गुवाहाटी: असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने मंगलवार को बांग्लादेश से आए अवैध मुस्लिम घुसपैठियों के मामले में पश्चिम बंगाल की तृणमूल कांग्रेस (टीएससी) सरकार को आड़ेहाथ लिया। उन्होंने ममता सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि टीएमसी पार्टी बांग्लादेश से आए अवैध मुस्लिम घुसपैठियों को बचाने की कोशिश कर रही है।
उन्होंने ये भी कहा कि टीएमसी उनके बयानों को तोड़-मरोड़कर पेश कर रही है और इसे बांग्लाभाषी विरोधी के रूप में दिखा रही है। साथ ही सरमा ने साफ किया कि असम में हर भारतीय नागरिक, जिसमें बांग्लाभाषी लोग भी शामिल हैं, राज्य सरकार की अवैध घुसपैठ के खिलाफ सख्त नीति का समर्थन करते हैं।
‘घुसपैठ के खिलाफ दशकों से अमस का संघर्ष’
सीएम सरमा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि असम कई दशकों से बांग्लादेशी मुस्लिम घुसपैठ के खिलाफ संघर्ष कर रहा है। उन्होंने कहा कि टीएमसी की तरफ से मेरे बयानों को तोड़-मरोड़ कर पेश करना और हमें बांग्ला विरोधी बताना सिर्फ एक चाल है, ताकि अवैध घुसपैठियों को बचाया जा सके।
समझिए कहां से शुरू हुआ विवाद?
बता दें कि ये पूरा मामला पिछले हफ्ते का है, जब असम के सीएम सरमा ने कहा था कि जनगणना में मातृभाषा के रूप में बांग्ला लिखना यह बताएगा कि कितने विदेशी लोग राज्य में रह रहे हैं। उनका ये बयान तब आया जब बीटीसी अल्पसंख्यक छात्र संघ के नेता मैइनुद्दीन अली ने धमकी दी कि बांग्लाभाषी मुस्लिम लोग अब जनगणना में असमिया को मातृभाषा नहीं लिखेंगे, जिससे असमिया भाषियों की संख्या घटेगी।
इसके बाद टीएमसी ने सीएम सरमा पर जबरदस्त हलटवार किया। पार्टी ने सरमा पर तंज कसते हुए कहा कि अगर बांग्ला बोलना या बांग्ला में लिखे राष्ट्रगान-जनगण गीत गाना ही घुसपैठ का प्रमाण है, तो क्या सरमा खुद भी अवैध बांग्लादेशी हो जाएंगे?