चारा घोटाले से लैंड फॉर जॉब घपले तक चर्चा में रहे देश के भूतपूर्व रेल मंत्री और बिहार के भूतपूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने मर्यादा की दुहाई देते हुए बड़े बेटे तेज प्रताप यादव को पार्टी और परिवार से निकाल बाहर किया। यह खबर सुर्खियों में है। लेकिन, चूंकि यह बिहार चुनाव से करीब पांच महीने पहले हुआ है तो अब सवाल यह भी उठ रहा है कि क्या राष्ट्रीय जनता दल अब उनकी विधायकी वापस लेने के लिए भी लिखकर देगा? जिस तरह से और जिस समय उन्हें बाहर का रास्ता दिखाया गया है, यह तो तय है कि इस बार चुनाव में वह राजद के प्रत्याशी नहीं हो सकते। तो, सवाल यह भी है कि वह किस दल से और कहां चुनाव में उतरेंगे। तेज प्रताप के राजनीतिक भविष्य को आइए समझते हैं।
राजद लिखकर भी दे तो भी शायद ही विधायकी जाए
हां, यही बात है। राजद और कांग्रेस ने बिहार में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार की वापसी के समय फ्लोर टेस्ट के दौरान दल-बदल करने वाले अपने विधायकों की विधायकी छीनने के लिए बाकायदा लिखित दिया, लेकिन कुछ हुआ नहीं। 12 फरवरी 2024 में राष्ट्रीय जनता दल और कांग्रेस के जिन विधायकों ने राजग सरकार के पक्ष में मतदान किया था, वह अब भी विधायक बने हुए हैं। ऐसे में यह मानना मजबूरी भी है कि पार्टी से निष्कासन का आधार बनाकर अगर राजद तेज प्रताप यादव की विधायकी छीनने के लिए आवेदन करता है तो विधानसभा से इसकी मंजूरी मिलेगी। अक्टूबर-नवंबर में चुनाव होने हैं, तब तक तेज प्रताप यादव हसनपुर के राजद विधायक के रूप में बने रहेंगे- यह उम्मीद उन्हें भी होगी।
हसनपुर से ही उतरेंगे या महुआ में भाग्य आजमाएंगे?
तेज प्रताप यादव दूसरे मिजाज के हैं। वह हसनपुर से राजद के विधायक हैं, लेकिन महुआ विधानसभा सीट को लेकर काफी संजीदा रहे हैं। ताजा घटनाक्रम के बाद तेज प्रताप यादव धर्म-आध्यात्म का रुख कर लें तो यह भी आश्चर्य की बात नहीं होगी। चाणक्या स्कूल ऑफ पॉलिटिकल राइट्स एंड रिसर्च के अध्यक्ष सुनील कुमार सिन्हा कहते हैं- “जिस तरह से उन्हें लालू प्रसाद यादव के पूरे परिवार ने अलगथलग किया है, बगावती तेवर अपनाना भी आश्चर्य वाली बात नहीं होगी। तेज प्रताप यादव के तलाक का मामला कोर्ट में विचाराधीन है। ताजा प्रकरण से उसपर क्या असर पड़ता है, यह भी ध्यान देने वाली बात होगी।
” इधर, तेज प्रताप को करीब से जानने वाले कह रहे हैं कि वह गर्लफ्रेंड वाली बात नकार चुके हैं तो कोर्ट का फैसला आने तक इसपर शायद ही कुछ आगे कहें। रही बात चुनाव की तो उन्होंने राष्ट्रीय जनता दल में रहते हुए ही अपनी युवा सेना तैयार कर चुके हैं। उन्हें ट्रेनिंग भी देते रहे हैं। वह उनके सहारे भी मैदान में उतर सकते हैं। ज्यादा संभावना महुआ से उतरने की है, जहां से राजद के मुकेश रौशन विधायक हैं। घोटाले और तलाक मामले के कारण जनता दल यूनाईटेड या भारतीय जनता पार्टी में उन्हें शरण मिलने की संभावना कम है। ऐसे में वह बाकी संभावनाओं पर नजर रखते हुए निर्दलीय भी उतर जाएं तो राजद को परेशान जरूर करेंगे।