Wednesday , December 4 2024

विदेश

यूक्रेन-रूस और इस्राइल-हमास युद्ध से हथियारों की बिक्री बढ़ी, 4.2 फीसदी का हुआ इजाफा

स्टॉकहोम:  दुनिया में छिड़े दो बड़े युद्धों से हथियार बाजार में गरमा-गरमी है। कोरोना काल के बाद भड़के यूक्रेन-रूस युद्ध और पिछले साल अक्तूबर में इस्राइल-हमास युद्ध के बाद हथियारों का बाजार तैयार हो गया है। पिछले साल 632 अरब डॉलर के हथियारों और सैन्य सेवाओं की बिक्री हुई थी। यानी की 4.2 फीसदी अधिक। यह दावा स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (एसआईपीआरआई) की एक रिपोर्ट में किया गया है।

पिछले साल 4.2 फीसदी की हुई ब्रिकी

रिपोर्ट के अनुसार, पिछले साल यूक्रेन और गाजा में हो रहा युद्ध तथा एशिया में तनाव के कारण प्रमुख हथियार निर्माताओं की बिक्री में वृद्धि हुई थी, जबकि रूस और मध्य पूर्व में स्थित निर्माताओं के लिए उल्लेखनीय वृद्धि हुई थी। एसआईपीआरआई का कहना है कि दुनिया की 100 सबसे बड़ी हथियार कंपनियों द्वारा हथियारों और सैन्य सेवाओं की बिक्री 2023 में कुल 632 अरब डॉलर थी, जो 4.2 प्रतिशत अधिक थी।

पहली बार एक अरब डॉलर की बिक्री की थी

आगे बताया गया कि 2022 में राजस्व में गिरावट आई थी क्योंकि वैश्विक हथियार निर्माताओं को मांग में वृद्धि को पूरा करने के लिए संघर्ष करना पड़ा था, लेकिन उनमें से कई पिछले साल उत्पादन बढ़ाने में कामयाब रहे। मांग में इस उछाल के संकेत में, सभी 100 कंपनियों ने पिछले साल पहली बार एक अरब डॉलर से अधिक की बिक्री हासिल की।

खैबर पख्तूनख्वा में कई दिनों से मचा बवाल थमेगा? अलीजाई-बागान समुदाय संघर्ष विराम समझौते पर सहमत

इस्लामाबाद: पाकिस्तान के उत्तर-पश्चिमी प्रांत खैबर पख्तूनख्वा में बीते कुछ दिनों से बवाल मचा हुआ था। अलीजाई और बागान समूहों के बीच गोलीबारी जारी थी। हालांकि, अब दो युद्धरत जनजातियों के बीच संघर्ष विराम समझौता हो गया है। मगर, पिछले कई दिनों से जारी खुर्रम कबायली सांप्रदायिक हिंसा में 130 लोगों की जान चली गई।

उपायुक्त कुर्रम जवेदुल्ला महसूद ने रविवार को पुष्टि की कि अशांत कुर्रम जिले के संघर्षरत क्षेत्रों में शांति स्थापित हो गई है।

22 नवंबर को शुरू हुआ था संघर्ष

जिले में अलीजाई और बागान समुदायों के बीच संघर्ष 22 नवंबर को शुरू हुआ था। इससे एक दिन पहले पाराचिनार के पास यात्री गाड़ियों के काफिले पर हमला हुआ था, जिसमें 47 लोग मारे गए थे। गंभीर रूप से घायल हुए कई यात्रियों ने बाद में दम तोड़ दिया था, जिससे मरने वालों की संख्या बढ़कर 57 हो गई थी। बागान बाजार क्षेत्र से शुरू हुई हिंसा में पिछले दो दिनों में कम से कम 37 लोग मारे गए और कई अन्य घायल हुए। यह हिंसा बालिशखेल, खार, काली, जुंज अलीजई और मकबल जैसे अन्य हिस्सों में फैल गई।

जिरगा सड़कों को खोलने के लिए करेगी बात

महसूद ने कहा कि जिला प्रशासन ने रविवार को दो युद्धरत जनजातियों के बीच एक स्थायी युद्ध विराम कराने में सफलता हासिल कर ली है। उन्होंने आगे कहा कि जिरगा (आदिवासी नेताओं की परिषद) सड़कों को फिर से खोलने और शांति समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए बुजुर्गों से बात करेगी। सशस्त्र आदिवासियों को गोलीबारी चौकियों से हटा दिया गया है, जबकि क्षेत्र में पुलिस और सुरक्षा बलों को तैनात किया गया है।

अगले साल की शुरुआत में भारत आएंगे रूसी राष्ट्रपति पुतिन, प्रधानमंत्री मोदी ने भेजा है न्योता

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन अगले साल की शुरुआत में भारत का दौरा करेंगे। हालांकि अभी तक पुतिन के दौरे की तारीख तय नहीं है। रूसी राष्ट्रपति, भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को न्योते पर भारत आ रहे हैं। रूसी दूतावास ने यह जानकारी दी है। क्रेमलिन के प्रवक्ता यूरी उशाकोव ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि ‘हमारे नेता की साल में एक बार बैठक करने का समझौता है। इस बार हमारी बारी है। हमें प्रधानमंत्री मोदी का न्योता मिला है और हम इस पर गंभीरता से विचार कर रहे हैं। अगले साल की शुरुआत में कोई तारीख तय हो सकती है।’

मीडिया को मानते हैं यूएस का सबसे ताकतवर दुश्मन, कश पटेल के राम मंदिर पोस्ट ने बटोरीं थी सुर्खियां

डोनाल्ड ट्रंप ने भारतीय मूल के कश पटेल को बड़ी जिम्मेदारी सौंपते हुए संघीय जांच एजेंसी एफबीआई का नया निदेशक नियुक्त किया है। कश पटेल की नियुक्ति अमेरिका में अच्छी खासी सुर्खियां बटोर रही है और इसकी वजह है कश पटेल का अमेरिकी मीडिया और न्याय विभाग को लेकर नजरिया। कश पटेल अमेरिकी मीडिया को देश का सबसे ताकतवर दुश्मन मानते हैं। एक बातचीत के दौरान कश पटेल ने अमेरिकी मीडिया के खिलाफ बड़ी कार्रवाई के संकेत दिए थे। अब जब वह एफबीआई निदेशक बन गए हैं तो उनके फैसलों पर सभी की निगाहें होंगी।

मीडिया को मुखर आलोचक माने जाते हैं कश पटेल

साल 2023 में एक इंटरव्यू के दौरान कश पटेल ने कहा था कि सत्ता में आने पर वे कानूनों में ऐसा बदलाव करेंगे, जिसके बाद पत्रकारों के खिलाफ भी मुकदमा करना आसान हो जाएगा। कश पटेल ने कहा था कि वे न सिर्फ सरकार में बल्कि मीडिया में भी मौजूद साजिशकर्ताओं को बेनकाब करेंगे और उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करेंगे। सूचना लीक करने के मामलों में भी कश पटेल ने दोषी पत्रकारों के खिलाफ कार्रवाई की बात कही थी। कश पटेल ने कहा था कि मीडिया मे मौजूद जिन लोगों ने अमेरिकी नागरिकों से जो बाइडन की राष्ट्रपति चुनाव में धोखाधड़ी के बारे में झूठ बोला था, उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी। साल 2016 में डोनाल्ड ट्रंप के चुनाव में कथित रूसी हस्तक्षेप की जांच के दौरान कश पटेल ने कहा था कि मीडिया अमेरिका का अब तक का सबसे बड़ा दुश्मन है।

एफबीआई में कर सकते हैं बड़े बदलाव

कश पटेल एफबीआई की मौजूदा व्यवस्था के भी मुखर आलोचक हैं। एक टीवी शो के दौरान कश पटेल (44 वर्षीय) ने एफबीआई में आमूलचूल परिवर्तन करने की बात कही। जिसमें एफबीआई के खुफिया जानकारी जुटाने से रोकने और एफबीआई मुख्यालय का फिर से निर्माण कश पटेल की प्राथमिकता में है। कश पटेल का कहना है कि वह एफबीआई अधिकारियों के फील्ड में उतरकर जांच करने के पक्ष में हैं। साथ ही उन्होंने एफबीआई के नए मुख्यालय को राजधानी वॉशिंगटन डीसी के बाहर बनाने की योजना बनाने की बात कही थी ताकि एफबीआई को राजनीतिक प्रभाव से दूर रखा जा सके।

ट्रंप की ब्रिक्स देशों को चेतावनी, कहा- अमेरिकी डॉलर की जगह कोई और मुद्रा अपनाई तो लगेगा 100% टैरिफ

डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के राष्ट्रपति के रूप में निर्वाचित हो चुके हैं। वह अगले साल 20 जनवरी को पदभार संभालेंगे। इस बीच, ट्रंप ने शनिवार को ब्रिक्स देशों को चेतावनी दी है। उन्होंने ब्रिक्स देशों से कहा कि अगर उन्होंने अमेरिकी डॉलर के बजाय कोई और मुद्रा अपनाई तो उन पर 100% टैरिफ लगाया जाएगा। चेतावनी के साथ ही ट्रंप ने नौ सदस्यीय समूह से प्रतिबद्धता मांगी है, जिसमें भारत, रूस, चीन और ब्राजील शामिल हैं।

ब्रिक्स का गठन 2009 में किया गया था। यह एकमात्र प्रमुख अंतरराष्ट्रीय समूह है, जिसका संयुक्त राज्य अमेरिका हिस्सा नहीं है। इसके अन्य सदस्य दक्षिण अफ्रीका, ईरान, मिस्र, इथियोपिया और संयुक्त अरब अमीरात हैं। पिछले कुछ वर्षों में ब्रिक्स के कुछ सदस्य देश, विशेष रूप से रूस और चीन, अमेरिकी डॉलर का विकल्प तलाश रहे हैं या यूं कहें कि वह अपनी ब्रिक्स मुद्रा बना रहे हैं। हालांकि, भारत अब तक रूस और चीन के इस कदम का हिस्सा नहीं रहा है।

ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया मंच पर पोस्ट कर दी चेतावनी

ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया मंच ट्रुथ सोशल पर एक पोस्ट किया, जिसमें उन्होंने कहा, ‘यह विचार कि ब्रिक्स देश डॉलर से दूर जाने की कोशिश कर रहे हैं। हमें इन देशों से एक प्रतिबद्धता की आवश्यकता है कि वे न तो एक नई ब्रिक्स मुद्रा बनाएंगे, न ही अमेरिकी डॉलर को बदलने के लिए किसी अन्य मुद्रा का समर्थन करेंगे। अगर ये देश ऐसा करने की सोचते हैं तो उन्हें 100% टैरिफ का सामना करना पड़ेगा।’

2004 में शेख हसीना की रैली पर हमले के मामले में हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, सभी आरोपी बरी

बांग्लादेश की हाईकोर्ट ने रविवार को निचली अदालत के फैसले को खारिज करते हुए 2004 में अवामी लीग की नेता शेख हसीना की रैली पर हुए ग्रेनेड हमले के सभी आरोपियों को बरी कर दिया। इनमें पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया के बेटे तारीक रहमान और पूर्व राज्य मंत्री लुत्फोज्जमान बाबर भी शामिल हैं। अटॉर्नी जनरल के कार्यालय के एक प्रवक्ता ने बताया कि हाईकोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को रद्द कर दिया और तारीक रहमान सहित सभी दोषियों को बरी कर दिया।

तारीक रहमान बांग्लादेश राष्ट्रवादी पार्टी (बीएनपी) के कार्यकारी अध्यक्ष हैं। उन्हें 2004 के इस हमले में आरोपी बनाया गया था। हमले में 24 लोगों की मौत हो गई थी और करीब 300 लोग घायल हुए थे। यह हमला ढाका के बंगबंधु एवेन्यू पर अवामी लीग की रैली में हुआ था। जस्टिस ए.के.एम. असदुज्जमान और जस्टिस सैयद इनायत हुसैन की पीठ ने सभी 49 आरोपियों को बरी कर दिया और कहा कि निचली अदालत का फैसला ‘गैरकानूनी’ था।

हाईकोर्ट ने मौत और हमले से जुड़े मामलों में दायर अपीलों पर सुनवाई की, जिसके बाद यह फैसला दिया। निचली अदालत ने इस मामले में एक आरोपी मुंशी अब्दुल हन्नान के कबूलनामे पर फैसला सुनाया था, जो प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन हरकत-उल-जिहाद अल-इस्लामी (एचयूजेआई) से जुड़ा हुआ था। हन्नान को एक अन्य मामले में फांसी की सजा दी जा चुकी है। हाईकोर्ट ने कहा कि आरोपी का कबूलनामा कोई प्रमाण नहीं है, क्योंकि यह दबाव दिया गया था और मजिस्ट्रेट ने इसकी ठीक से जांच नहीं की थी।

स्ट्रीटलाइट की रोशनी से बनीं आसमान से उतरते खंभों जैसी आकृति, जानें कहां दिखा अद्भुत नजारा

कनाडा के सेंट्रल अल्बर्टा में स्थानीय नागरिकों ने एक बहुत ही अद्भुत दृश्य का अनुभव किया। दरअसल, कुछ प्रकाश के स्तंभों से रात को रौशन कर दिया। इन झिलमिलाती किरणों को अकसर असाधारण गतिविधि समझा जाता है, लेकिन यह वास्तव में बदलते मौसम के कारण बनने वाली एक आकर्षक प्राकृतिक ऑप्टिकल भ्रम है। प्रकाश स्तंभ तब बनता है जब स्ट्रीटलाइट और बिल्डिंग लाइट वायुमंडल में छोटे हेक्सागोनल बर्फ के टुकड़ों से टकराते हैं। ये बर्फ के क्रिस्टल जमीन पर दर्पण की तरह काम करते हैं।

यह एक ऑप्टिकल भ्रम है, जहां प्रकाश की किरणें आसमान में ऊंची उड़ान भरती हुई दिखती है, जिससे एक झिलमिलाता हुआ अलौकिक प्रदर्शन का अनुभव होता है। इन प्रकाश स्तंभों का स्वरुप रहस्यमय लगता है, लेकिन इसका असाधारण गतिविधियों से कोई लेना-देना नहीं है। इसका अनुभव अकसर सर्दी के मौसम में ही होता है, जब तापमान ने तेजी से नीचे गिरने लगता है। कनाडा, रूस और स्कैंडिनेविया के कुछ स्थानों में इसका अनुभव किया गया है।

मौसम वैज्ञानिकों का मानना है कि प्रकाश स्तंभ आसमान में वास्तविक संरचनाएं नहीं बल्कि पूरी तरह से ऑप्टिकल भ्रम हैं। ये बर्फ के क्रिस्टल से प्रकाश के प्रतिबिंब द्वारा निर्मित होते हैं। अलबर्टा में ठंडे तापमान और ठंडी हवाओं का सामना करने वालों के लिए यह एक सहस्यमय सुंदरता की पहचान है। यह नजारा बर्फीले परिदृश्य को पूरी तरह से बदल देता है।

वकील की हत्या मामले में नौ लोग गिरफ्तार, 46 के खिलाफ दर्ज किया गया था मुकदमा

बांग्लादेश के चटगांव में वकील की हत्या के मामले में पुलिस से नौ लोगों को गिरफ्तार किया है। आरोपियों से पूछताछ की जा रही है। वहीं वकील के पिता की शिकायत पर 46 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था। बताया जाता है कि गिरफ्तार किए गए लोगों में से अधिकतर अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय के सफाई कर्मचारी थे।

दरअसल बांग्लादेश में इस्कॉन के नेता चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के विरोध में जगह-जगह प्रदर्शन हुए थे। इस दौरान मंगलवार को चटगांव में चिन्मय कृष्ण दास के समर्थकों और सुरक्षाकर्मियों के बीच झड़प के दौरान सहायक लोक अभियोजक और चटगांव बार एसोसिएशन के सदस्य अधिवक्ता सैफुल इस्लाम आरिफ (30) की हत्या कर दी गई थी।

चटगांव के कोतवाली प्रभारी अधिकारी अब्दुल करीम ने कहाकि सैफुल इस्लाम के पिता ने कल रात 46 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कराया है। अधिकतर आरोपी शहर की सेबोक कॉलोनी के निवासी हैं, जो हिंदू समुदाय के सफाई कर्मचारियों का केंद्र है। नौ आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है तथा अन्य की गिरफ्तारी के प्रयास जारी हैं।

उन्होंने कहा कि आरोपियों की पहचान अदालत परिसर के सीसीटीवी फुटेज के जरिये की गई। चंदन दास नामक व्यक्ति मुख्य आरोपी है। जो सीसीटीवी में वकील पर धारदार हथियार से हमला करते नजर आ रहा है। वकील की हत्या के बाद देश भर में आक्रोश फैल गया। वकील और राजनीतिक दल सड़कों पर उतर आए। उन्होंने वकील इस्लाम के हत्यारों के खिलाफ कड़ी दंडात्मक कार्रवाई की मांग की। जबकि कुछ ने कहा कि इस्कॉन बांग्लादेश पर प्रतिबंध लगाया जाए।

चिन्मय प्रभु को किया गया था गिरफ्तार

बांग्लादेश पुलिस ने सोमवार को देशद्रोह और सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने के आरोप में चिन्मय प्रभु को ढाका एयरपोर्ट से गिरफ्तार कर लिया था। इसके खिलाफ हिंदू समुदाय के लोग ढाका की सड़कों पर उतर पड़े और जाम लगा दिया। चिन्मय प्रभु चटगांव जाने के लिए हजरत शाहजलाल अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे पहुंचे थे। जहां से गिरफ्तार कर पुलिस उनको जासूसी शाखा के कार्यालय ले आई। चिन्मय प्रभु बांग्लादेश में हिंदू समूह सम्मिलित सनातनी जोत के नेता भी हैं। चटगांव की छठे मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट काजी शरीफुल इस्लाम की कोर्ट ने उनकी जमानत याचिका को खारिज कर दिया था।

इस्कॉन से जुड़े लोगों पर बांग्लादेश के वित्तीय अधिकारियों की कार्रवाई, 17 बैंक खातों पर लगाई रोक

बांग्लादेश के वित्तीय अधिकारियों ने इस्कॉन से जुड़े 17 लोगों के बैंक खातों पर एक महीने के लिए रोक लगा दी है। इसमें हिंदु समुदाय के प्रमुख चेहरे चिन्मय कृष्ण दास का खाता भी शामिल हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बांग्लादेश की वित्तीय खुफिया इकाई (बीएफआईयू) ने गुरुवार को विभिन्न बैंकों और वित्तीय संस्थाओं को यह आदेश जारी किया था कि वे अगले 30 दिनों तक इन खातों से लेन-देन को रोक दें।

तीन दिनों के भीतर देना होगा व्यावसायिक खातों का विवरण

इसके अलावा, बीएफआईयू ने इन सत्रह व्यक्तियों से कहा है कि वे अपने सभी व्यवसायों के बैंक खातों का ताजा और अपडेटेड विवरण तीन कामकाजी दिनों के भीतर संबंधित बैंकों को सौंपें। बांग्लादेश सम्मिलित सनातनी जागरण जोत संगठन के प्रवक्ता चिन्मय कृष्ण दास को सोमवार को ढाका के हजरत शाहजलाल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से गिरफ्तार किया गया था और उन पर देशद्रोह का आरोप लगाया गया। मंगलवार को चटगांव की एक अदालत ने उन्हें जमानत देने से इनकार किया और जेल भेज दिया। दास समर्थकों और सुरक्षाकर्मियों के बीच झड़प में एक वकील की मौत हुई। चिन्मय बांग्लादेश में पहले अंतरराष्ट्रीय कृष्ण चेतना सोसायटी (इस्कॉन) के प्रवक्ता रह चुके हैं।

भारत के विदेश मंत्रालय ने भी जताई थी चिंता

इससे पहले, बांग्लादेश में हिंदू समुदाय के खिलाफ हिंसा और चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी पर भारत सरकार ने भी चिंता जताई। विदेश मंत्रालय ने कहा था, हमने बांग्लादेश ‘सम्मिलित सनातनी जोत’ के प्रवक्ता चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी और जमानत न दिए जाने पर गहरी चिंता व्यक्त की है। यह घटना बांग्लादेश में चरमपंथी तत्वों द्वारा हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों पर कई हमलों के बाद हुई है। हम बांग्लादेश के अधिकारियों से हिंदुओं और सभी अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का आग्रह करते हैं, जिसमें शांतिपूर्ण सभा और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उनका अधिकार भी शामिल है। वहीं, बांग्लादेश ने भारत के बयान को खारिज करते हुए कहा था, ‘इस तरह के निराधार बयान न केवल तथ्यों को गलत तरीके से पेश करते हैं, बल्कि दोनों पड़ोसी देशों के बीच दोस्ती और समझ की भावना के विपरीत भी हैं।’

‘जहां भी हों, ट्रंप के शपथ ग्रहण से पहले वापस लौट आएं’, अमेरिकी विश्वविद्यालयों का अपने छात्रों से आग्रह

कई अमेरिकी विश्वविद्यालयों ने अपने अंतरराष्ट्रीय छात्रों और कर्मचारियों के लिए एडवाइजरी जारी की है। इसमें छात्रों और कर्मचारियों को सलाह दी है कि वे जनवरी 2025 में होने वाले राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह से पहले-पहले अमेरिका लौट आएं।

यात्रा प्रतिबंधों को किया जा सकता है लागू
संभावना है कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के शपथ ग्रहण के बाद प्रशासन द्वारा यात्रा प्रतिबंधों को लागू किया जा सकता है। ऐसे में विश्वविद्यालयों ने अपने अंतरराष्ट्रीय छात्रों और कर्मचारियों से अमेरिका लौट आने का आग्रह किया है।

20 जनवरी को होगा शपथ ग्रहण समारोह
डोनाल्ड ट्रंप 20 जनवरी को पद की शपथ लेंगे और उन्होंने घोषणा की है कि वे संयुक्त राज्य अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति के रूप में अपने पहले दिन अर्थव्यवस्था और आव्रजन (Immigration) के मुद्दों पर कई कार्यकारी आदेशों पर हस्ताक्षर करेंगे।

अमेरिकी विदेश विभाग, शैक्षिक और सांस्कृतिक मामलों के ब्यूरो और अंतर्राष्ट्रीय शिक्षा संस्थान के आंकड़ों के अनुसार, भारत और चीन से संयुक्त राज्य अमेरिका में सभी अंतरराष्ट्रीय छात्रों का लगभग आधा (54 प्रतिशत) हिस्सा हैं।

यूएसए में अंतरराष्ट्रीय छात्रों की संख्या के मामले में भारत टॉप पर
2009 के बाद 2023/2024 में पहली बार भारत संयुक्त राज्य अमेरिका में अंतर्राष्ट्रीय छात्रों की संख्या में 23 प्रतिशत की वृद्धि के साथ चीन को पीछे छोड़ पहले स्थान पर आ गया। ओपन डोर्स 2024 रिपोर्ट ऑन इंटरनेशनल एजुकेशनल एक्सचेंज’ के आंकड़ों के अनुसार, 2023/2024 में संयुक्त राज्य अमेरिका में भारत से अंतर्राष्ट्रीय छात्रों की संख्या 331,602 थी।

चीन 4 प्रतिशत की गिरावट के बावजूद 277,398 छात्रों के साथ दूसरे स्थान पर रहा। हालांकि, स्नातक और गैर-डिग्री छात्रों को भेजने के मामले में चीन शीर्ष पर बना रहा। यहां से स्नातक और गैर-डिग्री के लिए क्रमशः 87,551 और 5,517 छात्र अमेरिका पहुंचे।

मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) के अंतर्राष्ट्रीय छात्र कार्यालय के एसोसिएट डीन और निदेशक डेविड एलवेल ने राष्ट्रपति चुनावों के बाद एक पोस्ट में कहा कि हर चुनाव के साथ, “जब संघीय स्तर पर प्रशासन में बदलाव होता है, तो नीतियों, विनियमों और कानून में बदलाव हो सकते हैं जो उच्च शिक्षा के साथ-साथ आव्रजन और वीजा स्थिति के मामलों को प्रभावित करते हैं”।

एलवेल ने छात्रों से आगामी शीतकालीन अवकाश के दौरान अपनी यात्रा योजनाओं का आकलन करने का आग्रह किया, यह देखते हुए कि ट्रम्प के तहत नए कार्यकारी आदेश यात्रा और वीजा प्रसंस्करण को प्रभावित कर सकते हैं।