अंबेडकरनगर:  ईरान से चल रहे युद्ध के बीच रोजगार के लिए इस्राइल गए जिले के युवा मौत के साए के बीच काम करने और रात गुजारने को मजबूर हैं। कुछ मुश्किल भरे हालातों में भी परिवार की गुजर बसर के लिए डटे हुए हैं तो कुछ चाहकर भी वापस नहीं लौट पा रहे हैं। दिन हो या रात कभी भी बमबारी शुरू हो जाती है और कामगारों को भवनों के नीचे बने बंकरों में अलार्म बजते ही शरण लेनी पड़ती है।

हर कोई बस यही उम्मीद लगाए हुए है कि जल्द ही हालात पहले की तरह सामान्य हों और उनकी रोजी रोटी पर मंडरा रहा खतरा टल जाए ताकि वे अपने परिवार को बेहतर जीवन दे सकें। इन सबके बीच यहां मौजूद परिवार के लोग अपनों के लिए चिंतित हैं। मंगलवार को इस्राइल गए कामगारों से  संपर्क किया तो उन्होंने खुलकर अपना दर्द बयां किया।

आसपास फट रहीं मिसाइलें, काम करने की मजबूरी

इस्राइल गए अकबरपुर के गांव रोशनगढ़ निवासी देवानंद ने बताया कि वह इस समय तेल अलीव शहर के यहूदा में मौजूद हैं। यहां से दो से ढाई किलोमीटर की दूरी पर काम करने के लिए जाना पड़ता है। देवानंद बताते हैं आज ही एक घंटे पहले ही मिसाइल से हमला हुआ है। ऊपर मंजिल में काम करने के दौरान अक्सर मिसाइलों के गोले आसपास ही फटते हैं। ऐसे में सायरन बजते ही सभी लोगों सुरक्षित स्थान पर पहुंचना पड़ता है। तमाम मुश्किलों के बावजूद रोजी रोटी की खातिर यहीं रुके हैं।

परिजन बोले- काम से ज्यादा जरूरी जीवन है

वहीं, इस युद्ध ने लखनऊ में बहुत से परिवारों की चिंता बढ़ा दी है। इन परिवारों के युवा इस्राइल में कामगार के रूप में सेवाएं दे रहे हैं। परिवार चाहता है कि ये जल्द से जल्द घर वापस आ जाएं, लेकिन उड़ानें बंद होने के कारण युवा वहां फंसे हुए हैं।

लखनऊ बीकेटी के रहने वाले अजय चौहान ने बताया कि भाई हरित चौहान बीते एक साल से इस्राइल में हैं। वह घर आना चाहते हैं, लेकिन अभी फ्लाइट का कोई विकल्प नहीं है। रायबरेली के राजेश कुमार भी इस्राइल में कामगार हैं। उनकी माता सावित्री ने बताया कि घर में छोटे-छोटे बच्चे व अन्य सदस्य हैं। काम से भी ज्यादा जरूरी है जीवन। बेटे से जब बात होती है तो वो सब कुछ ठीक और सुरक्षित होने की देता है, लेकिन इसके बावजूद चिंता बनी रहती है।

By Editor