देश की औद्योगिक उत्पादन की रफ्तार मई 2025 में धीमी होकर सिर्फ 1.2 फीसदी रह गई है, जो कि पिछले 9 महीनों का सबसे निचला स्तर है। यह गिरावट मुख्य रूप से उत्पादन (मैन्युफैक्चरिंग), खनन (माइनिंग) और बिजली (पावर सेक्टर) के कमजोर प्रदर्शन के कारण हुई है। यह जानकारी राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) की तरफ से सोमवार को जारी आंकड़ों से मिली। पिछले साल मई 2024 में औद्योगिक उत्पादन में 6.3 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई थी। इसकी तुलना में इस साल की बढ़ोतरी काफी कम है।

अलग-अलग सेक्टर का क्या रहा हाल?
मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर (उद्योग/उत्पादन क्षेत्र) की बढ़ोतरी घटकर 2.6 फीसदी रही, जबकि पिछले साल मई में यह 5.1 फीसदी थी। वहीं खनन क्षेत्र में 0.1 फीसदी की गिरावट आई है, जबकि एक साल पहले इसी महीने 6.6 फीसदी की बढ़त देखी गई थी। जबकि बिजली उत्पादन में 5.8 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है, जबकि मई 2024 में यह 13.7 फीसदी बढ़ा था।

अप्रैल-मई (2025-26) की अवधि में स्थिति
चालू वित्त वर्ष 2025-26 के पहले दो महीनों यानी अप्रैल और मई में औद्योगिक उत्पादन में 1.8 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है, जबकि पिछले साल इसी अवधि में यह 5.7 फीसदी थी। इसके अलावा, एनएसओ ने अप्रैल 2025 के औद्योगिक उत्पादन की बढ़ोतरी दर को भी संशोधित किया है। पहले इसे 2.7 फीसदी बताया गया था, जिसे अब घटाकर 2.6 फीसदी कर दिया गया है।

आर्थिक विकास की गति पर पड़ सकता है असर
इन आंकड़ों से साफ है कि देश की औद्योगिक गतिविधियों की रफ्तार धीमी हो रही है। इससे न केवल आर्थिक विकास की गति पर असर पड़ सकता है, बल्कि रोजगार और निवेश जैसे क्षेत्रों में भी चुनौतियां खड़ी हो सकती हैं। सरकार को अब उद्योगों को प्रोत्साहन देने की दिशा में ठोस कदम उठाने की जरूरत है।

By Editor