अमरावती: भारत के प्रधान न्यायाधीश जस्टिस बीआर गवई ने शनिवार को कहा कि वह 23 नवंबर को सेवानिवृत्त होने के बाद किसी भी सरकारी पद को स्वीकार नहीं करेंगे। उन्होंने यह साफ किया कि रिटायरमेंट के बाद वह केवल परामर्श और मध्यस्थता का कार्य करेंगे। अमरावती जिला और सत्र न्यायालय में स्वर्गीय टीआर गिल्डा मेमोरियल ई-लाइब्रेरी के उद्घाटन कार्यक्रम में उन्होंने यह बात कही।

सीजेआई गवई ने कहा कि मैं पहले भी कई बार कह चुका हूं कि रिटायरमेंट के बाद कोई भी सरकारी पद नहीं स्वीकार करूंगा। मैं परामर्श और मध्यस्थता के जरिए ही अपने अनुभव से जुड़ी सेवाएं देता रहूंगा। उन्होंने आगे यह भी कहा कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता और निष्पक्षता बनाए रखना आवश्यक है और वह इसके प्रति प्रतिबद्ध हैं।

23 नवंबर को रिटायर होंगे गवई
जस्टिस गवई 23 नवंबर 2025 को सेवानिवृत्त होंगे। सेवानिवृत्ति से पहले उन्होंने अपने गृह जिले अमरावती में स्थित अपने गांव दरापुर में शुक्रवार को अपने पिता आरएस गवई की पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि दी। इनके पिता केरल और बिहार के राज्यपाल रह चुके हैं और उन्हें ‘दादासाहेब गवई’ के नाम से जाना जाता था।

दादासाहेब गवई के नाम पर बनेगा प्रवेश द्वार
सीजेआई गवई ने दरापुर गांव में ‘दादासाहेब गवई प्रवेश द्वार’ की आधारशिला भी रखी। यह प्रवेश द्वार गांव की मुख्य सड़क पर बनेगा, जिससे गांव में आने-जाने वालों को पूर्व राज्यपाल की स्मृति का अहसास रहेगा। कार्यक्रम में गवई के परिवार के सदस्य और ग्रामीण बड़ी संख्या में मौजूद रहे।

न्यायपालिका की गरिमा का समन्वय जरूरी
ई-लाइब्रेरी के उद्घाटन समारोह में सीजेआई ने कहा कि न्यायिक व्यवस्था में तकनीक का प्रयोग तेजी से बढ़ रहा है और न्यायालयों को समय के साथ तकनीकी संसाधनों को अपनाना चाहिए। उन्होंने युवा वकीलों को डिजिटल लाइब्रेरी का अधिकतम लाभ उठाने की सलाह दी और कहा कि इससे अध्ययन और मामलों की तैयारी में सहायता मिलेगी।

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