दिल्ली में साल 2015 से 2019 के बीच हुए कथित क्लासरूम निर्माण घोटाले को लेकर भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच जारी है। इस मामले में ताजा मोड़ ईडी की तरफ से की जा रही हालिया छापेमारी के बाद आया है। ईडी ने दावा किया है कि उसने 37 जगहों पर जो तलाशी ली, उसमें सामने आया है कि दिल्ली की तत्कालीन आम आदमी पार्टी (आप) सरकार ने न सिर्फ जरूरत से तीन गुना ज्यादा क्लासरूम्स का निर्माण कराया, बल्कि इनकी लागत भी धोखाधड़ी की वजह से अप्रत्याशित रूप से ज्यादा रही।
आखिर दिल्ली में जिस कथित क्लासरूम घोटाले को लेकर एसीबी और ईडी की जांच जारी है, वह आखिर क्या है? इसमें किस-किस पर और क्या आरोप लगे हैं? मामले में हालिया समय में क्या हुआ है और आरोपियों का केस में क्या कहना है? आइये जानते हैं…
क्या है वह प्रोजेक्ट, जिसे लेकर घोटाले का लगा है आरोप?
दिल्ली में जिस कथित क्लासरूम घोटाले की जांच जारी है, आरोप है कि वह केंद्र शासित प्रदेश में 2015 से 2019 के बीच आम आदमी पार्टी की सरकार के दौरान हुआ था। बताया जाता है कि इसी दौरान आप सरकार ने सरकारी स्कूलों को सुधारने के लिए बड़े स्तर पर इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास परियोजनाएं शुरू की थीं।
इस योजना के तहत केजरीवाल सरकार ने अलग-अलग स्कूलों में कुल 12 हजार 748 क्लासरूम के निर्माण का बीड़ा उठाया। लोक निर्माण विभाग को इस पूरे प्रोजेक्ट को पूरा करने की जिम्मेदारी दी गई। हालांकि, बाद में इस मामले में कई शिकायतें दर्ज कराई गईं। इनमें अधिकतर शिकायतें भाजपा नेताओं की तरफ से थीं जिनका आरोप था कि पूरा प्रोजेक्ट भ्रष्टाचार से भरा पड़ा है। इससे सरकार को करीब 2000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।