मुंबई:  प्लास्टर ऑफ पेरिस (पीओपी) से बनी गणेश जी की मूर्तियों के विसर्जन के लेकर महाराष्ट्र सरकार तीन हफ्तों में अपनी नीति बनाएगी। इस बात की जानकारी राज्य सरकार ने सोमवार को बॉम्बे हाईकोर्ट को दी। वही हाईकोर्ट ने सरकार को आगाह किया कि आने वाले त्योहारों को देखते हुए इस प्रक्रिया में अब देरी नहीं होनी चाहिए।

बता दें कि इससे पहले हाईकोर्ट ने केवल पीओपी मूर्तियों के निर्माण और बिक्री की इजाजत दी थी, लेकिन प्राकृतिक जल स्रोतों में उनके विसर्जन पर रोक बरकरार रखी थी। कोर्ट ने राज्य सरकार से कहा था कि वह केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों के आधार पर विसर्जन पर नीति बनाए।

सरकार ने कोर्ट से मांगा तीन हफ्तों का समय
मामले में सुनवाई के दौरान सोमवार को महाधिवक्ता बीरेन्द्र साराफ ने मुख्य न्यायाधीश आलोक अराधे और न्यायमूर्ति संदीप मार्ने की पीठ को बताया कि सरकार इस पर बैठकों का आयोजन कर चुकी है और नीति बनाने के लिए तीन सप्ताह का समय और चाहिए।

23 जुलाई तक नीति बनाने का निर्देश
महाधिवक्ता साराफ के तर्क पर कोर्ट ने कहा कि उसे समय देने में कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन यह ध्यान रखना होगा कि अगस्त से त्योहार शुरू हो रहे हैं। कोर्ट ने निर्देश दिया कि राज्य सरकार 23 जुलाई तक अपनी नीति कोर्ट के समक्ष पेश करे ताकि उस पर समय रहते विचार किया जा सके।

क्या है मामला, समझिए?
गौरतलब है कि कोर्ट यह मामला उन याचिकाओं पर सुन रहा है जो गणेश मूर्ति निर्माताओं की संस्थाओं ने दाखिल की थीं। इन याचिकाओं में सीपीसीबी की उस गाइडलाइन को चुनौती दी गई थी, जिसमें पीओपी मूर्तियों के निर्माण और विसर्जन पर रोक लगाई गई थी। याचिकाकर्ताओं का कहना था कि इससे उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन हो रहा है। हालांकि सीपीसीबी ने बाद में स्पष्ट किया कि उसकी नई गाइडलाइन केवल विसर्जन से संबंधित है, जिसके बाद कोर्ट ने निर्माण और बिक्री की अनुमति दी, लेकिन विसर्जन नीति का फैसला राज्य सरकार पर छोड़ दिया।

By Editor