Saturday , April 20 2024

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रामनवमी की शोभा यात्रा पर पथराव, चार घायल; ममता बनर्जी बोलीं- भाजपा राज्य में हिंसा फैला रही

कोलकाता:  पश्चिम बंगाल के पूर्व मिदनापुर में रामनवमी शोभायात्रा के दौरान पथराव में चार लोग घायल हो गए। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि जब रामनवमी शोभायात्रा बुधवार की रात 9:10 बजे इगरा के कॉलेज मोड़ से गुजर रही थी, तब कुछ लोगों ने इस पर पथराव किया। फिलहाल इस मामले में चार लोगों को हिरासत में ले लिया गया है। इससे पहले मुर्शिदाबाद में भी रामनवमी शोभायात्रा के दौरान पथराव को लेकर बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भाजपा पर हिंसा भड़काने का आरोप लगाया।

पुलिस अधिकारी ने बताया कि भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा। उन्होंने कहा, “इलाके में सुरक्षा कड़ी कर दी गई है। हम मामले की जांच कर रहे हैं। चार लोगों को हिरासत में लिया गया है। स्थिति फिलहाल नियंत्रण में है।” भाजपा नेता और मिदनापुर से पार्टी के उम्मीदवार अग्निमित्रा पाल समेत अन्य कार्यकर्ताओं ने इस पथराव का विरोध करते हुए सड़क जाम कर प्रदर्शन किया।

इसके अलावा मुर्शिदाबाद में भी बुधवार को रामनवमी शोभायात्रा के दौरान झड़प होने की घटना सामने आई। शोभायात्रा पर छतों से पथराव होने से करीब 20 लोग घायल हुए हैं। रामनवमी शोभायात्रा पर पथराव को लेकर भाजपा ने बंगाल की सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) को घेरा। इसके साथ ही भाजपा ने राज्य पुलिस पर बदमाशों का साथ देने का आरोप भी लगाया है। भाजपा की बंगाल इकाई ने आरोप लगाया है कि रैली पर पथराव किया गया और दुकानों में तोड़फोड़ की गई। घटना के बाद, इलाके में धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लागू कर दी गई है।

ममता बनर्जी का भाजपा पर आरोप
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने रायगंज में रैली के दौरान राम नवमी के दिन पथराव के पीछे भाजपा को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने रैली को संबोधित करते हुए कहा, “बंगाल में रामनवमी के दौरान भाजपा ने हिंसा फैलाई।” ममता ने दावा किया कि मुर्शिदाबाद जिले में हिंसा की साजिश पहले से ही बनाई गई थी और आरोपी भगवा पार्टी हैं।

उन्होंने बताया कि मुर्शिदाबाद में रामनवमी शोभायात्रा के दौरान विस्फोट हुआ, जिसमें एक महिला की मौत हो गई। सीएम ममता ने कहा कि सब कुछ पूर्व नियोजित था। राम नवमी के एक दिन पहले ही मुर्शिदाबाद के डीआईजी को हटा दिया गया, जिससे कि वे (भाजपा) राज्य में हिंसा भड़का सके।

क्या सुप्रिया श्रीनेत ने मारे गए नक्सलियों को बताया शहीद?, BJP ने लगाया कांग्रेस पर बड़ा आरोप

नई दिल्ली : लोकसभा चुनाव शुरू होने में अब कुछ ही घंटे शेष रह गए हैं। ऐसे में राजनीतिक दल प्रचार करने में कोई भी कसर नहीं छोड़ रहे हैं।अपनी जीत के लिए एक से बढ़कर एक चुनावी वादे किए जा रहे हैं। आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है। अब भाजपा ने गुरुवार को कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा। उसने आरोप लगाया कि कांग्रेस वोट के लिए नक्सलियों की वकालत कर रही है क्योंकि उसने लोकसभा चुनावों में अपनी हार भांप ली है।

चरमपंथियों के खिलाफ कार्रवाई पर सवाल उठाए
भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने आरोप लगाया कि कांग्रेस की प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने छत्तीसगढ़ में सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में मारे गए नक्सलियों को बुधवार को ‘शहीद’ करार दिया और चरमपंथियों के खिलाफ कार्रवाई पर सवाल उठाए। गौरतलब है, छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले में मंगलवार को सुरक्षा बलों ने 29 नक्सलियों को मार गिराया था। पिछले तीन दशकों से नक्सल खतरे का सामना कर रहे राज्य में अब तक की सबसे बड़ी मुठभेड़ है।

कांग्रेस ने वही किया है जो उनसे उम्मीद की जाती
पूनावाला ने कहा, ‘हमने छत्तीसगढ़ में एक बहुत ही महत्वपूर्ण अभियान देखा जिसमें सुरक्षाकर्मियों ने 29 नक्सलियों को मार गिराया। यह वास्तव में सुरक्षा बलों के लिए एक बड़ी उपलब्धि थी। सुरक्षा बलों की कार्रवाई का स्वागत करने के बजाय कांग्रेस ने वही किया है जो उनसे उम्मीद की जाती है। हालांकि, यह विश्वास से परे है कि सबसे पुरानी पार्टी ने दावा किया है कि नक्सली वास्तव में शहीद थे। इसने हमारे सुरक्षा बलों की बहादुरी पर सवाल खड़े कर दिए हैं।’

विपक्षी गठबंधन का असली चेहरा सामने आया
सुप्रिया श्रीनेत ने नक्सलियों को शहीद बताया और उनके प्रति सहानुभूति जताई। पूनावाला ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान एक वीडियो क्लिप भी पेश किया। भाजपा नेता ने कहा कि श्रीनेत ने विपक्षी गठबंधन का असली चेहरा सामने ला दिया है।

मां सफाईकर्मी तो पिता चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी, नौवीं बार में पास की UPSC सिविल सेवा परीक्षा

मुंबई : सफाई कर्मचारी के रूप में काम करने वाली मां के बेटे ने यूपीएससी- 2023 में सफलता हासिल की। हम बात कर रहे हैं ठाणे के रहने वाले प्रशांत सुरेश भोजने की। 32 साल के युवक का हमेशा सपना रहा कि वह संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा उत्तीर्ण करे। मंगलवार को जारी हुए यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा- 2023 के परिणामों की सूची में भोजने का नाम भी था। उन्होंने 849 रैंक हासिल करे। उनका कहना है कि उनके सामने कई मुसीबतें आईं पर उन्होंने सभी परेशानियों का मुकाबला किया और नौवें प्रयास में सफलता हासिल की।

साल 2015 से सिविल सर्विसेज की तैयारी
भोजने ठाणे के खरतन रोड स्थित स्वीपर्स कॉलोनी के रहवासी हैं। उनकी मां ठाणे नगर निगम (टीएमसी) में सफाई कर्मचारी के रूप में कार्यरत हैं। वहीं, उनके पिता नगर निकाय में चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी हैं। उनकी मां ने बताया कि बेटे ने इंजीनियरिंग की है लेकिन उस क्षेत्र में नौकरी करने में दिलचस्पी नहीं दिखाई। वह हमेशा से आईएएस अधिकारी बनना चाहता था। भोजने ने बताया कि उन्होंने साल 2015 से सिविल सर्विसेज की तैयारी शुरू कर दी थी। इस दौरान उन्हें साल 2020 में दिल्ली की एक प्रतियोगी परीक्षा कोचिंग सेंटर में काम मिला, जहां उन्हें छात्रों के मॉक पेपर चेक करने की जिम्मेदारी दी गई।

घर लौटने का दबाव बनाता था परिवार
उन्होंने आगे बताया कि इस तरह मैं अपनी तैयारी के साथ-साथ आजीविका भी चला पा रहा था। उनके माता-पिता पढ़ाई बंद करके वापस घर लौटने का दबाव भी बना रहे थे लेकिन मुझे विश्वास था कि एक दिन मैं अपने लक्ष्य को हासिल कर लूंगा। सुरेश के पिता ने बताया कि बेटे ने परीक्षा पास कर लिया है, इससे मैं बहुत खुश हूं। पहले मुझे लगता था कि वह नौकरी करे लेकिन अब लगता है कि उसने जो फैसला किया वह बिलकुल सही है।

किस वर्ग के कितने उम्मीदवार?
यूपीएसी में सफलता पाने वाले 1016 उम्मीदवारों में 347 सामान्य वर्ग, 115 ईडब्ल्यूएस, 303 अन्य पिछड़ा वर्ग, 165 अनुसूचित जाति और 86 अनुसूचित जनजाति वर्ग से हैं।

आईएएस के लिए 80 उम्मीदवारों का चयन
इस बार आईएएस सेवा के लिए 180 उम्मीदवारों का चयन हुआ है, जिसमें 73 सामान्य वर्ग, 17 ईडब्ल्यूएस, 49 अन्य पिछड़ा वर्ग, 27 अनुसूचित जाति और 14 अनुसूचित जनजाति वर्ग से हैं।

37 उम्मीदवार बनेंगे आईएफएस अफसर
ऐसे ही आईएफएस सेवा के लिए 37 उम्मीदवारों का चयन हुआ है, जिसमें 16 सामान्य वर्ग, 4 ईडब्ल्यूएस, 10 अन्य पिछड़ा वर्ग, 5 अनुसूचित जाति और 2 अनुसूचित जनजाति वर्ग से हैं।

आईपीएस सेवा के लिए 200 उम्मीदवारों का चयन
इसके साथ आईपीएस सेवा के लिए 200 उम्मीदवारों का चयन हुआ है, जिसमें 80 सामान्य वर्ग, 20 ईडब्ल्यूएस, 55 अन्य पिछड़ा वर्ग, 32 अनुसूचित जाति और 13 अनुसूचित जनजाति वर्ग से हैं।

आईटीसीएम और आईटीआर मिसाइल का उड़ान परीक्षण सफल, ओडिशा के चांदीपुर से हुई लॉन्चिंग, सुखोई से रखी गई नजर

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने स्वदेशी प्रौद्योगिकी क्रूज मिसाइल (आईटीसीएम) और एकीकृत परीक्षण रेंज (आईटीआर) मिसाइल का सफल उड़ान परीक्षण किया। इनकी लॉन्चिंग ओडिशा के तटीय क्षेत्र चांदीपुर से की गई।

भारतीय वायुसेना ने भी की मदद
रक्षा मंत्रालय की ओर से जारी की गई विज्ञप्ति के अनुसार, परीक्षण के दौरान सभी सिस्टम से अपेक्षा के अनुसार प्रदर्शन किया। मिसाइल की निगरानी के लिए आईटीआर ने पूरे उड़ान मार्ग को विभिन्न रडार, इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल ट्रैकिंग सिस्टम, टेलीमेट्री और कई रेंज सेंसर से लैस कर दिया था। मिशन में भारतीय वायुसेना ने भी सहायत की। सुखोई एसू-30 एमके-1 से भी पूरे उड़ान की निगरानी की गई थी।

डीआरडीओ ने विकसित की मिसाइल
बयान के अनुसार, बेहतर और अधिक विश्वसनीय प्रदर्शन सुनिश्चित करने के लिए मिसाइल को उन्नत एवियोनिक्स और सॉफ्टवेयर से लैस किया गया है। मिसाइल को बेंगलुरु स्थित डीआरडीओ प्रयोगशाला एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एस्टेब्लिशमेंट (एडीई) सहित अन्य प्रयोगशालाओं और भारतीय उद्योगों के साथ संयुक्त रूप से विकसित किया गया है।

रक्षा मंत्री और ओडिसा के मुख्यमंत्री ने दी शुभकामनाएं
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आईटीसीएम के सफल उड़ान परीक्षण के लिए डीआरडीओ को बधाई दी। उन्होंने कहा कि स्वदेशी प्रणोदन प्रणाली द्वारा संचालित स्वदेशी लंबी दूरी की सबसोनिक क्रूज मिसाइल का सफल परीक्षा डीआरडीओ के लिए एक मील का पत्थर है। वहीं, ओडिशा के सीएम नवीन पटनाक ने भी डीआरडीओ को बधाई दी है। रक्षा विभाग के आरएंडडी सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष समीर वी कामत ने लॉन्चिंग की सफलता के लिए डीआरडीओ की पूरी टीम को बधाई दी है।

पुरुषों से आगे निकल जाएंगी महिला मतदाता, लोकसभा और विधानसभा चुनावों में तेजी से बढ़ी संख्या

केंद्र सरकार की कल्याणकारी योजनाओं की बदौलत लोकसभा और विधानसभा चुनावों में महिला मतदाताओं की संख्या तेजी से बढ़ी है। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की रिसर्च की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले पांच वर्षों में जिन 23 बड़े राज्यों में चुनाव हुए हैं, उनमें से 18 राज्यों में पुरुषों से ज्यादा महिला मतदाताओं ने मतदान किया। इन 18 में से 10 राज्यों में दोबारा वही सरकार आई, जो पहले से थी। देश की राजनीति में गेम चेंजर साबित होने वाली महिला मतदाता 2029 के चुनाव में पुरुषों से ज्यादा मतदान करेंगी। मताधिकार का इस्तेमाल करने वाले कुल 73 करोड़ मतदाताओं में 37 करोड़ महिलाएं ही होंगी।

17वीं लोकसभा में कुल सांसदों में केवल 15 फीसदी सांसद महिलाएं थीं। पहली लोकसभा में यह संख्या 5 फीसदी थी। रिपोर्ट के मुताबिक, इस बार के चुनाव में कुल मतदाताओं की संख्या 96.8 करोड़ है। कुल 68 करोड़ लोग मताधिकार का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसमें 33 करोड़ यानी 49 फीसदी महिला मतदाता होंगी। 85.3 लाख महिलाएं पहली बार मतदान करेंगी। रिपोर्ट के मुताबिक, 2047 तक (2049 में संभावित चुनाव) महिला मतदाताओं की संख्या बढ़कर 55 फीसदी (50.6 करोड़) जबकि पुरुषों की संख्या घटकर 45 फीसदी (41.4 करोड़) हो जाएगी। इस दौरान कुल 115 करोड़ मतदाता होंगे। इनमें 80 फीसदी लोग यानी 92 करोड़ मतदान कर सकते हैं।

धार्मिक नारों को लेकर कार सवार तीन युवकों से मारपीट, बाइक सवार दो लोगों ने की अभद्रता; मामला दर्ज

देश में एक बार फिर धार्मिक नारों को लेकर दो समुदायों में जमकर बहसबाजी हुई। बहस इतनी बढ़ गई की हाथापाई होने लगी, हाथापाई में दो लोग घायल हो गए। मामले की जानकारी मिलने पर मौके पर पहुंची पुलिस ने दो मुख्य आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। बुधवार को दोपहर बंगलूरू में दो समुदाय के बीच धार्मिक नारों को लेकर लड़ाई हो गई है। जहां तीन लोग दोपहर में तीन लोग कार में सवार हो कर बाइक की सेल का पता करने जा रहे थे। उनकी कार पर झंडा भी लगा हुआ था। रास्ते पर वे धार्मिक नारे लगाते हुए जा रहे थे।

इसी बीच रास्ते में दो बाइक सवार लोगों ने आकर उनको रोका। धार्मिक नारे लगाने को मना किया। यह पूछने पर कि उन्हें इससे क्या समस्या है बाइक सवारों ने कहा कि उनके धर्म के नारे लगाओ। इसके अलावा बाइक सवार ने उन तीन लड़कों के साथ से झंडा भी छीनने लगे। तीनों लड़कों ने गुस्से में आकर उन पर चिल्लाना शुरू कर दिया। और उनको पीटने के मकसद से कार से बाहर निकले, तो दोनों बाइकसवार भाग खड़े हुए। उनके जाने के बाद तीनों कार में बैठ गए। तभी पीछे बाइकसवार लड़कों ने पैदल आकर दोनों पर डंडे से हमला कर दिया। इसी बीच दो अन्य लोग भी उनके साथ आ गए और तीनों कार में बैठे लड़कों पर वार कर दिया। दोनों समुदाय के लोगों बीच जमकर मारपीट हुई।

मारपीट के दौरान कार में बैठे तीन में से दो लोगों को गंभीर चोटें आई, एक की नाक पर चोट लगी और दूसरे के सिर पर। झगड़े की जानकारी मिलने पर पुलिस मौके पर पहुंच गई, पुलिस को देख चारों हमलावर भाग खड़े हुए। पुलिस तीनों कार सवार को थाने लेकर पहुंची, तीनों की शिकायत दर्ज करने के बाद पुलिस ने हमलावरों को ढूंढना शुरू कर दिया। वहीं घायल दोनों लड़कों को अस्पताल पहुंचाया।

पुलिस ने उनमें से दो मुख्य आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। इसके अलावा दो अन्य संदिग्ध नाबालिगों को भी हिरासत में लिया है। पुलिस उपायुक्त लक्ष्मी प्रसाद ने बताया कि आईपीसी की धारा 295 (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना), 298 (जानबूझकर धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना), 324 (जानबूझकर चोट पहुंचाना), 506 (आपराधिक धमकी) के तहत मामला दर्ज किया गया है।

मस्क की PM से मुलाकात 22 अप्रैल को, अरबों डॉलर का निवेश; सरकार ने FDI सीमा बढ़ाकर 100% की

ई-वाहन निर्माता कंपनी टेस्ला के प्रमुख एलन मस्क सोमवार 22 अप्रैल को भारत दौरे पर रहेंगे और इस दौरान वह यहां दो से तीन अरब डॉलर के निवेश की घोषणा कर सकते हैं। इसके जरिये यहां एक फैक्टरी निर्माण किया जाएगा। इस दौरे में सोमवार को ही मस्क की मुलाकात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से होनी है। हालांकि मस्क के भारत दौरे और इस दौरान होने वाली गतिविधियों को लेकर कोई विस्तृत आधिकारिक जानकारी नहीं साझा की जा रहा है।

मस्क ने सोशल मीडिया पर यह बताया है कि वह भारत आने वाले हैं और वहां पीएम मोदी से मिलेंगे। भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा वाहन निर्माता देश है लेकिन ई वाहन उद्योग यहां अब भी शैशव काल में ही है। 2023 में देश में कुल वाहन बिक्री में ईवी की हिस्सेदारी सिर्फ दो फीसदी थी लेकिन सरकार 2023 तक इस हिस्सेदारी को 30 फीसदी तक ले जाने की योजना बना रही है। मस्क के दौरे से जुड़े सूत्रों ने बताया कि टेस्ला के मालिक भारत में अपने निवेश की राशि का खुलासा भले ही करें लेकिन यह निवेश कब तक होगा और देश के किस राज्य में होगा इसका खुलासा शायद अभी न किया जाए।

ई-वाहनों पर आयात शुल्क घटाने की कर रहे मांग
मस्क लंबे समय से भारत में ई वाहनों पर भारी-भरकम आयात शुल्क कम करने की मांग कर रहे हैं। भारत सरकार ने इस वर्ष मार्च में ईवाहन के कुछ मॉडलों पर आयात शुल्क 100 फीसदी से घटाकर 15 फीसदी करने की घोषणा की है बशर्ते कार निर्माता भारत में फैक्टरी लगाने के लिए कम से कम 50 करोड़ डॉलर का निवेश करें।

मस्क के दौरे से पहले स्पेस क्षेत्र में 100% एफडीआई नियम अधिसूचित
टेस्ला के मालिक एलन मस्क के 22 अप्रैल को भारत दौरे से पहले ही वित्त मंत्रालय ने सेटेलाइट संबंधी गतिविधियों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश यानी एफडीआई की सीमा बढ़ाकर 100% कर दी है। नियमों में संशोधन के लिए अधिसूचना जारी कर दी गई है। इससे पहले केंद्रीय कैबिनेट ने स्पेस क्षेत्र में कुछ गतिविधियों के लिए ऑटोमेटिक रूट के जरिये एफडीआई सीमा 100 फीसदी तक बढ़ाने को मंजूरी दी थी। इन गतिविधियों में सेटेलाइट से जुड़े कलपुर्जे और अन्य सिस्टम का विनिर्माण शामिल हैं। निवेश करने वाली कंपनी को भारतीय स्पेस विभाग के समय-समय पर जारी दिशानिर्देशों का पालन भी करना होगा। सेटेलाइट मैन्युफैक्चरिंग, सेटेलाइट डेटा उत्पाद और ग्राउंड व यूजर सेगमेंट के लिए 75 फीसदी निवेश की मंजूरी है।

केंद्र ने कोर्ट में पूर्व पीएम राव और मनमोहन सिंह की तारीफ की, कहा- लाइसेंस राज से मुक्ति दिलाई

केंद्र सरकार ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में पूर्व पीएम नरसिम्हा राव और उनके तत्कालीन वित्त मंत्री मनमोहन सिंह की तारीफ की। उसने सन् 1991 में आर्थिक उदारीकरण की शुरुआत करने के लिए राव और सिंह की सराहना की। अदालत में सरकार ने कहा कि इस कदम से प्रभावी रूप लाइसेंस राज का युग समाप्त हो गया।

नौ न्यायाधीशों की पीठ ने की सुनवाई
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली नौ न्यायाधीशों की पीठ को सूचित किया कि राव और सिंह द्वारा पेश किए गए आर्थिक सुधारों ने कंपनी कानून और व्यापार व्यवहार अधिनियम एमआरटीपी सहित कई कानूनों को उदार बनाया है। हालांकि, उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि अगले तीन दशकों में बाद की सरकारों ने उद्योग (विकास और विनियमन) अधिनियम, 1951 में संशोधन की आवश्यकता नहीं समझी।

आईडीआरए अछूता रहा
दरअसल, तुषार मेहता पीठ के एक सवाल का जवाब दे रहे थे। पीठ ने आईडीआरए- 1951 की आलोचना करते हुए इसे पुरातनपंथी और ‘लाइसेंस राज’ युग बताया। इस पर मेहता ने जोर देकर कहा कि आर्थिक सुधारों के जरिए लाई गई बदलाव की बयार के बावजूद आईडीआरए अछूता रहा, जिससे केंद्र का विभिन्न उद्योगों पर नियंत्रण बरकरार रहा। हालांकि, समय बीतने के साथ, केंद्र सरकार ने उनमें से अधिकांश को रेगुलेट करना छोड़ दिया। उन्होंने कहा, लेकिन केंद्र की तरफ से उद्योगों पर नियंत्रण छोड़ने का मतलब यह नहीं है कि उसके पास उन्हें रेगुलेट करने की शक्ति नहीं है।

तीन परिवर्तनकारी आर्थिक सुधार पेश किए
सन 1991 में विदेशी मुद्रा भंडार संकट का सामना करते हुए नरसिम्हा राव के नेतृत्व वाली सरकार ने तीन परिवर्तनकारी आर्थिक सुधार पेश किए, जो निम्न हैं।

  • वैश्वीकरण
  • उदारीकरण
  • निजीकरण

कोविड में मिली थी मदद
राष्ट्रीय हित में और कोविड-19 महामारी जैसे हालातों में केंद्र की तरफ से इस नियामक नियंत्रण को बरकरार रखा गया था। मेहता ने कहा कि अगर केंद्र सरकार के पास औद्योगिक अल्कोहल को रेगुलेट करने और इसके अधिकांश हिस्से को कोविड के दौरान हैंड सैनिटाइजर बनाने के लिए उपयोग करने का निर्देश देने की शक्ति नहीं होती तो संकट खड़ा हो जाता है।। उन्होंने कहा कि केंद्र उद्योगों पर अपनी रेगुलेट करने की शक्ति बरकरार रखता है, हालांकि वह इसका प्रयोग नहीं कर सकता है। यह उन स्थितियों से उत्पन्न होने वाली अप्रत्याशित जरूरतों को पूरा करने के लिए जो अभी विचार के दायरे में नहीं हैं।

फ्लिपकार्ट, टाटा और बिग बास्केट के खिलाफ शिकायत; मतदान के दिन भी काम कराने को लेकर EC पहुंचा मामला

नई दिल्ली : 19 अप्रैल को मतदान के दिन डिलीवरी बॉय से काम कराने को लेकर ई-कॉमर्स कंपनी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई गई है। चुनाव आयुक्त ने मामले पर जवाब मांगा है। ई-कामर्स कंपनियों के मतदान के लिए भी गारंटी के डिलीवरी के वादों ने उनको चुनाव आयोग के निर्देशों के उल्लंघन के मामलों में फंसा दिया है। दरअसल चुनाव आयोग की ओर से मतदान के दिन मतदान के लिए सभी कर्मचारियों को सवैतनिक अवकाश देने के निर्देश को सख्ती से पालन करने का कहा गया था। लेकिन बुधवार को तमिलनाडु राज्य चुनाव आयुक्त बी कोठी निर्मलसामी के समक्ष एक शिकायत दर्ज की गई।

जिसमें बताया गया कि राज्य सरकार द्वारा चुनाव के दिन 19 अप्रैल को छुट्टी की घोषणा होने के बाद भी फ्लिपकार्ट, बिगबास्केट ऑर्डर की गारंटी के साथ डिलीवरी का वादा कर रहे हैं। जबकि तमिलनाडु के श्रम कल्याण और कौशल विकास विभाग ने मतदाने प्रतिशत बढ़ाने और लोकतांत्रिक प्रक्रिया में भागीदारी बढ़ाने के लिए दुकानों, वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों और औघोगिक प्रतिष्ठानों और आईटी कंपनियों के सभी कर्मचारियों का सवैतनिक अवकाश घोषित किया है।

उन्होंने दलील दी कि निर्देश के बावजूद फ्लिपकार्ट और बिग बास्केट जैसे ऑनलाइन डिलीवरी प्लेटफार्म 19 अप्रैल को डिलीवरी की गारंटी कैसे दे रहे हैं। यह कर्मचारियों के अधिकारों का हनन भी है साथ ही आदेश का उल्लंघन भी। शिकायतकर्ता ने मतदान के दिन गारंटीकृत डिलीवरी के ई-कॉमर्स के दावों की जांच करने और सभी श्रमिकों के लोकतांत्रिक अधिकारों को बनाए रखने के लिए उचित कदम उठाने की मांग की है।

चुनाव के दिन सवैतनिक अवकाश के हैं निर्देश
चुनावी प्रक्रिया को सुगम बनाने के लिए अधिनियम 1881 की धारा 25 के तहत आधिकारिक तौर पर सार्वजनिक अवकाश घोषित किया गया है। यह अवकाश सवैतनिक अवकाश होगा। यह आदेश सभी दुकानों, वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों और औघोगिक प्रतिष्ठानों और आईटी कंपनियों के सभी कर्मचारियों के लिए है।

अखिलेश-डिंपल दोनों ने उपचुनाव से शुरू की सियासी पारी, पति-पत्नी के नाम है अनोखा रिकॉर्ड

कन्नौज:अब तक 16 बार लोकसभा चुनाव की गवाह रही इत्रनगरी दो बार उपचुनाव की प्रक्रिया से भी गुजरी है। दोनों ही उपचुनाव सपा सांसदों के इस्तीफे के बाद हुए। खास बात यह रही कि दोनों ही बार सपा के ही सांसद निर्वाचित हुए। पहली बार हुए उपचुनाव में सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव यहां से पहली बार सांसद बने। दूसरी बार हुए उपचुनाव में पत्नी डिंपल यादव यहां से निर्विरोध सांसद निर्वाचित हुईं।

कन्नौज संसदीय सीट पर हुए 16 चुनावों के दौरान सात बार समाजवादी पार्टी का कब्जा रहा है। वर्ष 1998-2014 के बीच हुए सभी चुनाव में सपा को लगातार कामयाबी मिलती रही है। वर्ष 2019 में भाजपा की जीत के बाद यह सिलसिला टूटा। पहली बार उपचुनाव वर्ष 2000 में तब हुआ, जब 1999 में यहां से सांसद बने मुलायम सिंह यादव ने इस्तीफा दिया था। तब मुलायम सिंह यादव कन्नौज के साथ ही संभल से भी लड़े थे। दोनों जगह जीत मिलने पर उन्होंने कन्नौज सीट से इस्तीफा दे दिया था।

उनके इस्तीफा से खाली हुई सीट पर अखिलेश यादव पहली बार सियासत के मैदान में आए। जनता के दरबार में हाजिरी लगाकर वह दिल्ली तक पहुंचने में कामयाब भी हुए। उसके बाद वह लगातार तीन बार सांसद बने। वर्ष 2009 में वह तीसरी बार सांसद बने। उसके तीन साल बाद वर्ष 2012 में सूबे की सपा की सरकार बनी तो अखिलेश यादव मुख्यमंत्री बने। ऐसी सूरत में उन्हें इस सीट से इस्तीफा देना पड़ा। उनकी खाली हुई सीट पर पत्नी डिंपल यादव यहां से उम्मीदवार बनीं। उस चुनाव में वह निर्विरोध सांसद निर्वाचित हुईं। यह इस सीट पर एक रिकॉर्ड है।

चार बार लोकसभा चुनाव लड़े अखिलेश, हर बार जीते
अखिलेश यादव अब तक चार बार लोकसभा का चुनाव लड़ चुके हैं। कन्नौज में उन्होंने वर्ष 2000, 2004 और 2009 में ताल ठोकी और कामयाब भी हुए। वर्ष 2012 से 2017 तक सूबे का मुख्यमंत्री रहने के दौरान वह लोकसभा चुनाव से दूर रहे। 2019 में उन्होंने आजमगढ़ संसदीय सीट से किस्मत आजमाई और वहां भी जीत हासिल की।

तीन सीट से चुनाव लड़ीं डिंपल, हर बार उपचुनाव से इंट्री
इस समय मैनपुरी की सांसद डिंपल यादव अब तक तीन बार चुनाव जीत चुकी हैं। एक खास बात यह है कि उन्होंने तीन सीट से किस्मत आजमाई है। तीनों ही बार नई सीट पर उनकी इंट्री उपचुनाव से हुई है। पहली बार फिरोजाबाद, उसके बाद कन्नौज और अब मैनपुरी से मैदान में हैं।