नई दिल्ली:  भारत सरकार ने चीन से दुर्लभ खनिजों की आपूर्ति में स्थिरता और पारदर्शिता की मांग की है। ये खनिज इलेक्ट्रिक गाड़ियों, मोबाइल, पंखे, और सोलर सिस्टम जैसे कई आधुनिक उद्योगों में बेहद जरूरी होते हैं। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने बताया, ‘हम बीजिंग और दिल्ली में चीनी अधिकारियों से लगातार संपर्क में हैं ताकि व्यापारिक आपूर्ति श्रृंखला में पारदर्शिता बनी रहे।’ चीन ने अप्रैल 2025 से कुछ दुर्लभ खनिजों के निर्यात पर नियंत्रण लगाया है, जिससे भारतीय ऑटो और घरेलू उपकरण उद्योगों पर असर पड़ रहा है।

अमेरिका-चीन व्यापार समझौता और भारत की रणनीति
इस बीच, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन के साथ एक व्यापार समझौते की घोषणा की है, जिसमें अमेरिका को चीन से दुर्लभ खनिजों की सुनिश्चित आपूर्ति मिलेगी। भारत के वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने इसे ‘दुनिया के लिए एक चेतावनी’ बताया और कहा कि ‘भारत अब वैकल्पिक आपूर्ति स्रोतों पर काम कर रहा है ताकि चीन पर निर्भरता कम की जा सके। यह हमारे लिए एक अवसर भी है।’ उन्होंने कहा स्विट्जरलैंड यात्रा के दौरान कहा कि भारत सरकार, उद्योग और इनोवेटर्स मिलकर इन चुनौतियों को अवसर में बदलेंगे।

भारत और मध्य एशिया में मिलकर खनिज खोज की योजना
भारत ने हाल ही में कजाकिस्तान, उज्बेकिस्तान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और किर्गिस्तान जैसे मध्य एशियाई देशों के साथ मिलकर दुर्लभ खनिजों की खोज और संयुक्त सहयोग पर सहमति जताई है। सितंबर 2024 में दिल्ली में आयोजित भारत-मध्य एशिया रेयर अर्थ फोरम की सफलता के बाद, सभी देशों ने जल्दी ही दूसरा फोरम आयोजित करने की इच्छा जताई है।

टैगोर के पैतृक घर पर हमला-भारत की कड़ी प्रतिक्रिया
भारत के विदेश मंत्रालय ने बांग्लादेश में रवींद्रनाथ टैगोर के पैतृक घर पर हुए हमले की कड़ी निंदा की है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, ‘8 जून 2025 को बांग्लादेश में गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर के पैतृक घर पर भीड़ की तरफ से किया गया हमला अत्यंत निंदनीय है। यह हिंसक घटना उनकी समावेशी सोच और दर्शन पर धब्बा है।’ उन्होंने यह भी कहा कि यह हमला न केवल एक ऐतिहासिक स्मारक पर है, बल्कि यह उदारता और सहिष्णुता के प्रतीकों को मिटाने की एक संगठित कोशिश का हिस्सा लगता है। भारत ने बांग्लादेश सरकार से इस मामले में कड़ी कार्रवाई की मांग की है।

By Editor