नई दिल्ली: भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) बी.आर. गवई को पत्र के जरिए एक याचिका भेजी गई है, जिसमें आग्रह किया गया है कि वह कोलकाता के एक लॉ कॉलेज में हुए कथित सामूहिक दुष्कर्म के मामले का संज्ञान लें। यह मामला कस्बा क्षेत्र में स्थित साउथ कोलकाता लॉ कॉलेज का है, जहां 25 जून को एक प्रथम वर्ष की छात्रा के साथ कथित तौर पर कॉलेज परिसर के अंदर ही तीन लोगों ने मिलकर दुष्कर्म किया। आरोपियों का संबंध तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की छात्र इकाई ‘तृणमूल छात्र परिषद’ (टीएमसीपी) से बताया जा रहा है।
याचिका में सीजेआई से अनुरोध किया गया है कि वह इस मामले में संज्ञान लेकर तत्काल और निष्पक्ष जांच का आदेश दें। इसके साथ ही यह मांग भी की गई है कि इस मामले की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को सौंपी जाए और जांच को समयबद्ध तरीके से पूरा करने का निर्देश दिया जाए।
यह याचिका वकील सत्यम सिंह की ओर से दाखिल की गई है। इसमें पश्चिम बंगाल सरकार को निर्देश देने की मांग की गई है कि पीड़िता को 50 लाख रुपये की अंतरिम मुआवजा राशि दी जाए, जिससे उसका उपचार, पुनर्वास और कानूनी खर्च पूरा किया जा सके।
‘पीड़िता, परिवार और गवाहों को दी जाए सुरक्षा’
इसके अलावा, याचिका में यह भी कहा गया है कि पीड़िता, उसके परिवार और सभी गवाहों को तत्काल और पूरी सुरक्षा उपलब्ध कराई जाए। साथ ही शिक्षण संस्थानों में महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए विस्तृत दिशा-निर्देश तैयार किए जाएं। इसमें तृणमूल कांग्रेस के नेताओं, खासकर कल्याण बनर्जी और मदन मित्रा के खिलाफ भी कार्रवाई की मांग की गई है, जिन्होंने कथित तौर पर पीड़िता को अपमानित करने वाले बयान दिए हैं।
टीएमसी ने मित्रा को भेजा कारण बताओ नोटिस
तृणमूल कांग्रेस के विधायक मदन मित्रा अक्सर विवादित टिप्पणियों के लिए चर्चाओं में रहते हैं। उन्होंने कहा था कि इस घटना ने सभी लड़कियों को यह ‘संदेश’ दिया है कि जब कॉलेज बंद हो, तो उन्हें वहां नहीं जाना चाहिए। उनके इस बयान के बाद तृणमूल कांग्रेस ने कहा कि यह उनकी निजी राय है और पार्टी इससे पूरी तरह असहमत है। पार्टी ने मदन मित्रा को कारण बताओ नोटिस भी जारी किया है।