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स्वतंत्रता सेनानियों ने जसवंतनगर के डाकघर पर फहराया था ‘तिरंगा’

*जसवंतनगर(वेदव्रत गुप्ता)*। आजादी मिले आज 75 वर्ष पूरे हो गए। सन 1935 से लेकर 1947 तक जसवंतनगर में अंग्रेजों के विरुद्ध भारत छोड़ो के मुखर स्वर जसवंतनगर में भी जोरदारी से ऐसे गूंजे थे कि यहां के स्वातंत्र्य सेनानियों ने यहां के रेलवे स्टेशन के पास स्थित ‘ डाकघर एवं टेलीग्राम ऑफिस’ को लूटते हुए उस पर लगे अंग्रेजों के यूनियन जैक झंडे को उतार फैंका था व भारत वासियों का तिरंगा फहरा दिया था।
इस से तत्कालीन इटावा के अंग्रेज राज्य के प्रशासनिक अफसरों में खलबली मच गई थी। पुलिस ने घर-घर छापामार कार्यवाही करते 10 से ज्यादा स्वतंत्रता सेनानियों को गिरफ्तार कर लिया था।
फरवरी, 1995 तक जीवित रहे, स्थानीय स्वतंत्रता सेनानी स्व श्रीनारायण गुप्त,जिन्हे व उनके संग के 10 लोगों को डाकघर पर तिरंगा फहराने में 6 महीने से ज्यादा की सजा हुई थी । उन्होंने बताया था कि हम लोगों ने दिन दहाड़े ढाई बजे सन 1942 में जसवंतनगर डाकघर पर धावा बोला था और पोस्टकार्ड लिफाफे आदि फाड़ते और पोस्टमास्टर से चाबी छीनकर कैश कब्जा लिया था,फिर डाकखाने में पीछे से चढ़कर अंग्रेजी झंडा उतार फैंका और जला दिया था।इसके बाद तिरंगा झंडा उसी डंडे में फहरा दिया था।
जसवंतनगर कस्बे में महात्मा गांधी के अनुयाई दो दर्जन से ज्यादा स्वतंत्रता सेनानी थे। इनमें शारदा प्रसाद गुप्ता रहीस,विजय बहादुर गुप्ता, श्री नारायण पुरवार (गुप्ता), पन्ना लाल गुप्ता,जयहिंद जोशी,ब्रह्मानंद गुप्ता, उग्रसेन जैन, नारायण दत्त दीक्षित, ज्योति शंकर पोरवाल, धर्म नारायण लबरदार, रामकिशोर चेयरमैन आदि के नाम प्रमुख हैं। इनमें से कई ने डाकघर लूटने और अंग्रेजों के विरुद्ध बगावत करने में 6 महीने से ज्यादा की सजा काटी थीं। इनके अलावा ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले भी कई सेनानी अंग्रेजों के विरुद्ध मुखर रहे थे। आज इनमे से कोई जीवित नहीं है।
*वेदव्रत गुप्ता*