिकॉर्ड तेजी के बीच निवेशक अच्छे रिटर्न के लिए सेक्टोरल फंडों में दांव लगा सकते हैं। अर्थव्यवस्था भी इस समय अच्छा काम कर रही है। विश्लेषकों का कहना है कि बाजार में घरेलू संस्थागत निवेशक (डीआईआई ) खरीदारी की होड़ में हैं। इससे इनके और विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) के बीच निवेश का अंतर मुश्किल से 9 फीसदी रह गया है। उम्मीद है कि डीआईआई जल्द ही एफआईआई से आगे निकल जाएंगे। कोई आश्चर्य नहीं कि कोर सेक्टर इस विकास इंजन में सबसे आगे हैं।

पावर, इन्फ्रा व बैंकिंग थीम में हो सकती है कमाई
बोडेविजन इन्वेस्टर्स सर्विसेज के आलोक अग्रवाल का कहना है कि ऐसे उत्साहपूर्ण समय में थीम आधारित सेक्टोरल फंडों में निवेश का अवसर बनता है। पावर, इन्फ्रा, बैंकिंग, वित्तीय सेवाओं, नवाचार और उपभोग थीम में निवेश से रिटर्न में शानदार वृद्धि देखने को मिल सकती है। निप्पॉन इंडिया पावर एंड इन्फ्रा फंड ने एक साल में 82.73 फीसदी रिटर्न दिया है। फंड हाउस के फार्मा और कंजम्प्शन फंड ने भी क्रमशः 40.92 फीसदी व 39.34 फीसदी रिटर्न दिया है।

आर्थिक प्रगति में भी कर सकते हैं योगदान
अगर आप प्रमुख सेक्टर फंडों में श्रेणी के रिटर्न को देखें तो इन्फ्रास्ट्रक्चर ने 46.05 फीसदी, कंजम्पशन फंड ने 47 फीसदी, फार्मा फंड ने 47.06 फीसदी और टेक्नोलॉजी आधारित फंड ने 30 फीसदी से अधिक रिटर्न दिया है। कुल मिलाकर, पिछले एक साल में सेक्टोरल फंड्स ने निवेश पर 44.40 फीसदी रिटर्न दिया है। रणनीतिक रूप से तैयार किए गए इन फंडों में निवेश कर निवेशक न सिर्फ सेक्टर आधारित ग्रोथ से लाभान्वित हो सकते हैं, बल्कि भारत की दमदार आर्थिक प्रगति में भी योगदान दे सकते हैं।

सात फीसदी की रफ्तार से बढ़ेगी जीडीपी, बेहतर मानसून से कृषि क्षेत्र में सुधार की उम्मीद

एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने चालू वित्त वर्ष के लिए भारत के आर्थिक वृद्धि दर अनुमान को सात प्रतिशत पर बरकरार रखा है। कहा, सामान्य से बेहतर मानसून के कारण कृषि क्षेत्र में सुधार की उम्मीद है।

एडीबी का यह अनुमान ऐसे समय में आया है, जब अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने भारत के लिए अपने जीडीपी वृद्धि दर अनुमान को 6.8 फीसदी से बढ़ाकर 7 फीसदी कर दिया है। आरबीआई ने पिछले महीने अपने वृद्धि अनुमान को 7 फीसदी से बढ़ाकर 7.2 फीसदी कर दिया था।

एडीबी ने कहा, भारतीय अर्थव्यवस्था 2025-26 में 7.2 फीसदी की दर से बढ़ने की राह पर है, जैसा कि अप्रैल, 2024 में अनुमान लगाया गया है। रिपोर्ट में कहा गया, 2022-23 में धीमी वृद्धि के बाद सामान्य से अधिक मानसून अनुमानों को देखते हुए कृषि क्षेत्र में सुधार की उम्मीद है। ऐसा जून में मानसून की धीमी प्रगति के बावजूद है। ग्रामीण क्षेत्रों में वृद्धि की गति को बनाए रखने के लिए कृषि में सुधार महत्वपूर्ण होगा। विकासशील एशिया के वृद्धि अनुमान के संबंध में एडीबी ने कहा, 2024-25 के लिए पांच फीसदी तक संशोधित किया गया है, जबकि 2025-26 के लिए 4.9 फीसदी पर कायम रखा गया है।

सीमा शुल्क को युक्तिसंगत बना सकता है केंद्र, घरेलू उद्योगों की रक्षा के लिए लिया जा सकता है फैसला

सरकार पूर्ण बजट में देश को वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनाने और घरेलू उद्योगों की रक्षा के लिए इस्पात, सौर बैटरी, एल्युमीनियम और लिथियम सेल सहित विभिन्न क्षेत्रों में सीमा शुल्क को युक्तिसंगत बना सकती है। इंडियन चैंबर ऑफ कॉमर्स (आईसीसी) के अध्यक्ष अमेय प्रभु ने कहा, कच्चे माल पर शुल्क से घरेलू कंपनियों और खासकर डाउनस्ट्रीम इकाइयों पर असर पड़ता है। इसलिए, इन क्षेत्रों में घरेलू उद्योग को बढ़ाने के लिए सुरक्षात्मक उपायों की आवश्यकता है। इन उपायों के जरिये हम घरेलू विनिर्माण को मजबूती से बढ़ावा देकर भारत को वैश्विक केंद्र बना सकते हैं।

मिश्रित पेट्रोलियम गैस पर शुल्क 2.5 फीसदी करने की सिफारिश
आईसीसी अध्यक्ष ने कहा, मिश्रित पेट्रोलियम गैस पर शुल्क को पांच फीसदी से घटाकर 2.5 फीसदी किया जाना चाहिए। ऐसा कर उलटे शुल्क ढांचे में सुधार लाया जा सकता है। उन्होंने सरकार से लाभांश पर कर नही लगाने की भी सिफारिश की है।

राजकोषीय घाटे व वृद्धि पर रह सकता है जोर
अर्थशास्त्री संदीप वेम्पति का मानना है कि मोदी सरकार तीसरे कार्यकाल के पहले बजट में राजकोषीय घाटा लक्ष्य और आर्थिक वृद्धि पर जोर दे सकती है। उन्होंने कहा, आरबीआई से अधिक लाभांश मिलने व कर संग्रह में उछाल से राजकोषीय स्थिति बेहतर हुई है। सरकार चालू वित्त वर्ष के लिए राजकोषीय घाटे को 5.1 फीसदी पर सीमित रखने व 2025-26 तक इसे 4.5 फीसदी से नीचे लाने के लक्ष्य पर टिकी रह सकती है।

अर्थशास्त्री ने कहा, सरकार इस बजट का इस्तेमाल 2030 और 2047 के लिए आर्थिक दृष्टिकोण का संदेश देने के लिए करेगी। इसके लिए वह पूंजीगत खर्च में वृद्धि, कर प्रोत्साहन, ग्रामीण विकास, विनिर्माण, एमएसएमई, स्वास्थ्य व शिक्षा पर खर्च बढ़ा सकती है।

अनंत-राधिका की शादी में नहीं परोसी गई शराब, शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने की अंबानी परिवार की तारीफ

अनंत अंबानी और राधिका मर्चेंट के भव्य शादी समारोह में शामिल हुए धर्मगुरु शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने अंबानी परिवार की तारीफ की है। शंकराचार्य ने अपने एक बयान में इतनी भव्य शादी के बावजूद उसमें शराब और मांस नहीं परोसे जाने पर अंबानी परिवार की प्रशंसा की है। अंबानी परिवार ने अनंत अंबानी और राधिका मर्चेंट के विवाह के लिए एक भव्य समारोह का आयोजन किया था। जिसमें दुनियाभर के अतिथि शामिल हुए थे। इस शादी समारोह में शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद का भी स्वागत किया गया था।

शंकराचार्य ने अंबानी परिवार की प्रशंसा में कही यह बात
हाल ही में शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने मीडिया से एक बातचीत के दौरान कहा कि अंबानी परिवार ने अपने बेटे का विवाह किया जिसमें लंबे समय तक कई कार्यक्रम को आयोजित किया गया, लेकिन किसी भी दिन शराब नहीं परोसी गई। अलग-अलग मौके पर हजारों व्यंजन बनाए गए लेकिन एक भी दिन मांसाहारी भेजन नहीं परोसा गया। यह बहुत खास है। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति का अनुसरण करते हुए विवाह संपन्न किया गया तो हम भी आशीर्वाद देने पहुंचे। उन्होंने कहा कि जहां देश में ऐसी स्थिति बन गई है कि बिना शराब के कोई कार्यक्रम संपन्न नहीं हो रहा। वहां इतना बड़ा आयोजन बिना शराब और मांसाहारी भोजन के बिना करना वाकई अद्भुत है।

बड़ी राहत, बैंक-बिल्डरों की ओर से घर खरीदारों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई करने पर रोक

उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली-एनसीआर के उन मकान खरीदारों को बड़ी राहत दी है जिन्हें अब तब बिल्डर से उनके फ्लैट का कब्जा नहीं मिला है। अदालत ने निर्देश दिया है कि ईएमआई भुगतान को लेकर बैंक, वित्तीय संस्थान या बिल्डर घर खरीदारों के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं करेंगे और उनसे संबंधित चेक बाउंस के किसी भी मामले पर विचार नहीं किया जाएगा।

शीर्ष अदालत दिल्ली उच्च न्यायालय के उस आदेश के खिलाफ कई याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। उच्च न्यायालय ने कई मकान खरीदारों की वे याचिकाएं खारिज कर दी थीं जिनमें बैंकों और वित्तीय संस्थानों को निर्देश देने की मांग की गई थी कि जब तक रीयल एस्टेट डेवलपर्स अपने फ्लैटों का कब्जा नहीं दे देते तब तक समान मासिक किस्त (ईएमआई) नहीं वसूला जाए। उच्च न्यायालय के आदेश से असंतुष्ट मकान खरीदारों ने शीर्ष अदालत का रुख किया था, जहां अदालत इस मुद्दे पर गौर करने के लिए सहमत हो गई और संबंधित पक्षों से जवाब मांगा।

न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने 14 मार्च, 2023 के उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ दायर याचिकाओं पर केंद्र, बैंकों और अन्य को नोटिस जारी किए हैं। इस बीच, सभी मामलों में अंतरिम रोक रहेगी। इस दौरान घर खरीदारों के खिलाफ बैंकों/वित्तीय संस्थानों या बिल्डरों/डेवलपर्स की ओर से परक्राम्य लिखत अधिनियम, 1881 की धारा 138 के तहत शिकायत सहित कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी।

ज्यादातर वित्तीय संस्थानों/बैंकों ने जवाबी हलफनामा दाखिल कर दिया है। जिन लोगों ने अभी तक अपना जवाबी हलफनामा दाखिल नहीं किया है, उन्हें दो सप्ताह के भीतर आवश्यक कार्य करने का अंतिम अवसर दिया गया है। यह मामला शीर्ष अदालत के समक्ष 27 सितंबर को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है। मकान खरीदारों ने शीर्ष न्यायालय में दायर अपनी याचिका में कहा है कि वे आरबीआई के दिशानिर्देशों का उल्लंघन कर बैंकों की ओर से सीधे बिल्डर के खाते में अवैध तरीके से कर्ज देने के के पीड़ित हैं।

उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में इस आधार पर रिट याचिकाओं पर विचार करने से इनकार कर दिया था कि याचिकाकर्ताओं के पास उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, दिवाला और दिवालियापन संहिता और रियल एस्टेट विनियमन और विकास अधिनियम जैसे विभिन्न कानूनों के तहत वैकल्पिक उपाय हैं। यह मामला 123 घर खरीदारों से संबंधित है।

पहली तिमाही में इंफोसिस का मुनाफा 7.1% बढ़कर 6,368 करोड़ रुपये पर पहुंचा, नतीजे जारी

इंफोसिस ने गुरुवार को 30 जून 2024 को समाप्त तिमाही में ₹6,368 करोड़ के समेकित मुनाफे (PAT) की जानकारी दी है। यह एक वर्ष पहले की अवधि में रिपोर्ट किए गए ₹5,945 करोड़ के मुनाफे से 7.1% अधिक है। वित्तीय वर्ष 2024-25 की पहली तिमाही में कंपनी का परिचालन से राजस्व 39,315 करोड़ रुपये रहा, जो पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में 37,933 करोड़ रुपये था। इसमें 3.6% की वृद्धि दर्ज की गई। हालांकि, अनुक्रमिक आधार पर, कंपनी का समेकित शुद्ध मुनाफा वित्तीय वर्ष 2024 की चौथी तिमाही के 7,975 करोड़ की तुलना में 20.1% कम हो गया।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गिरावट के बीच सोना 50 रुपये बढ़ा, चांदी 500 रुपये लुढ़की

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बहुमूल्य धातुओं की कीमतों में गिरावट के बाद भी दिल्ली सर्राफा बाजार में सोमवार को सोने का भाव 50 रुपये की तेजी के साथ 75,150 रुपये प्रति 10 ग्राम हो गया। ऑल इंडिया सर्राफा एसोसिएशन ने बताया कि घरेलू मांग बढ़ने से सोने की कीमतों में बढ़ोतरी देखी गई। हालांकि, वैश्विक बाजारों में कमजोर रुख से बढ़त सीमित रही।

वहीं बात अगर चांदी की करें तो उसकी कीमतें 500 रुपये गिरकर 94,000 रुपये प्रति किलोग्राम पर आ गईं। पिछले सत्र में यह 94,500 रुपये प्रति किलोग्राम पर बंद हुईं थीं।विदेशी बाजारों में कॉमेक्स पर हाजिर सोने का 3.51 डॉलर प्रति औंस की गिरावट के साथ 2,407.92 डॉलर प्रति औंस पर हो गया।

ऑल इंडिया सर्राफा एसोसिएशन ने कहा कि सोने की कीमतों में तेज उतार-चढ़ाव देखा गया, लेकिन पिछले हफ्ते अमेरिकी उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) डेटा के बाद यह 2,400 अमेरिकी डॉलर से ऊपर रहने में कामयाब रहा। डेटा जारी होने के बाद इसमें अनुमान से कुछ हद तक कम रीडिंग देखी गई। जिससे उम्मीद जगी कि मुद्रास्फीति कम होगी।

वहीं, मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड के कमोडिटी रिसर्च के वरिष्ठ विश्लेषक मानव मोदी ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के संबंध में अपडेट से भू-राजनीतिक तनाव के साथ-साथ बाजार में अस्थिरता बढ़ सकती है।जेएम फाइनेंशियल सर्विसेज में ईबीजी – कमोडिटी एंड करेंसी रिसर्च के उपाध्यक्ष प्रणव मेर ने कहा कि भले ही सर्राफा में गिरावट सीमित दिख रही है, लेकिन हमें उम्मीद है कि आने वाले सत्रों में कुछ सुरक्षित मांग बढ़ेगी।

जून में भारतीय उत्पादों के निर्यात में 2.56% की बढ़ोतरी, 20.98 बिलियन डॉलर पहुंचा व्यापार घाटा

भारतीय उत्पादों के निर्यात ने जून महीने में वैश्विक चुनौतियों के बीच 2.56 फीसदी की छलांग लगाई है। इस छलांग के साथ ही इस निर्यात 35.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर के स्तर को छू लिया। इसके अलावा इस महीने के दौरान व्यापार घाटा बढ़कर 20.98 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक कच्चे तेल, दालें और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की आवक में बढ़ोतरी के कारण आयात में पांच प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई। इसके साथ ही यह जून में 56.18 बिलियन डॉलर पहुंच गया।

भारतीय उत्पादों के निर्यात में बढ़ोतरी
सरकारी रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2023 के जून महीने में आयात और निर्यात के बीच 19.19 डॉलर का अंतर था। वहीं, इस वर्ष मई महीने में भारतीय उत्पादों के निर्यात में 9.1 फीसदी की बढ़त देखने को मिली थी। इसके अलावा व्यापार घाटा बढ़कर 23.78 बिलियन अमेरिकी डॉलर पर पहुंच गया। यह सात महीनों का सबसे उच्च स्तर है।

अप्रैल से जून की तिमाही के आंकड़े
इस वित्तीय वर्ष में अप्रैल से जून की तिमाही में उत्पादों का निर्यात 5.84 फीसदी के साथ 109.96 बिलियन डॉलर पहुंच गया। इसके अलावा निर्यात भी 7.6 फीसदी की बढ़त के साथ 172.23 बिलियन पहुंच गया। पिछले वर्ष के मुकाबले इस वर्ष अप्रैल से जून की तिमाही में व्यापार घाटा बढ़कर 62.26 बिलियन डॉलर पहुंच गया। बीते वर्ष इस समयावधि में व्यापार घाटा 56.16 बिलियन डॉलर था।