नई दिल्ली: आपातकाल के 50 साल पूरे होने के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की किताब का विमोचन करते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने बताया कि पांच दशक पहले कैसे अपनी युवावस्था के दौरान नरेंद्र मोदी ने दमन करने वाली ताकतों के खिलाफ आवाज उठाई। शाह ने इस कार्यक्रम के दौरान बताया कि मोदी ने गुजरात में न केवल आंदोलन की अगुवाई की, बल्कि उन्होंने 19 महीने की चुनौतीपूर्ण अवधि में गरीबों की मदद के लिए भी कड़ा संघर्ष किया।

युवा नरेंद्र मोदी ने 19 महीने तक आंदोलन में भाग लिया
आपातकाल के 50 साल पूरे होने के मौके पर आज पीएम मोदी की किताब ‘द इमरजेंसी डायरीज: ईयर दैट फोर्ज्ड आवर लीडर्स’ का विमोचन हुआ। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में आयोजित इस कार्यक्रम में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, यह किताब पीएम मोदी की युवावस्था से जुड़ी घटनाओं के बारे में है। आपातकाल लागू किए जाने के समय वे एक युवा कार्यकर्ता थे, जिन्होंने 19 महीने तक आंदोलन में भाग लिया… पीएम मोदी ने मीसा बंदियों के घर जाकर उनके इलाज की व्यवस्था की। उस समय बहुत सारे गुप्त समाचार पत्र प्रकाशित होते थे।

शाह बोले- मोदी ने महज 24-25 साल की उम्र में गुजरात में संघर्ष का नेतृत्व किया
शाह ने कहा, पीएम मोदी ने उन समाचार पत्रों को बाजारों, छात्रों और महिलाओं के बीच वितरित किया और 24-25 साल की उम्र में गुजरात में संघर्ष का नेतृत्व किया… इस किताब में संघर्षों की पूरी कहानी है। प्रधानमंत्री मोदी ने साधु, सरदारजी, हिप्पी, अगरबत्ती या अखबार विक्रेता के रूप में जमीन पर काम किया।

जब 25 वर्षीय नरेंद्र मोदी ने इंदिरा गांधी की तानाशाही का विरोध किया…
आपातकाल लगाने के 50 साल पूरे होने पर भाजपा ने संविधान हत्या दिवस मनाने का एलान किया है। इस मौके पर दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, ‘देखिए ईश्वरीय न्याय कैसे होता है। एक 25 साल के लड़के (पीएम मोदी) ने इंदिरा गांधी की तानाशाही का विरोध किया…आज, उसी व्यक्ति ने 2014 में उस कारण (कांग्रेस) को उखाड़ फेंका जिसने आपातकाल लगाया था।

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