Saturday , July 27 2024

देश

हलफनामे के बाद भी यूपी सरकार के आदेश पर रोक जारी, कांवड़ मार्ग के दुकानदारों को नहीं लगानी होगी नामपट्टिका

नई दिल्ली:  सर्वोच्च न्यायालय ने राज्य सरकारों द्वारा कांवड़ मार्ग पर स्थित दुकानदारों को नामपट्टिका लगाने के आदेश पर अंतरिम रोक जारी रखी है। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार के हलफनामे के बाद भी आदेश पर रोक जारी रखी है। इससे पहले उत्तर प्रदेश (यूपी) सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर किया, जिसमें सरकार ने कांवड़ यात्रा के दौरान दुकानों पर नामपट्टिका लगाने के अपने आदेश का बचाव किया। यूपी सरकार ने अपने हलफनामे में कहा है कि उसके दिशा-निर्देश कांवड़ यात्रा के शांतिपूर्ण समापन और पारदर्शिता कायम करने के लिए उद्देश्य से दिए गए थे।

उत्तर प्रदेश सरकार ने बताया क्यों लागू किया था नामपट्टिका वाला आदेश
उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा कि निर्देश के पीछे का उद्देश्य कांवड़ यात्रा के दौरान पारदर्शिता कायम करना और यात्रा के दौरान उपभोक्ताओं/कांवड़ियों को उनके द्वारा खाए जाने वाले भोजन के बारे में जानकारी देना था। ये निर्देश कांवड़ियों की धार्मिक भावनाओं को ध्यान में रखकर दिए गए ताकि वे गलती से कुछ ऐसा न खाएं, जो उनकी आस्थाओं के खिलाफ हो।

उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा कि राज्य सरकार ने खाद्य विक्रेताओं के व्यापार या व्यवसाय पर कोई प्रतिबंध या निषेध नहीं लगाया है (मांसाहारी भोजन बेचने पर प्रतिबंध को छोड़कर), और वे अपना व्यवसाय सामान्य रूप से करने के लिए स्वतंत्र हैं। हलफनामे में कहा गया है, ‘मालिकों के नाम और पहचान प्रदर्शित करने की आवश्यकता पारदर्शिता सुनिश्चित करने और कांवड़ियों के बीच किसी भी संभावित भ्रम से बचने के लिए एक अतिरिक्त उपाय मात्र है।’

सरकार ने बताया- शिकायतों के बाद दिए गए थे निर्देश
सरकार ने अपने बयान में कहा कि कांवड़ यात्रा एक कठिन यात्रा है, जिसमें कुछ कांवड़िए, जो डाक कांवड़ लाते हैं, कांवड़ को अपने कंधों पर रखने के बाद आराम के लिए भी नहीं रुकते। कांवड़ यात्रा की कुछ पवित्र विशेषताएं होती हैं, जैसे कि पवित्र गंगाजल से भरे कांवड़ को जमीन पर नहीं रखना होता और न ही गूलर के पड़े की छाया में। यह भी ध्यान देने वाली बात है कि कांवड़िए कई वर्षों की तैयारी के बाद यात्रा पर निकलते हैं। उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा कि नामपट्टिका से संबंधित आदेश कांवड़ियों की शिकायतों के बाद दिए गए थे, जिसमें कांवड़ियों ने यात्रा के दौरान परोसे जाने वाले भोजन की पवित्रता पर चिंता जताई थी।

धार्मिक प्रथाओं के अनुरूप खाने की तैयारी को लेकर शिकायतें मिलीं थीं। जिसके बाद कांवड़ मार्गों पर दुकानदारों से नामपट्टिका लगाने संबंधी आदेश दिए गए थे। गौरतलब है कि कांवड़ यात्रा, एक वार्षिक तीर्थयात्रा है जहाँ भगवान शिव के भक्त, जिन्हें कांवड़ियों के रूप में जाना जाता है, गंगा नदी से पवित्र जल लाने के लिए यात्रा करते हैं। कांवड़ यात्रा में हर साल लाखों लोग भाग लेते हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने लगाई थी राज्य सरकार के आदेश पर रोक
उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश सरकार ने कांवड़ यात्रा मार्ग पर पड़ने वाली दुकानदारों को दुकान पर नामपट्टिका (नेमप्लेट) लगाने और मोबाइल नंबर लिखने के दिशा निर्देश जारी किए थे। सरकार के इन दिशा-निर्देशों की खूब आलोचना हुई। सरकार के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर हुईं, जिन पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में राज्य सरकार के आदेश पर रोक लगा दी थी। अब राज्य सरकार का हलफनामा मिलने के बाद भी अदालत ने आदेश पर रोक जारी रखने का फैसला किया है।

200-250 सीटों पर अकेले विधानसभा चुनाव लड़ेगी महाराष्ट्र नव निर्माण सेना, राज ठाकरे ने किया

मुंबई: महाराष्ट्र में इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक दलों ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। महाराष्ट्र नव निर्माण सेना (मनसे) प्रमुख राज ठाकरे ने एलान किया कि उनकी पार्टी 200-250 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ेगी। उन्होंने मौजूदा महायुति गठबंधन सरकार पर योजनाओं के बजट में कटौती करने का आरोप लगाया। बता दें कि 2019 के विस चुनाव में मनसे ने केवल एक सीट जीती थी। जबकि लोकसभा चुनाव में भाजपा का समर्थन किया था।

मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने गुरुवार को कहा कि महाराष्ट्र सरकार के पास गड्ढों की मरम्मत के लिए बजट नहीं है। ऐसे में लाडली बहन और लाडला भाई योजना के लिए बजट कहां से आएगा? एनसीपी में चल रहे आंतरिक संघर्ष पर उन्होंने कहा कि अगर लाडला भाई और बहन दोनों खुश होते ही एनसीपी का बंटवारा नहीं होता। इस समय कोई यह नहीं बता सकता कि कौन सा विधायक किस पार्टी का है?

ठाकरे ने अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं से कहा कि सुनने में आया है कि मेरी पार्टी के कुछ लोग किसी के साथ जुड़ना चाहते हैं। मैं उनके लिए रेड कारपेट बिछाता हूं, वे तुरंत जा सकते हैं। पार्टी इस बार टिकट केवल विश्वास और जीतने की क्षमता के आधार पर ही देगी।

उन्होंने पार्टी की चुनावी तैयारियों को लेकर कहा कि पार्टी ने हर जिले में सर्वे शुरू कर दिया है। इसके लिए चार-पांच सदस्यों की टीम बनाई गई है। टीम ने हर क्षेत्र के प्रमुख लोगों से बात की है। अब दूसरे दौर में टीम कार्यकर्ताओं से बात करेगी। इसलिए टीम को सही प्रतिक्रिया दें। इसके साथ ही वे खुद एक अगस्त से महाराष्ट्र का दौरा शुरू करेंगे। ठाकरे ने कहा कि हम इस बार अकेले 200-250 सीटों पर विधानसभा चुनाव लड़ेंगे। किसी भी कीमत पर इस बार पार्टी के कार्यकर्ता को सत्ता पर बैठाना है। इसलिए अभी से मेहनत शुरू कर दें।

मुंबई में भारी बारिश के कारण उड़ान संचालन प्रभावित; पानी से लबालब भरा खाली हो चुका मंजारा बांध

मुंबई :महाराष्ट्र में मुंबई और उसके उपनगर में भारी बारिश के कारण उड़ान संचालन प्रभावित हुआ है। मुंबई की मौजूदा स्थिति को देखते हुए एयर इंडिया ने बताया कि गुरुवार को यात्रा के लिए की गई बुकिंग के लिए वह यात्रियों को या तो पूरा रिफंड कर रहे या फिर एक बार यात्रा की तारीख बदलने का विकल्प दे रहे हैं। एयरलाइन ने एक लिंक साझा कर सभी यात्रियों से एयरपोर्ट जाने से पहले उड़ान की स्थिति की जांच करने का आग्रह किया।

एयरलाइन ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा, “भारी बारिश के कारण उड़ान संचालन प्रभावित हुआ है। इसके कारण हमारी कुछ उड़ाने रद्द की जा रही है। एयर इंडिया यात्रियों को पूरा रिफंड या एक बार यात्रा की तारीख बदलने का विकल्प दे रही है।” एयरलाइन ने आगे कहा कि एयरपोर्ट जाने से पहले यात्रियों को उड़ान की स्थिति की जांच करनी चाहिए।

इससे पहले एयरलाइन ने एक पोस्ट कर कहा, “भारी बारिश के कारण मुंबई आने-जाने वाली उड़ाने प्रभावित हो सकती है। यात्रियों को आग्रह है कि वे एयरपोर्ट के लिए जल्दी निकलें, क्योंकि भारी बारिश के कारण यातायात में परेशानी हो सकती है।” जलभराव के कारण अंधेरी सबवे को वाहनों की आवाजाही के लिए बंद कर दिया गया है। रातभर हुई बारिश के कारण सार्वजनिक परिवहन सेवाएं भी बाधिक हुई। मौसम विभाग ने गिरिवार को महाराष्ट्र के लिए रेड अलर्ट जारी किया। बुधवार को ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया था।

भारी बारिश के कारण खाली हो चुके मंजारा बांध में भरा पानी
महाराष्ट्र के बीड जिले का मंजारा बांध जो सूख गया था, भारी बारिश के बाद इसमें फिर से पानी भर गया। एक अधिकारी ने बताया कि मंजारा बांध के अलावा नांदेड़ जिले में विष्णुपुरी बांध 83 फीसदी तक भर चुका है। पानी के प्रवाह को देखते हुए इसका भी द्वार खोला गया। बता दें कि यह जलाशय गोदावरी नदी पर बनाया गया है। सिंचाई अधिकारियों ने जिला प्रशासन से अपील की है कि वे नीचले इलाकों में रहने वाले लोगों को सतर्क करें। बांध में एक जून से अबतक 57.74 एमसीएम पानी भर चुका है। बता दें कि राज्य के मराठवाड़ा क्षेत्र में आठ जिले- जालना, औरंगाबाद, परभणी, हिंगोली, नांदेड़, लातूर, उस्मानाबाद और बीड शामिल है।

‘सब राजनीतिक ड्रामा..’ एमयूडीए में कथित घोटाले को लेकर BJP के धरने पर भड़के डिप्टी CM डीके शिवकुमार

कर्नाटक: कर्नाटक में मैसुरु शहरी विकास प्राधिकरण (एमयूडीए) द्वारा भूखंड आवंटित करने में कथित फर्जीवाड़े के संबंध में चर्चा की अनुमति नहीं दी गई। इस बात से नाराज भाजपा विधानसभा और विधानपरिषद में धरना का ऐलान कर चुकी है। बता दें कि इस मामले में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की पत्नी का नाम शामिल है। भाजपा के धरना प्रदर्शन के कदम की कर्नाटक सरकार के मंत्रियों ने जमकर आलोचना की।

कर्नाटक के कानून एवं संसदीय कार्य मंत्री एचके पाटिल ने कहा कि भाजपा ने मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (एमयूडीए) में वैकल्पिक साइट (भूखंड) घोटाले में स्थगन प्रस्ताव क्यों नहीं लिया जा सकता है? यह समझाने के बावजूद चल रहे विधानसभा सत्र का अपने राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल किया है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश द्वारा मूडा में अनियमितताओं की जांच का आदेश दिया है। उन्होंने पूछा कि “मुख्यमंत्री ने अपने खिलाफ आरोपों की जांच के लिए एक आयोग का गठन किया है। क्या ऐसा कोई उदाहरण है जब किसी मुख्यमंत्री ने अपने खिलाफ आरोप होने पर जांच आयोग का गठन किया हो?”

वहीं उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने कहा, “भाजपा शासन में बहुत सारे घोटाले हुए हैं और जिनकी जांच चल रही है। हम विधानसभा में जवाब देना चाहते थे और वे हमें रोकना चाहते थे। लेकिन सीएम ने अपने लिखित भाषण में इस बात का विस्तृत जवाब दिया था कि कितने घोटाले हुए हैं और वे कैसे हुए हैं। एसआईटी पहले से ही जांच कर रही थी, अब ईडी और सीबीआई भी आ गई है इसलिए हम जांच में हस्तक्षेप नहीं करना चाहते।”

कानून एवं संसदीय कार्य मंत्री एचके पाटिल ने विपक्षी भाजपा और उसके सहयोगी जद (एस) से सवाल किया कि क्या पूर्व मुख्यमंत्रियों एच डी कुमारस्वामी, बी एस येदियुरप्पा और बसवराज बोम्मई द्वारा आयोग गठित करने का कोई उदाहरण है। उन्होंने कहा, “विपक्षी दल को सीएम के रुख की सराहना करनी चाहिए थी। यह सिर्फ एक राजनीतिक नाटक है। उन्होंने याद दिलाया कि विपक्ष उत्तर कन्नड़ जिले के शिरूर में भूस्खलन पर चर्चा करने के लिए तैयार नहीं है। पाटिल ने आरोप भी लगाया कि भाजपा लोगों के लाभ के लिए एक राष्ट्र एक चुनाव, राष्ट्रीय प्रवेश-सह-पात्रता परीक्षा (नीट) के खिलाफ सामान्य प्रवेश परीक्षा (सीईटी) को फिर से स्थापित करने और कई अन्य विधेयकों पर चर्चा करने के लिए भी इच्छुक नहीं है।

उन्होंने बताया कि विपक्षी भाजपा द्वारा यह आरोप लगाया गया है कि सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती को मैसूर के एक अपमार्केट इलाके में वैकल्पिक स्थल आवंटित किए गए थे। जिसकी संपत्ति का मूल्य उनकी भूमि के स्थान की तुलना में अधिक था जिसे एमयूडीए द्वारा अधिग्रहित किया गया था। भाजपा नेताओं ने आरोप लगाया कि सिद्धारमैया के कई समर्थकों ने भी इस तरह से लाभ उठाया है।

बेबाक राय रखने और चुनौतियों से कभी हार न मानने वाली शख्सियत, दिव्यांगों से विशेष स्नेह

द्रौपदी मुर्मू देश की दूसरी महिला और पहली आदिवासी राष्ट्रपति हैं। वह अपनी बेबाक राय और महिला सशक्तीकरण की खुली हिमायत के लिए पहचानी जाती हैं। मुर्मू बृहस्पतिवार को अपने कार्यकाल के दो सफल वर्ष पूर्ण कर रही हैं। ओडिशा के मयूरभंज के छोटे से गांव से राष्ट्रपति पद तक का सफर तय करने वाली द्रौपदी मुर्मू अपने व्यवहार और महिलाओं की दुश्वारियों को दूर कराने से लेकर अपने स्वाभिमान को सार्वजनिक रूप से व्यक्त करने से नहीं रुकती हैं। यही वजह है कि देश के सबसे प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थान में महिला शौचालय की बदहाली पर वह सार्वजनिक रूप से प्रबंधन को न केवल परामर्श देती हैं, बल्कि यह भी कहती हैं कि देश के संस्थानों के लिए मॉडल होने वाले ऐसे शैक्षणिक स्थलों पर यदि महिलाओं के लिए उनकी जरूरतों की पूर्ति के लिए कॉमन रूम व शौचालय का ऐसा अव्यवस्थित ढांचा होगा, तो वह कैसे रोल मॉडल बनने का दावा करेंगे।

अवसाद से निकलकर शिखर तक
द्रौपदी मुर्मु दूसरी राष्ट्रपति हैं, जिन्होंने अपना जीवन शिक्षक के रूप में शुरू किया। प्राथमिक विद्यालयों में अलग-अलग विषयों को पढ़ाने वालीं मुर्मू ने निजी जीवन में तमाम चुनौतियों को पार किया है। संथाल परिवार में जन्मी मुर्मू छोटे से स्कूल में पढ़ी हैं। उन्होंने पति व दोनों बेटों को एक ही कालखंड में खोया है। ऐसे में मानसिक अवसाद और जीवन की दुश्वारियां को पार कर चट्टान की तरह सबला के रूप में खुद को स्थापित किया।

हर खास और आम के लिए खोले द्वार
मुर्मू के दो साल के कार्यकाल में तीन राष्ट्रपति आवासों में नागरिकों की भागीदारी एक वर्ष के दौरान 18 लाख से अधिक रही है। उनके नई दिल्ली स्थित आवास से लेकर, सिकंदराबाद व मशोबरा में राष्ट्रपति आवासों के द्वार हर आम व खास आदमी के लिए खोल दिए गए हैं।

महिलाओं-युवाओं को दिया प्रोत्साहन
महिलाओं और युवाओं को प्रोत्साहित व प्रेरित करने के लिए राष्ट्रपति ‘हर स्टोरी माय स्टोरी’ नामक संवाद का आयोजन करती हैं। इसमें पद्म पुरस्कार प्राप्त महिलाओं के साथ, राष्ट्रपति भवन में संवाद होता है। हाल ही में मुर्मू ने सुधा मूर्ति और साइना नेहवाल इसका हिस्सा बनीं। साइना के साथ बैडमिंटन खेलकर उन्होंने खेल के माध्यम से स्वस्थ जीवन का पाठ पढ़ाया। स्कूली बच्चों और बुद्धिजीवियों ने भी संवाद में भाग लिया। जेलाें में बंद विचाराधीन कैदियों के अधिकारों और जिंदगी की दुश्वारियों की चिंता करते हुए राष्ट्रपति मुर्मू ने जब न्यायपालिका से उनके मामले संवेदशीलता से निस्तारित करने का आग्रह किया, तो न्यायपालिका और सरकार दोनों इस दिशा में सक्रिय हुए।

दिव्यांगों से विशेष स्नेह
दिव्यांग उनके हृदय के करीब हैं। इसलिए 20 जून को वह हर साल अपना समय उनके साथ बिताती हैं। दिव्यांग जनों की उपलब्धियों का जश्न मनाने के लिए राष्ट्रपति भवन में पर्पल फेस्ट भी हुआ था। विविधता का अमृत महोत्सव-भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का उत्सव भी मनाया गया, जिसके पहले संस्करण में राष्ट्रपति भवन में पूर्वोत्तर भारत की कला, संस्कृति, भोजन व जीवन को प्रदर्शित किया गया।

कांग्रेस ने बजट को बताया भेदभावपूर्ण, कहा- नीति आयोग की बैठक का बहिष्कार करेंगे पार्टी के सीएम

मंगलवार को सदन में केंद्र सरकार द्वारा पेश किया गया बजट कांग्रेस ने भेदभावपूर्ण और खतरनाक बताया। कांग्रेस ने घोषणा की कि इसके विरोध में कांग्रेस पार्टी के मुख्यमंत्री 27 जुलाई को होने वाली नीति आयोग गवर्निंग काउंसिल की बैठक में शामिल नहीं होंगे।केंद्रीय बजट 2024-25 को कांग्रेस द्वारा भेदभावपूर्ण और खतरनाक बताया गया। कांग्रेस पार्टी ने घोषणा की 27 जुलाई की नीति आयोग की बैठक को पार्टी के मुख्मयंत्री बहिष्कार करेंगे। कांग्रेस के इस निर्णय में तमिलनाडु सीएम ने भी सहमति जताई है। मंगलवार शाम को कांग्रेस ने घोषणा की कि पार्टी के मुख्यमंत्री – सिद्धारमैया (कर्नाटक), रेवंत रेड्डी (तेलंगाना), और सुखविंदर सुखू (हिमाचल प्रदेश) 27 जुलाई को राष्ट्रीय राजधानी में होने वाली नीति आयोग गवर्निंग काउंसिल की बैठक में शामिल नहीं होंगे। कांग्रेस का आरोप है

कि केंद्रीय बजट 2024-25 को कांग्रेस द्वारा भेदभावपूर्ण और खतरनाक इसके बाद अन्य कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने भी इस विरोध में शामिल होकर नीति आयोग की बैठक का बहिष्कार करने का फैसला किया।तमिलनाडु के मुख्यमंत्री और डीएमके प्रमुख एमके स्टालिन ने भी कहा है कि वह विरोध स्वरूप 27 जुलाई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में होने वाली नीति आयोग की बैठक का बहिष्कार करेंगे।

वहीं कांग्रेस महासचिव (संगठन) केसी वेणुगोपाल ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, “आज पेश किया गया केंद्रीय बजट बेहद भेदभावपूर्ण और खतरनाक है, जो संघवाद और निष्पक्षता के सिद्धांतों के पूरी तरह खिलाफ है। इसके विरोध में, कांग्रेस के मुख्यमंत्री 27 जुलाई को होने वाली नीति आयोग की बैठक का बहिष्कार करेंगे। उन्होंने कहा, “इस सरकार का रवैया संवैधानिक सिद्धांतों के बिल्कुल विपरीत है। हम ऐसे किसी कार्यक्रम में भाग नहीं लेंगे जो पूरी तरह से इस शासन के असली, भेदभावपूर्ण पहलुओं को छिपाने के लिए बनाया गया हो।”

वित्त मंत्री का 80 मिनट का बजट भाषण
बताते चलें कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने 80 मिनट के बजट भाषण के दौरान कई उपायों की घोषणा की। जिसमें नई कर व्यवस्था में मानक कटौती को 50,000 रुपये से बढ़ाकर 75,000 रुपये करना, नई व्यवस्था में कर स्लैब में संशोधन, सोने और चांदी पर सीमा शुल्क में कटौती, रोजगार से जुड़ी प्रोत्साहन के तहत तीन योजनाएं और नौकरी सृजन के लिए 2 लाख करोड़ रुपये शामिल हैं।

कांग्रेस ने कहा लंगडी सरकार बचाए रखने की राजनीतिक मजबूरी
केंद्र सरकार के प्रस्तुत बजट पर कांग्रेस ने उनकी घोषणाओं पर कटाक्ष किया। कहा कि यह कुछ और नहीं बल्कि इस लंगड़ी सरकार को बचाए रखने की राजनीतिक मजबूरियों से प्रेरित सरकार बचाओ बजट है। वहीं वेणुगोपाल ने कहा, “बजट में महंगाई को कम करने या किसानों के संकट को हल करने के लिए कुछ नहीं किया गया है। इसमें मध्यम वर्ग के लिए कुछ भी नहीं है। पिछले 10 बजटों की तरह यह केंद्रीय बजट भी आम भारतीय की चिंताओं से कोसों दूर है।”

सीएम योगी बोले- बजट में अंत्योदय की पावन भावना…, अखिलेश बोले- नाउम्मीदी का पुलिंदा है

लखनऊ:केंद्र सरकार द्वारा पेश किए गए बजट पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि ये बजट सर्वस्पर्शी, सर्वसमावेशी, विकासोन्मुखी आम बजट 2024-25, 140 करोड़ देशवासियों की आशाओं, आकांक्षाओं और अमृतकाल के सभी संकल्पों को सिद्ध करने वाला है।

आम बजट 2024-25 ‘विकसित भारत-आत्मनिर्भर भारत’ के निर्माण का आर्थिक दस्तावेज है। इसमें अंत्योदय की पावन भावना, विकास की असीम संभावना और नवोन्मेष की नव-दृष्टि है।इस बजट में गांव, गरीब, किसान, महिला, नौजवान समेत समाज के सभी तबकों के समग्र विकास का संकल्प, हर क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की दृष्टि और वंचित को वंचना से मुक्त कराने का रोडमैप है। मध्यम वर्ग को बड़ी राहत प्रदान करते हुए प्रत्यक्ष कर प्रणाली के संबंध में नए प्राविधानों की घोषणा स्वागत योग्य है।

‘नए भारत’ को 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी और विश्व का ग्रोथ इंजन बनाने का मार्ग प्रशस्त करते इस लोक-कल्याणकारी बजट के लिए आदरणीय प्रधानमंत्री जी का हृदय से आभार एवं मा. केंद्रीय वित्त मंत्री जी का हार्दिक अभिनंदन है।

दूसरे दलों के नेताओं ने भी बजट को लेकर प्रतिक्रिया दी है:

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि इस बजट में युवाओं के रोजगार के लिए कुछ नहीं है। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि ये बजट भी नाउम्मीदगी का ही पुलिंदा है। शुक्र है इंसान इन हालातों में भी जिंदा है।

मायावती बोलीं- ये बजट भी पुराने ढर्रे पर
बसपा सुप्रीमो मायावती ने केंद्रीय बजट 2024 को लेकर अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार का ये बजट भी पुराने ढर्रे पर है। ये बजट अच्छे दिन की उम्मीद वाला कम और मायूस करने वाला ज्यादा है।

उन्होंने सोशल मीडिया साइट एक्स पर कहा कि संसद में आज पेश केन्द्रीय बजट अपने पुराने ढर्रे पर कुछ मुट्ठी भर अमीर व धन्नासेठों को छोड़कर देश के गरीबों, बेरोजगारों, किसानों, महिलाओं, मेहनतकशों, वंचितों व उपेक्षित बहुजनों के त्रस्त जीवन से मुक्ति हेतु ‘अच्छे दिन’ की उम्मीदों वाला कम बल्कि उन्हें मायूस करने वाला ज्यादा है।

देश में छाई जबरदस्त गरीबी, बेरोजगारी, महंगाई और पिछड़ापन तथा यहां के 125 करोड़ से अधिक कमजोर तबकों के उत्थान व उनके लिए जरूरी बुनियादी सुविधाओं के प्रति इस नई सरकार में भी अपेक्षित सुधारवादी नीति व नीयत का अभाव है। बजट में ऐसे प्रावधानों से क्या लोगों का जीवन खुश व खुशहाल हो पाएगा?

उन्होंने कहा कि देश का विकास व लोगों का उत्थान आंकड़ों के भूलभुलैया वाला न हो बल्कि लोगों को त्रस्त जीवन से मुक्ति के लिए रोजगार के अवसर, जेब में खर्च के लिए पैसे और आमदनी जैसी बुनियादी तरक्की सभी को मिलकर महसूस भी हो। रेलवे का विकास भी अति-जरूरी है। सरकार बीएसपी सरकार की तरह हर हाथ को काम दे।

डिप्टी सीएम बोले- सबका साथ, सबका विकास वाला बजट
यह सबका साथ, सबका विकास वाला बजट है। इस बजट में हर वर्ग का ध्यान रखा गया है। युवाओं, महिलाओं और नौकरीपेशा लोगों के लिए सरकार ने कई घोषणाएं की हैं। यह कहना है प्रदेश के डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक का।

भाजपा नेता भवानी शंकर भोई ने विधानसभा में डिप्टी स्पीकर के लिए भरा नामांकन, बुधवार को चुनाव की संभावना

भुवनेश्वर:  भाजपा विधायक भवानी शंकर भोई ने मंगलवार को ओडिशा विधानसभा में उपाध्यक्ष पद के लिए नामांकन दाखिल किया। इस पद के लिए मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी, उप मुख्यमंत्री केवी सिंह देव और प्रावती परिदा समेत अन्य लोगों के साथ तलसरा विधायक ने अपना नामांकन दाखिल किया। भोई 2019 और 2024 में दो बार ओडिशा विधानसभा के लिए चुने गए।

इस पद के लिए एक से अधिक उम्मीदवार होने पर डिप्टी स्पीकर पद के लिए बुधवार को चुनाव होगा। एक अधिकारी ने इसकी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि वरिष्ठ भाजपा नेता सुरमा पाढ़ी को विधानसभा स्पीकर चुना गया है। बता दें कि 147 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा के 78 सांसद बीजद के 51 विधायक कांग्रेस के 14 निर्दलीय के तीन और सीपीआई(एम) के एक विधायक हैं।

गुजरात हाईकोर्ट का आदेश- मोरबी पुल हादसे के पीड़ितों से मिलकर जमीनी हकीकत जानें न्याय मित्र और वकील

अहमदाबाद:  मोरबी ब्रिज हादसे को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए गुजरात हाईकोर्ट ने मंगलवार को कहा कि न्याय मित्र के एक वकील के साथ हादसे के पीड़ितों से मुलाकात करें। कोर्ट ने कहा कि न्याय मित्र और वकील पीड़ितों से हकीकत जानें और रिपोर्ट दाखिल करें। गुजरात हाईकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश सुनीता अग्रवाल की खंडपीठ ने मोरबी ब्रिज हादसे को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर स्वत: सुनवाई करते हुए यह आदेश जारी किया। 30 अक्तूबर 2022 को गुजरात की मच्छु नदी पर ब्रिटिश काल में निर्मित मोरबी पुल गिर गया था। इसमें 135 लोगों की मौत हो गई थी और 56 लोग घायल हो गए थे।

कोर्ट ने कहा कि हम चाहते हैं कि कोर्ट की ओर से किसी को पीड़ितों से मुलाकात और बात करनी चाहिए। न्याय मित्र पीड़ितों के पास जाएं और उनकी हकीकत को समझने का प्रयास करें। इसके बाद कोर्ट में रिपोर्ट दाखिल करें। मुख्य न्यायाधीश ने यह भी कहा कि एक वकील को भी न्याय मित्र के साथ पीड़ितों से मिलकर उनके मुद्दों को समझना चाहिए। एक पीड़ित के मुआवजा लेने से इन्कार करने को लेकर मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि वकीलों को संबंधित व्यक्ति की काउंसलिंग करनी चाहिए।

मुख्य न्यायाधीश अग्रवाल ने कहा कि हम स्वतंत्र राय चाहते हैं। सबसे मिलकर बात करके पीड़ितों को समझाना चाहते हैं कि कोर्ट उनके साथ है। न्याय मित्र और वकील अगस्त में ही पीड़ितों से मिलें। कोर्ट ने आदेश दिया कि जिलाधिकारी न्याय मित्र और वकील को आवश्यकता सहायता उपलब्ध कराएंगे।

कोर्ट में एडवोकेट जनरल कमल त्रिवेदी ने कहा कि पुल के निर्माण और रखरखाव की जिम्मेदारी संभाल रहे ओरेवा ग्रुप ने 18 जुलाई को बैठक की थी। ग्रुप ने अपने प्रतिनिधियों को हर तीन महीने पर पीड़ितों से मिलकर उनकी जरूरतों को जानने के लिए कहा है। उन्होंने कहा कि जिला बाल कल्याण अधिकारी ने ग्रुप के प्रतिनिधियों के साथ पीड़ितों से बात की थी। इस दौरान सात बच्चे अनाथ मिले। जबकि जिन 14 बच्चों ने अपने किसी अभिभाववक को खो दिया, उनसे तीन महीने में एक बार मुलाकात की जाती है। त्रिवेदी ने कहा कि जिला स्वास्थ्य अधिकारी ने भी पीड़ितों से मिलकर बात की है। ग्रुप ने हर पीड़ित की देखभाल करने का फैसला किया है।

केंद्र पर बरसे राहुल गांधी, कहा- ये ‘कुर्सी बचाओ बजट’; खरगे बोले- ये देश के विकास के लिए नहीं

लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी ने मंगलवार को केंद्रीय बजट को ‘कुर्सी बचाओ बजट’ की कहा और दावा किया कि यह अन्य राज्यों की कीमत पर भाजपा सहयोगियों से खोखले वादे करता है। पूर्व कांग्रेस प्रमुख ने यह भी दावा किया कि बजट 2024 के चुनावों के लिए कांग्रेस के घोषणापत्र और पिछले बजटों की कॉपी और पेस्ट वाला काम है।

राहुल गांधी ने बजट पर ऐसे साधा निशाना
सोशल मीडिया एक्स पर राहुल गांधी ने एक पोस्ट में केंद्र सरकार के बजट को ऐसे उल्लेखित किया है। कुर्सी बचाओ बजट, सहयोगियों को खुश करना: अन्य राज्यों की कीमत पर उनसे खोखले वादे, साथियों को खुश करना: आम भारतीयों को कोई राहत नहीं, लेकिन एए (अडानी-अंबानी) को लाभ, कॉपी और पेस्ट: कांग्रेस का घोषणापत्र और पिछले बजट।

कांग्रेस अध्यक्ष ने बजट को बताया ‘नकलची बजट’
वहीं कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने भी केंद्रीय बजट पर निशाना साधा और कहा कि इस बजट में देश के विकास के लिए कुछ भी नहीं है। ये एक मोदी सरकार को बचाने वाला बजट है। कांग्रेस अध्यक्ष केंद्रीय बजट को नकल भी करार दिया। उन्होंने एक्स पर लिखे एक पोस्ट में कहा, मोदी सरकार का ‘नकलची बजट’ कांग्रेस के न्याय पत्र की भी ठीक से नकल नहीं कर सका! मोदी सरकार का बजट अपने गठबंधन सहयोगियों को ठगने के लिए आधी-अधूरी रेवड़ियां बांट रहा है ताकि एनडीए बच जाए।

‘सरकार का ग्रामीण मजदूरी बढ़ाने का कोई इरादा नहीं’
मल्लिकार्जुन खरगे ने आगे कहा कि 10 साल बाद, दो करोड़ रोजगार प्रति वर्ष के नारे की मार झेल रहे युवाओं के लिए सीमित घोषणाएं की गई हैं। उन्होने कहा, किसानों के लिए सिर्फ सतही बातें की गई हैं – डेढ़ गुना एमएसपी और आय दोगुनी – सब चुनावी धोखा साबित हुआ! इस सरकार का ग्रामीण मजदूरी बढ़ाने का कोई इरादा नहीं है।

कांग्रेस पार्टी ने भी की बजट की आलोचना
वहीं कांग्रेस पार्टी ने भी केंद्रीय बजट की आलोचना की और कहा कि यह कार्रवाई की तुलना में दिखावे पर अधिक केंद्रित है और दावा किया कि कॉपी-पेस्ट सरकार ने लोकसभा चुनावों के लिए कांग्रेस पार्टी के घोषणापत्र से बहुत कुछ उधार लिया है। विपक्षी दल ने अपने पोस्ट में दावा किया कि सरकार ने चुपचाप स्वीकार किया है कि बड़े पैमाने पर बेरोजगारी एक राष्ट्रीय संकट है, और कहा कि बजट में राजनीतिक मजबूरियां लिखी हुई हैं।