मुंबई: शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने राज्य में तीन-भाषा नीति लागू करने के किसी भी प्रयास का विरोध किया है। उन्होंने साफ कहा कि अगर राज्य सरकार जबरन यह नीति लागू करती है, तो वे उसका पुरजोर विरोध करेंगे। शुक्रवार को विधानसभा मानसून सत्र के अंतिम दिन उन्होंने यह बयान मीडिया से बातचीत में दिया।
ठाकरे ने कहा कि राज्य में मराठी और अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में हिंदी थोपने की कोशिश की जा रही है, जो स्वीकार्य नहीं है। उन्होंने कहा कि हम महाराष्ट्र में जबरदस्ती तीन-भाषा नीति को लागू नहीं होने देंगे। यह राज्य की भाषाई विविधता और मराठी अस्मिता के खिलाफ है। यह मुद्दा हाल ही में तब और गरमा गया जब कुछ स्कूलों में हिंदी को अनिवार्य रूप से पढ़ाए जाने की रिपोर्ट सामने आई।
विधानसभा में झड़प पर जताई नाराजगी
उद्धव ठाकरे ने गुरुवार को विधानसभा लॉबी में एनसीपी (शरद पवार गुट) के विधायक जितेंद्र आव्हाड और भाजपा विधायक गोपीचंद पडलकर के समर्थकों के बीच हुई झड़प पर भी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि इस घटना से महाराष्ट्र की प्रतिष्ठा को पूरे देश में नुकसान पहुंचा है। यह लोकतांत्रिक संस्थाओं का अपमान है और इसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।
राजनीतिक मर्यादा पर सवाल
उन्होंने गठबंधन सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि सत्ता में बैठे लोग जिस तरह से व्यवहार कर रहे हैं, वह महाराष्ट्र की गरिमा के खिलाफ है। ठाकरे ने कहा कि यह राज्य हमेशा से सभ्य राजनीतिक संवाद और लोकतांत्रिक मूल्यों का प्रतीक रहा है। लेकिन अब यहां सत्ता के गलियारों में मारपीट और बदजुबानी बढ़ रही है, जो दुर्भाग्यपूर्ण है।