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दीपावली में मात्र 2 दिन शेष, बाजार में पसरा है सन्नाटा

दीपावली में मात्र 2 दिन शेष, बाजार में पसरा है सन्नाटा

मायूस दुकान दार
रिपोर्ट प्रेमश॑कर श्रीवास्तव
बेनीगंज हरदोई:_दीपावली के उत्सव में कुछ ही दिन शेष है लेकिन कस्बे के बाजार अभी भी सूने नजर आ रहे हैं। इस बार दीपावली पर सारी दुकानें फीकी पड़ी हुई हैं। इतना ही नहीं आर्थिक मंदी और ऑनलाइन शॅापिंग के चलते इन दिनों लोग खरीददारी करने के लिए ज्यादा संख्या में घरों से बाहर निकलना चाह नहीं रहे हैं, जो बाजार कभी त्योहारों में गुलजार रहते थे, वो आज सूने वा सुस्त पड़े हैं। हिन्दू धर्म के कार्तिक मास में त्योहारों की श्रृंखला धनतेरस, गोवर्धन पूजा, दीपावली, भैया दूज, आदि प्रसिद्ध त्योहारों के अब मात्र चंद घण्टे ही शेष है। ऐसे में अपनी रोजी-रोटी मुनाफे के रूप में सपने संजोए बैठे छोटे व पटरी दुकानदारों के मंसूबों पर पानी फिरता नजर आ रहा है वो मायूस नजर आ रहे हैं। ऑनलाइन खरीददारी के बढ़ते क्रेज के कारण दुकानदारों का काम ठप्प पड़ा हुआ है। दीपावली के नजदीक, बाजारों में छाया सन्नाटा बाजार में रौनक की कमी का मुख्य कारण है, आर्थिक तंगी जब जेब में पैसे ही नहीं हो, तो कोई क्या खरीदे वैसे कुछ समय पहले हुई बरसात से किसानों की तैयार खरीफ की फसल तहस-नहस हो गई है किसान पहले से ही आर्थिक तंगी का बोझ झेल रहे थे कि अचानक चली हवाओं एवं बरसात में भी बाजारों में जाने से रोक सा दिया हो, जबकि किसानों के सर, पर रबी की बुवाई की चिंता मानो उनको चैन से सोने ना, दे रही हो ऐसे में त्योहारों में क्या खर्च करेंगे इसी आर्थिक तंगी के चलते बाजारों में सन्नाटा पसरा हुआ है जिससे दुकानदार सुबह दुकान खोलकर कर शाम को वापस घर लौट जाते हैं। कई दुकानों की तो यह स्थिति है कि उनकी बोहनी भी नहीं हो पा रही स्टॅाक भरा पड़ा, खरीदने वाला कोई नहीं-त्योहारी सीजन में व्यापारी काफी दिन पहले ही सामान का अधिक स्टॉक लेकर आ जाते हैं क्योकिं उन्हें इस बात की उम्मीद रहती है कि इन त्योहारों के वक्त उनका बिजनेस अच्छा चलेगा, इससे वे अधिक मुनाफा कमा कर अपने परिवार की आर्थिक जरूरतें पूरी कर सकेंगे, यह आशा अब निराशा में बदलती जा रही है, माल का स्टॉक लेने के लिए कुछ व्यवसायियों ने बाजार से ब्याज पर रुपया उधार लिया हुआ है। इनका मानना है कि कोई ग्राहक वेराइटी की कमी के चलते खाली न लौट जाए इसलिए हम ऐसा करते हैं दीपावली सर, पर है लेकिन इस बार बाजार में उल्टा ही नजारा देखने को मिल रहा है जो बाजार नवरात्रि के आगमन के दिन से गुलजार हो जाया करते थे इन दिनों आलम ये होता था कि कस्बे के बाजारों में पांव रखने तक की जगह नहीं रहती थी अब ये खाली नजर आ रहे हैं। कुछ व्यापारियों का तो यहां तक कहना है कि पहले नोटबंदी उसके बाद जीएसटी फिर अब आर्थिक मंदी ने पूरे देश के साथ-साथ यहां के व्यापार की अर्थव्यवस्था को भी उलट-पुलट कर रख दिया है। हमारे कपड़े, इलेक्ट्रॉनिक्स आदि की दुकानों पर दशहरे के पहले से भारी भीड़ आसानी से देखी जाती थी, लेकिन इस वक्त काफी मंदी का दौर चल रहा है सभी दुकानदार अपनी दुकानों पर ग्राहकों का इंतजार करते दिखाई दे रहे हैं। अब उनको मुनाफा तो दूर, ब्याज तक भरने में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।