Thursday , May 9 2024

विदेश

फलस्तीनी विदेश मंत्री से मिले जयशंकर, गाजा के हालात पर दोनों नेताओं के बीच चर्चा

विदेश मंत्री एस जयशंकर म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन में भाग लेने के लिए जर्मनी में हैं। इस बीच रविवार को उनकी मुलाकात अपने फलस्तीनी समकक्ष रियाद अल मलिकी से हुई। दोनों नेताओं ने युद्धग्रस्त गाजा की मौजूदा स्थिति पर चर्चा की और अपने विचारों का आदान-प्रदान किया।

गाजा के हालात पर जयशंकर-मलिकी ने की चर्चा
जयशंकर ने एक्स पर पोस्ट में कहा, ‘फलस्तीनी विदेश मंत्री रियाद अल-मलिकी को देखकर अच्छा लगा। हमने गाजा की मौजूदा स्थिति पर विचारों का आदान-प्रदान किया।’ भारत बीते कई दशकों से फलस्तीन मुद्दे के दो-राष्ट्र समाधान पर जोर दे रहा है। इससे पहले शनिवार को म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन के संवाद सत्र के दौरान उन्होंने कहा था कि कई देश अब न केवल फलस्तीन मुद्दे के दो-राष्ट्र समाधान का समर्थन कर रहे हैं। बल्कि, पहले से भी ज्यादा जरूरी मान रहे हैं।

मानवीय कानून का पालन करना इस्राइल का दायित्व: जयशंकर
उन्होंने सात अक्तूबर को इस्राइली शहरों पर किए गए हमास के हमलों को आतंकवाद बताया था। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा था कि अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून का पालन करना इस्राइल का दायित्व है। उन्होंने कहा था कि इस्राइल को नागरिकों के हताहत होने को लेकर बहुत सावधान रहना चाहिए। सत्र के दौरान उनके साथ मंच पर अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन और जर्मनी की विदेश मंत्री अन्नालेना बेयरबॉक भी मौजूद थे।

पिछले साल सात अक्तूबर को शुरू हुआ युद्ध
बीते साल अक्तूबर माह में हमास के हमलों के बाद से इस्राइल की ओर जवाबी सैन्य कार्रवाई जारी है। हमास के हमलों में करीब 1,200 इस्राइली नागरिक मारे गए थे। जबकि 220 से ज्यादा लोगों का अपहरण कर लिया गया था। जिनमें से कुछ को अल्प संघर्ष विराम के दौरान रिहा किया गया। वहीं, हमास संचालित गाजा के अधिकारियों के मुताबिक, इस्राइल के हमलों में अब तक गाजा के 25,000 से ज्यादा लोग मारे गए हैं। भारत फलस्तीन मुद्दे का दो-राष्ट्र समाधान और तनाव को कम करने के लिए सीधी बातचीत को बहाल करने की दिशा में माहौल बनाने का आग्रह करता रहा है। भारत ने हमास के आतंकी हमलों की कड़ी निंदा की थी।

गुटनिरपेक्ष आंदोलन शिखर सम्मेलन में भी मिले थे दोनों नेता
इससे पहले जयशंकर और मलिकी की मुलाकात पिछले महीने 20 जनवरी को हुई थी। दोनों नेता युगांडा में 19वें गुटनिरपेक्ष आंदोलन शिखर सम्मेलन के अंतिम दिन मिले थे। इस दौरान भी दोनों नेताओं ने गाजा युद्ध के मानवीय और राजनीतिक पहलुओं पर चर्चा की थी और दोनों आपस में संपर्क बनाए रखने पर सहमत हुए थे।

हूती विद्रोहियों ने किया ब्रिटिश तेल टैंकर पर हमला, कच्चा तेल लेकर भारत के रास्ते पर था जहाज

यमन स्थित सशस्त्र विद्रोहियों के एक समूह हूती ने एक बार फिर एक ब्रिटिश तेल टैंकर पर हमला किया है। यह समूह गाजा में हमास के खिलाफ इजरायल के युद्ध के बीच ऐसे कई हमले कर चुका है।एक बार फिर इसने एक ब्रिटिश तेल टैंकर पर हमले की जिम्मेदारी ली है। अल जजीरा के अनुसार यह एक मिसाइल हमला था।

संयुक्त राज्य अमेरिका के अनुसार पनामा के झंडे वाला यह टैंकर कच्चा तेल लेकर भारत जा रहा था। जिस पर लाल सागर में मिसाइलों से हमला किया गया। अल जजीरा की रिपोर्ट के अनुसार, समूह के सैन्य प्रवक्ता याह्या सारी ने शनिवार को एक टेलीविजन बयान में कहा कि लाल सागर में पोलक्स टैंकर को निशाना बनाने के लिए “बड़ी संख्या में उपयुक्त नौसैनिक मिसाइलों” का इस्तेमाल किया गया।

यूनाइटेड किंगडम मैरीटाइम ट्रेड ऑपरेशंस (यूकेएमटीओ) ने शुक्रवार देर रात इस घटना की पुष्टि करते हुए बताया कि सना के दक्षिण-पश्चिम में एक बंदरगाह शहर अल-मुखा के उत्तर-पश्चिम में लगभग 70 समुद्री मील की दूरी पर पोलक्स पर एक हमला हुआ। रिपोर्ट के अनुसार, जहाज ने मिसाइल हमले के करीब एक विस्फोट की सूचना दी, लेकिन चालक दल और टैंकर को सुरक्षित माना गया, और सैन्य अधिकारी जवाब दे रहे थे। लाल सागर व्यापार मार्गों पर हूती हमले नवंबर के मध्य में शुरू हुए। यह समूह गाज पर इस्राइल के हमले का विरोध कर रहा है।

अमेरिकी सेंट्रल कमांड (सेंटकॉम) ने एक बयान में कहा, “15 फरवरी को शाम करीब साढ़े चार बजे यमन के हूती नियंत्रित इलाकों से अदन की खाड़ी में एक एंटी शिप बैलिस्टिक मिसाइल दागी गई। मिसाइल एमवी लाइकाविटोस की ओर बढ़ रही थी, जो बारबाडोस के झंडे वाला, ब्रिटेन के स्वामित्व वाला जहाज है। हालांकि जहाज ने हमले में कोई बड़ा नुकसान नहीं होने की सूचना दी है। जहाज के अनुसार हमले में बहुत मामूली क्षति हुई और इस अपनी यात्रा जारी रखी।”

भूकंप के झटके से कांपी म्यांमार की धरती, रिक्टर स्केल पर 4.4 रही तीव्रता

म्यांमार में आज सुबह नौ बजकर 25 मिनट पर भूकंप के झटके महसूस किए गए। रिक्टर पैमाने पर इसकी तीव्रता 4.4 मापी गई, भूकंप महसूस होते ही लोग घरों से बाहर आ गए। हालांकि, भूकंप की तीव्रता कम होने की वजह से फिलहाल कोई जान माल के नुकसान की खबर नहीं है। राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र ने बताया कि म्यांमार में शनिवार सुबह 4.4 तीव्रता का भूकंप आया।

अमेरिकी उप विदेश मंत्री भारत समेत इन देशों की करेंगे यात्रा
प्रबंधन और संसाधन के लिए उप विदेश मंत्री रिचर्ड आर. वर्मा संयुक्त राज्य अमेरिका के सहयोग को मजबूत करने के लिए भारत, मालदीव और श्रीलंका की यात्रा पर जाएंगे। अमेरिका के विदेश विभाग ने यह जानकारी दी। वर्मा 18-23 फरवरी को भारत, मालदीव और श्रीलंका की यात्रा करेंगे। अमेरिकी भारत-प्रशांत रणनीति की दूसरी वर्षगांठ के तुरंत बाद, उनकी यात्रा एक मुक्त, खुले, सुरक्षित और समृद्ध क्षेत्र के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका की स्थायी प्रतिबद्धता की पुष्टि करेगी।

विदेश मंत्री लिज एलेन भी जाएंगी भारत की यात्रा पर
पब्लिक डिप्लोमेसी की अवर विदेश मंत्री लिज एलेन 12 से 22 फरवरी तक जॉर्डन, श्रीलंका और भारत की यात्रा पर रहेंगी। अमेरिकी विदेश विभाग के अनुसार, यह यात्रा साझेदारी और गठबंधनों को मजबूत करने और विस्तार करने के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका की अटूट प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है। यह यात्रा अमेरिकी विदेश नीति और सार्वजनिक कूटनीति पहलों के मूल पर प्रकाश डालती है, जैसे- अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, आर्थिक सशक्तिकरण और वैश्विक सहयोग को बढ़ावा देना।

‘इस्राइल-हमास संघर्ष से जुड़े कार्यक्रमों की इजाजत नहीं…’, सिंगापुर पुलिस ने जारी की एडवायजरी

ब्रिटिश और अमेरिकी राजनयिक सम्मेलन के दौरान सिंगापुर पुलिस ने बोटैनिक गार्डन में इस्राइल-हमास युद्ध से संबंधित कार्यक्रमों की अनुमति नहीं देने पर अपने रुख को दोहराया। पुलिस ने गुरुवार को बताया कि उन्हें सोशल मीडिया पर इस्राइल-हमास संघर्ष से संबंधित अपने विचारों को प्रदर्शन करने के लिए वॉक-आउट सिंगापुर नामक एक कार्यक्रम के बारे में पता चला है।

इस्राइल-हमास संघर्ष से संबंधित कार्यक्रमों के लिए पुलिस से अनुमति लेना जरूरी
सिंगापुर पुलिस बल ने संगठन से संपर्क किया और इस मामले में उन्हें सलाह भी दी। स्थानीय मीडिया के अनुसार, ऐसे कार्यक्रमों के लिए पुलिस से अनुमति लेना आवश्यक है। पुलिस ने बताया कि इस तरह का आयोजन आयोजित करना और उसमें शामिल होना एक अपराध है।

इस हफ्ते की शुरुआत में अधिकारियों ने बताया कि उन्हें सिंगापुर एयरशो में इस्राइल के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के बारे में भी पता था। उन्होंने इस तरह के कार्यक्रमों को आयजित करने को गैरकानूनी बताया है।

बता दें कि अगले मंगलवार से होने वाले छह दिवसीय एयरशो में इस्राइली रक्षा बल भी भाग ले रहा है। अपने बयान को दोहराते हुए सिंगापुर पुलिस बल ने कहा कि संघर्ष से संबंधित जुलूसों के साथ विशेष सुरक्षा संबंधी चिंताएं हैं। उन्होंने कहा, ‘वे हमारे समाज में तनाव पैदा कर सकते हैं। सिंगापुर में विभिन्न समुदाय इसपर अलग-अलग विचार रखते हैं।

इसी वजह से हम इस्राइल-हमास संबंधित कार्यक्रमों को आयोजित करने की मंजूरी नहीं देंगे, चाहे किसी के भी पक्ष में समर्थन हो।’ उन्होंने बताया कि दो फरवरी को वे युद्ध से संबंधित घटनाओं की जांच कर रहे थे, जिसमें ऑर्चर्ड रोड पर एक सार्वजनिक बैठक भी शामिल थी।

भारतीयों को फिरौती के लिए धमकी मिलने का मामला, कनाडा पुलिस ने बनाई राष्ट्रीय जांच समिति

कनाडा में बीते दिनों भारतीय मूल के लोगों को फिरौती के लिए धमकी भरे कॉल आने का मामला सामने आया था। अब खबर आयी है कि कनाडा की पुलिस ने एक राष्ट्रीय स्तर की टीम बनाई गई है, जो इन मामलों की जांच करेगी। रॉयल कनैडियन माउंटेड पुलिस की नेशनल कॉर्डिनेशन और सपोर्ट टीम ब्रिटिश कोलंबिया, ओंटारियो और अल्बर्टा राज्यों की पुलिस के साथ मिलकर इन घटनाओं की जांच कर रही है। इन तीन राज्यों में ही भारतीय और दक्षिण एशियाई मूल के नेताओं को फिरौती के लिए ही धमकी मिलने की खबरें सामने आयीं थी।

कनाडा पुलिस का दावा- संगठित अपराध का है मामला
कनाडा पुलिस के एक शीर्ष अधिकारी ने बताया कि जांच टीम फिरौती के लिए आयी धमकी भरी कॉल के पीछे के मकसद की जांच कर रही है। उन्होंने कहा कि ये मामला संगठित अपराध से जुड़ा है। बीते कुछ माह पहले कनाडा में दक्षिण एशियाई मूल के लोगों खासकर भारतीय मूल के लोगों को फिरौती के लिए धमकी भरे कॉल आये थे।

इस मामले में कई शिकायत दर्ज हुईं। कनाडा में खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद से कनाडा में भारतीय मूल के लोगों खासकर हिंदुओं के खिलाफ हमले बढ़े हैं। कई हिंदू मंदिरों को भी निशाना बनाया गया है।

भारतीय मूल के लोगों के घरों पर हुई थी फायरिंग
कुछ भारतीय मूल के लोगों के घरों पर फायरिंग की घटनाएं भी हुईं। अपराधियों ने कॉल करके लोगों से सुरक्षा के बदले 20 लाख डॉलर की फिरौती मांगी थी। बीते साल नवंबर में कनाडा की पुलिस ने दावा किया था कि इन घटनाओं के पीछे भारत के एक आपराधिक गैंग का हाथ है, जो कनाडा में दक्षिण एशियाई मूल के लोगों को निशाना बना रहा है।

बीते साल दिसंबर में कनाडा में वैदिक हिंदू कल्चरल सोसाइटी के अध्यक्ष के बेटे के घर पर भी फायरिंग की घटना हुई थी। इस मामले में कनाडा पुलिस ने दो लोगों को गिरफ्तार किया था। हालांकि बाद में पूछताछ के बाद दोनों को छोड़ दिया गया था।

JUI-F के नेता का बड़ा दावा, सेना के शीर्ष अधिकारियों ने 2022 में इमरान खान की सरकार को गिराया

एक वक्त था जब पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान पाकिस्तानी सेना के लिए आंखों का तारा हुआ करते थे। विपक्षी नेता भी इमरान खान पर तंज कसते हुए उन्हें सेना का दुलारा कहकर बुलाते थे। हालांकि, फिर एक ऐसा समय आया, जब खान सेना के लिए एक तरह से अभिशाप बन गए। इसी को लेकर, पाकिस्तान के एक दक्षिणपंथी पाकिस्तानी राजनेता ने एक बड़ा खुलासा किया। उन्होंने दावा किया कि शीर्ष सैन्य नेताओं ने साल 2022 में इमरान खान की सरकार को गिराया था।

टीवी टॉक शो में दावा
जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम-फजल (जेयूआई-एफ) के मौलानाफजल-उर-रहमान ने गुरुवार को एक टीवी टॉक शो में दावा किया कि पूर्व सेना प्रमुख जनरल (सेवानिवृत्त) कमर जावेद बाजवा ने पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) सरकार को गिराया था।

अविश्वास प्रस्ताव पर बोले रहमान
रहमान ने पीटीआई संस्थापक के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव को वापस लेने पर कहा कि जब पीपीपी पीटीआई के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव ला रही थी, तब जनरल बाजवा और फैज हमीद हमारे संपर्क में थे। उन्होंने सभी दलों से अविश्वास प्रस्ताव लाने को कहा था।

रहमान ने एक सवाल के जवाब में कहा, ‘किसी को उनके सामने खड़ा होना चाहिए था और कहना चाहिए कि यह गलत है। उन्होंने आगे कहा, ‘जब तक चीजें ठीक नहीं हो जातीं, तब तक विरोध जारी रहेगा, क्योंकि सत्ता का राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है। इस विरोध के परिणामस्वरूप एक क्रांति होगी।’

गठबंधन सरकार बनाने की योजना पर आलोचना
पीटीआई के साथ बातचीत पर रहमान ने कहा, ‘पीटीआई के साथ मन में मतभेद है, जिसे सुलझाया जा सकता है।’ उन्होंने पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी समेत अन्य दलों के सहयोग से गठबंधन सरकार बनाने की योजना की घोषणा के लिए पीएमएल-एन की आलोचना की। उन्होंने कहा कि वर्तमान संसद का कोई भविष्य नहीं है, क्योंकि संसद में निर्णय और नीतियां कहीं और से आएंगी।

समलैंगिक विवाह को ग्रीस ने दी मान्यता, कानून पारित; जानें LGBTQ+ को क्या होगा फायदा

ग्रीस संसद ने ऐतिहासिक परिवर्तन के साथ समलैंगिक विवाह को वैध बनाने वाले एक कानून को आखिरकार मंजूरी दे दी है। ग्रीस अब विवाह समानता स्थापित करने वाला पहला बहुसंख्यक रूढ़िवादी ईसाई देश बन गया है। तमाम संगठन इस फैसले को ग्रीस में मानवाधिकारों के लिए ऐतिहासिक जीत के तौर पर देख रहे हैं। ग्रीस की संसद में कानून को लेकर वोट हुई, 300 सांसदों में से 176 ने प्रस्ताविक कानून को पक्ष में वोट दिया, जबकि 76 सांसद इस कानून के खिलाफ थे।

मानवाधिकारों के लिए एक मील का पत्थर- ग्रीस प्रधानमंत्री
ग्रीस संसद द्वारा ऐतिहासिक कानून पारित होने के बाद से एलजीबीटीक्यू+ समुदायों में खासा उत्साह है। इन समुदायों से संबंधित संगठनों ने इस कानून के पारित होने खुशी जाहिर की। उन्होंने कहा कि महीनों के ध्रुवीकृत राजनीतिक और सार्वजनिक प्रवचन का परिणाम है। ग्रीस के प्रधानमंत्री किरियाकोस मित्सोटाकिस ने सोशल मीडिया पर पोस्ट साझा करते हुए लिखा, यह मानवाधिकारों के लिए एक मील का पत्थर है, जो आज के ग्रीस को दर्शाता है। प्रगतिशील और लोकतांत्रिक देश, यूरोपीय मूल्यों के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है।

यह अधिकारी की लड़ाई थी, जिसे हमने जीत लिया- एंड्रिया गिल्बर्ड
एथेंस प्राइड के संस्थापक सदस्य एंड्रिया गिल्बर्ट ने कहा, हमने एक अदृश्य, हाशिए पर रहने वाले समुदाय के रूप में शुरुआत की। हमने वोट देना जारी रखा। अपने करों का भुगतान किया। तमाम अभियान चलाया। कानून निर्माण के लिए आधार प्रदान करता है। यह युवा जोड़ों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। यह कानून समलैंगिक जोड़ों को गोद लेने और पूर्ण माता-पिता की मान्यता प्राप्त करने की अनुमति देगा।

समलैंगिक जोड़ों भी ले सकेंगे बच्चों को गोद
एक दशक पहले वामपंथी सिरिजा सरकार के तहत समलैंगिक जोड़ों के लिए नागरिक भागीदारी की शुरुआत की थी, लेकिन उन संबंधों में बच्चों के केवल माता-पिता को ही कानूनी अभिभावक के रूप में मान्यात दी गई थी। अब समानलैंगिक जोड़े को भी माता-पिता के रूप में मान्यात दी जा सकती है। ग्रीस में समलैंगिक जोड़ों को भी गोद लेने का अधिकार दिया गया है, लेकिन वे सरोगेसी के जरिए बच्चा पैदा नहीं कर सकते।

शहबाज के हाथ में सत्ता की बागडोर से खत्म हो जाएगा नवाज का राजनीतिक करियर? तेज हुईं अटकलें

आम चुनाव के बाद पाकिस्तान की बागडोर किसके हाथ में होगी, यह अब लगभग साफ हो चुका है। प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में पीएमएल-एन ने पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष शहबाज शरीफ के नाम को आगे बढ़ाया है। इससे पहले अटकलें थीं कि उनके बड़े भाई नवाज शरीफ के नाम का एलान किया जाएगा। पीएमएल-एन ने मंगलवार की देर शाम शहबाज के नाम का एलान कर सबको चौंका दिया था। इस कदम को नवाज के सियासी करियर के अंत के तौर पर देखा जा रहा है। वह चौथी बार इस पद को हासिल करने में नाकाम रहे।

नवाज शरीफ तीन बार देश के प्रधानमंत्री रह चुके हैं। जबकि, शहबाज शरीफ एक बार पहले देश के प्रधानमंत्री रह चुके हैं। अब पीएमएल-एन के कार्यकारी अध्यक्ष शहबाज के दूसरी बार प्रधानमंत्री बनने की उम्मीद है। आम चुनाव के त्रिशंकु परिणाम सामने आने के बाद दोनों भाइयों ने गठबंधन सरकार बनाने के लिए पिछले एक हफ्ते में अन्य दलों से संपर्क किया है। अगर सब कुछ योजना के मुताबि होता है तो अगले महीने की शुरुआत में छह दलों की गठबंधन सरकार देश की बागडोर संभाल सकती है।

आम चुनाव में तीनों प्रमुख दलों पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन), पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) और पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) को पूर्ण बहुमत नहीं मिला है। इसलिए, कोई भी दल अकेले अपने दम पर सरकार बनी बना पाएगा। सूत्रों ने बताया कि सैन्य प्रतिष्ठान ने नवाज के बजाय शहबाज के पलड़े को भारी किया है।

पाकिस्तानी मीडिया की खबरों के मुताबिक, शक्तिशाली सैन्य प्रतिष्ठान नवाज की तुलना में शहबाज के साथ काम करने में ज्यादा सहज है। सैन्य प्रतिष्ठान ने ही पिछले साल अक्तूबर में नवाज को लंदन से वापसी की सुविधा दी और उनके चार साल के आत्म-निर्वासन को खत्म किया। हालांकि, नवाज शरीफ की बेटी मरियम नवाज ने अपने पिता के सियासी करियर के बारे में अटकलों को खारिज किया। पंजाब प्रांत में मुख्यमंत्री पद की दौड़ में सबसे आगे चल रहीं मरियम ने बुधवार को कहा था कि नवाज शरीफ चौथी बार प्रधानमंत्री बनना चाहते थे, लेकिन पूरा जनादेश न मिलने के कारण वह इस शीर्ष पद से पीछे हटे।

मरियम ने अपने पिता के सियासी करियर के खत्म होने संबंधी खबरों को खारिज किया। उन्होंने कहा, उनका (नवाज) राजनीतिक करियर अभी खत्म नहीं हुआ है। इन अटकलों में कोई सच्चाई नहीं है कि नवाज ने सियासत से संन्यास लेने का फैसला किया है। वह केंद्र और पंजाब सरकार की निगरानी करेंगे और अपनी भूमिका निभाएंगे। उन्होंने कहा, पहले तीन बार जब नवाज शरीफ सत्ता में रहे, तब नेशनल असेंबली में उनके पास पूरा बहुमत था। लेकिन, अब पीएमएल-एन को पूर्ण बहुमत नहीं मिला है। मरियम ने कहा, जो नवाज को जानते हैं, उन्हें यह भी पता है कि उनकी गठबंधन सरकार नेतृत्व करने में कोई दिलचस्पी नहीं है और चुनावी भाषण के दौरान वह इसका एलान भी कर चुके थे।

अमेरिकी चुनाव से पहले पुतिन ने की बाइडन की तारीफ, बताया ट्रंप से ज्यादा अनुभवी राजनेता

अमेरिका में आम चुनाव से पहले रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अपने अमेरिकी समकक्ष जो बाइडन की तारीफों के पुल बांधे हैं। उन्होंने बाइडन को पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से ज्यादा अनुभवी बताया। पुतिन ने कहा कि उनका देश बाइडन को दूसरे कार्यकाल के लिए जीतते हुए देखना पसंद करेगा। पुतिन ने रूस के सरकारी टेलीविजन के एक संवाददाता को इंटरव्यू दिया। इस दौरान उन्होंने कहा कि वह निर्वाचित होने वाले किसी भी अमेरिकी नेता के साथ मिलकर काम करना पसंद करेंगे। लेकिन, जब उनसे पूछा गया कि रूस के नजरिए से कौन बेहतर विकल्प होगा तो उन्होंने कहा कि वह बाइडन की जीत को तरजीह देंगे।

यूक्रेन की मदद को लेकर आमना-सामना
ट्रंप ने हाल ही में अपने बयानों में कीव के लिए अमेरिकी वित्तपोषण (फंडिंग) पर सवाल उठाया है। पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप नाटो के आलोचक माने जाते हैं। उन्होंने हाल ही में कहा था कि अगर वे राष्ट्रपति बनते हैं तो नाटो के जो सदस्य देश पैसे खर्च नहीं करते हैं, वे उनके खिलाफ रूस को हमलों के लिए प्रोत्साहित करेंगे। वहीं, बाइडन ने आरोप लगाया था कि ट्रंप ने एक रूसी तानाशाह के सामने घुटने टेक दिए हैं।

अमेरिकी राष्ट्रपति के स्वास्थ्य पर कही ये बात
बाइडन के स्वास्थ्य को लेकर लगाई जा रही अटकलों पर पुतिन ने कहा, “मैं डॉक्टर नहीं हूं। इसलिए, मैं इस पर टिप्पणी करना उचित नहीं समझता हूं।” रूसी राष्ट्रपति ने कहा, “बाइडन के स्वास्थ पर ऐसे समय में चर्चा हो रही है, जब अमेरिका में चुनाव प्रचार तेज गति पकड़ रहा है और यह हर दिन तेज होता जा रहा है।” उन्होने कहा कि वह बाइडन जून 2021 में स्विट्जरलैंड में मिले थे और उन्होंने अमेरिकी नेता को पूरी तरह से सक्षम पाया।

इंडोनेशिया में राष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदान शुरू, 20 करोड़ मतदाता करेंगे अपने मत का इस्तेमाल

दुनिया में आज जहां एक तरफ युवक-युवतियां वैलेंटाइन डे मना रहे हैं। वहीं मुस्लिम बहुल देश इंडोनेशिया में आधे से अधिक मतदाता, जो कि युवा हैं, नई सरकार बनाने के लिए मतदान कर रहे हैं। अर्थव्यवस्था, मानवाधिकारों पर चिंताओं के बीच यहां 20 करोड़ से अधिक मतदाता नए राष्ट्रपति का चुनाव करने के लिए अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। इंडोनेशिया में फिलहाल जोको विडोडो राष्ट्रपति हैं।

 इन प्रतिनिधियों का भी होगा चुनाव
बता दें, आज दुनिया के सबसे बड़े एक दिवसीय चुनाव में न केवल नए राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति को बल्कि संसदीय और स्थानीय प्रतिनिधियों को भी चुना जाएगा। ‘जोकोवी’ के नाम से लोकप्रिय विडोडो अपने दो कार्यकाल की अधिकतम सीमा पूरी कर चुके हैं। उनके कार्यकाल की समाप्ति के बाद इंडोनेशिया अपनी राजनीति में एक नए चरण की शुरुआत करना चाहता है।

इंडोनेशिया में 27 करोड़ आबादी
इंडोनेशिया की कुल 27 करोड़ आबादी में से 20.4 करोड़ लोग मतदान करेंगे। मतदान के लिए सार्वजनिक अवकाश घोषित किया गया है। इसलिए उम्मीद है कि अधिक लोग मतदान करेंगे। पिछले साल 2019 में 81 प्रतिशत लोगों ने मतदान किया था। इंडोनेशिया में 18 राजनीतिक दल हैं, जो 575 संसदीय सीटों पर चुनाव लड़ रहे हैं।

वर्तमान में जोको विडोडो (जोकोवी) इंडोनेशिया के राष्ट्रपति हैं, जो पिछले 10 वर्षों से इंडोनेशिया के शीर्ष पद पर बैठे हैं। वहीं, इस चुनाव में तीन उम्मीदवार राष्ट्रपति बनने की रेस में हैं। लेकिन सबकी नजरें राष्ट्रपति पद के दावेदार प्रोबोवो सुबिआंतो पर टिकी हुई हैं। वे पूर्व सैन्य जनरल रह चुके हैं और इस सरकार में रक्षा मंत्री रह चुके हैं।

तीन जोड़ी राष्ट्रपति पद के शीर्ष उम्मीदवार
इंडोनेशिया में राष्ट्रपति और उप-राष्ट्रपति पद के लिए तीन जोड़िया मुख्य रूप से आगे चल रही हैं। राष्ट्रपति पद के लिए पहला नाम- वर्तमान रक्षा मंत्री प्रबोवो सुबियांतो (72) का है, जो 2014 और 2019 में जोकोवी से हार गए थे। उन पर 1990 के दशक के अंत में 20 से अधिक लोकतंत्र समर्थक कार्यकर्ताओं के अपहरण का आरोप है।

साथ ही उन पर पूर्वी तिमोर और पापुआ में मानवाधिकारों के हनन का भी आरोप है। वहीं, सुबियांतो के साथी और उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार जिब्रान राकाबुमिंग (36) भी विवादास्पद रहे हैं। हालाँकि प्रबोवो और जिब्रान को जोकोवी का स्पष्ट समर्थन नहीं है।