नई दिल्ली: आगामी बिहार विधानसभा चुनाव से पहले चुनाव आयोग (ईसी) मतदाता सूची की समीक्षा के दौरान घर-घर जाकर वोटरों का सत्यापन करने की योजना पर गंभीरता से विचार कर रहा है। सूत्रों के अनुसार, यह कदम निर्वाचन प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और विश्वसनीय बनाने के उद्देश्य से उठाया जा सकता है।
क्यों जरूरी पड़ा यह कदम?
हाल के वर्षों में वोटर लिस्ट से नाम हटाए जाने या गलत तरीके से जोड़े जाने को लेकर कई राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों ने चुनाव आयोग पर सवाल उठाए हैं। कांग्रेस समेत कई दलों ने आरोप लगाया है कि आयोग वोटर लिस्ट में हेरफेर कर सत्ताधारी दल को फायदा पहुंचा रहा है।
आरोपों पर चुनाव आयोग ने क्या दी सफाई?
वहीं तमाम राजनीतिक दलों की तरफ से लगाए जा रहे आरोपों पर चुनाव आयोग के अधिकारियों का कहना है कि वे पूरी प्रक्रिया एक तय प्रोटोकॉल और सभी राजनीतिक दलों की निगरानी में पारदर्शी ढंग से करते हैं। इसके बावजूद आयोग पर मनमाने ढंग से आंकड़े बढ़ाने के आरोप लगाए जाते हैं, जो निराधार हैं।
क्या है घर-घर सत्यापन प्रक्रिया?
- हर घर जाकर नाम, पता, उम्र, फोटो आदि की जांच की जाएगी।
- अगर किसी मतदाता का नाम गलत तरीके से जुड़ा है या हटाया गया है, तो उसे ठीक किया जाएगा
- नए योग्य मतदाताओं को सूची में जोड़ा जाएगा।
- मृत या स्थानांतरित हो चुके लोगों के नाम हटाए जाएंगे।
सूत्रों ने बताया कि प्रणाली को मजबूत और किसी भी तरह की त्रुटि से मुक्त बनाने के लिए, चुनाव आयोग बिहार विधानसभा चुनावों से पहले आगामी मतदाता सूची संशोधन के दौरान मतदाता सूचियों को शुद्ध करने के लिए घर-घर जाकर गहन सत्यापन करने पर विचार कर रहा है। उन्होंने बताया कि मतदाता सूचियों का ऐसा गहन और कड़ा संशोधन पहले भी किया जा चुका है और आखिरी बार ऐसा अभ्यास 2004 में किया गया था।
बिहार में विधानसभा चुनाव को लेकर माहौल गर्म
बिहार विधानसभा चुनाव इस साल के अंत में होने की संभावना है। राज्य में राजनीतिक माहौल भी गर्माया हुआ है और ऐसे में वोटर लिस्ट मुद्दा काफी अहम बन चुका है। फिलहाल राज्य में जनता दल (यू), भाजपा और हिंदुस्तानी अवामी मोर्चा का एनडीए गठबंधन सत्ता में काबिज है। वहीं विपक्ष में राजद और कांग्रेस के साथ-साथ कई अन्य दल भी मौजूद हैं।