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कुर्मियों की झंडाबरदार मां या बेटी?…तय करेगा चुनाव, अपना दल के दोनों धड़ों की चुनौती

लखनऊ: कुर्मी जाति की झंडाबरदार के तौर पर राजनीति करने वाले अपना दल के दोनों धड़ों की नेताओं (मां कृष्णा पटेल और बेटी अनुप्रिया पटेल) के लिए लोकसभा चुनाव कई मायने में चुनौतियों से भरा होगा। 2014 के बाद अलग-अलग होकर एक ही जाति की सियासत करने वाली मां-बेटी इस बार लगातार दूसरा चुनाव एक-दूसरे के खिलाफ लड़ेंगी। ऐसे में मां-बेटी सजातीय वोटों की कसौटी पर भी रहेंगी। हालांकि, दोनों दलों के लिए सीटें अभी भले ही तय नहीं हैं, लेकिन लोस चुनाव में मां-बेटी की समाज पर पकड़ की परख तो जरूर ही होगी।

सियासी पंडितों का मानना है कि पांच साल के दौरान अपना दल के राजनीतिक तौर-तरीकों में काफी बदलाव आया है। इसलिए मां-बेटी के दलों में से किसी को कुछ फायदा होगा, तो किसी को नुकसान भी उठाना पड़ सकता है। वैसे भी डॉ. सोनेलाल पटेल ने जिन उद्देश्यों को लेकर अपना दल की स्थापना की थी, वे पार्टी के साथ दो भागों में बंट चुके हैं। लिहाजा बंटवारे के साथ दोनों दलों की प्राथमिकताएं भी अलग-अलग हैं।

2019 में मां-बेटी की राहें हो गईं जुदा
2014 के लोस चुनाव में अपना दल एक था, इसलिए कुर्मी समाज भी एकजुट था। 2019 से यह दो धड़ों में बंट गया। अपना दल (कमेरावादी) की कमान कृष्णा पटेल व बड़ी बेटी पल्लवी पटेल के, तो अपना दल (एस) की कमान दूसरी बेटी अनुप्रिया पटेल और दामाद आशीष पटेल के हाथों में है। 2019 के चुनाव में कृष्णा पटेल के नेतृत्व को कोई खास सफलता नहीं मिल पाई थी। अलबत्ता अपना दल (एस) ने मिर्जापुर और सोनभद्र सीट पर विजय हासिल की। कुर्मी बहुल कई सीटों पर वह भाजपा को जिताने में भी मददगार साबित हुआ था।