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कई वर्षों बाद यमुना चंबल ने तोडे अपने ही तटबंध

इटावा के चकरनगर के कई गांव चंबल की चपेट में आकर डूब चुके हैं। इन गांवों के 200 से अधिक परिवार पलायन कर चुके हैं। वहीं, 3000 हजार की आबादी वाला हरौली बहादुरपुर गांव अपना अस्तित्व खो चुका है। जो लोग गांव छोड़कर नहीं गए वह जान बचाने के लिए घरों की छतों पर आसरा बनाए थे। प्रशासन ने यहां के सौ से अधिक परिवारों को सुरक्षित स्थान पर पहुंच दिया है। बुधवार शाम पानी बढ़ने से सौ से अधिक लोग टापू में घिर गए। सूचना पर गुरुवार को एनडीआरएफ की टीम पहुंची और बोट के जरिए दो दिनों से भूखे-प्यासे फंसे लोगों को सुरिक्षत स्थान पर पहुंचाया।

एनडीआरएफ के उप कमांडेंड नीरज कुमार के अनुसार यह लोग पानी से घिरे ऊंचे स्थान पर फंसे थे। अपना जीवन बचाने के लिए कई लोग पेड़ पर चढ़ गए थे और दो दिनों से भूखे प्यासे थे। उनकी टीम ने भोजन और पानी मुहैया कराया और फिर अपनी बोट पर बैठाकर यमुना और चंबल नदी के संगम की तेज़ धारा को पार कर सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया। एसडीएम सत्य प्रकाश ने बताया कि हरौली बहादुरपुर के कुछ और लोगों को निकालकर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है।
कई सालों बाद चंबल नदी अभूतपूर्व बाढ़ के साथ प्रलयंकारी रूप में है और यमुना नदी भी खतरे के निशान को पार कर लगातार ऊपर बढ़ रही है। तटवर्ती इलाकों में हाहाकार की स्थिति है। चंबल नदी अपने चेतावनी बिंदु से लगभग नौ मीटर ऊपर बह रही है। केंद्रीय जल आयोग के स्थल प्रभारी शहजादे खान ने बताया है कि दो साल पूर्व जब चंबल नदी में बाढ़ आई थी, तब उदी में नदी का जलस्तर 128.53 मीटर तक पहुंच गया था। जो उनकी जानकारी में सबसे ऊंचा जलस्तर था। इस बार चंबल अपने सभी रिकॉर्ड तोड़ रही है। गुरुवार शाम चार बजे तक 128.37 मीटर तक चंबल का जलस्तर पहुंच चुका था और उसका बढ़ना लगातार जारी है। अपने चेतावनी बिंदु से चंबल नदी फिलहाल नौ मीटर ऊपर बह रही है। यमुना नदी के बारे में केंद्रीय जल आयोग के इटावा स्थित कार्यालय में स्थल प्रभारी अंचल वर्मा ने बताया है कि अपने खतरे के निर्धारित निशान 121.92 मीटर की सीमा लांघते हुए गुरुवार को दोपहर दो बजे 122.08 मीटर पर पहुंच गई।
यमुना की तलहटी में बड़ी मात्रा में इन दिनों सब्जी व बाजरा की खेती होती है। लिहाजा लौकी, टिंडे के अलावा परवल आदि सब्जियों का उत्पादन भी हो रहा था, लेकिन गुरुवार को अचानक बढ़े पानी के कारण सैकड़ों बीघा फसल देखते ही देखते जलमग्न हो गई। धूमनपुरा गांव के रहने वाले विमल की दो बीघा, चरण सिंह की एक बीघा, चंदन राजपूत की आठ बीघा, सर्वेश, जितनेश, सतीश राजपूत, वाले प्रसाद, लख्मी, लक्ष्मण सिंह समेत 30 से अधिक लोगों की 100 बीघा से अधिक फसल जलमग्न हो चुकी है। उनका कहना है कि सब्जी के उत्पादन से ही वह वर्ष भर जीवनयापन करते हैं लेकिन इस बार फसल बर्बाद हो चुकी है।
सुनवारा बाईपास के यमुना नदी पुल पर इन दिनों दूसरी लाइन के पुल का निर्माण चल रहा था लेकिन यमुना के जलस्तर में हुई बढ़ोतरी के कारण बाढ़ का पानी सेतु निगम के कार्यालय में भर गया। आनन-फानन में गोदाम में रखे सीमेंट को पुल के ऊपर शिफ्ट किया गया। वहीं कार्यालय को भी खाली किया जा रहा है। अधिकारियों का कहना है कि लगातार पानी भरने से बड़ी मात्रा में सामान डूब चुका है।फिलहाल सभी लोगों को सुरक्षित बाहर निकालने के साथ सीमेंट व जरूरी सामान को बाहर किया जा रहा है। हालांकि गोदाम में पानी भरने के बाद सीमेंट की कुछ बोरिया जरूर भीग गयीं लेकिन अधिकारियों का कहना है कि कोई नुकसान नहीं हुआ है
थाना भरेह के चकरपुरा, भरेह, नीमाड़ाडा, धर्मपुरा, हरौली बहादुरपुर, निवी, गडाकासदा आदि गांवों की बिजली बुधवार सुबह आठ बजे से काट दी गयी है। करीब 12 गांव दो दिन से अंधेरे में है। दूसरी तरफ चम्बल का पानी गांव में कहर बरपा रहा है। बिजली की वजह से पेयजल की गम्भीर समस्या हो गयी है। अवर अभियंता राजीव कुलश्रेष्ठ ने बताया कि बिजली के पोल पानी में डूब गए है इसलिए बिजली सप्लाई बंद कर दी गयी है। गांव में तेजी से बढ़ते जलस्तर के कारण कुछ और इलाकों में भी बिजली सप्लाई बंद कर दी गई है। बता दें कि कुछ जगह हाईटेंशन लाइन पानी की चपेट में आ गई है। ऐसे में सुरक्षा की दृष्टि से बिजली सप्लाई बंद करते हुए लगातार निगरानी की जा रही है।