भारत और चीन के शीर्ष राजनयिकों के बीच गुरुवार को द्विपक्षीय संबंधों को लेकर अहम बैठक हुई। जिसमें दोनों देशों के नेताओं द्वारा पिछले वर्ष तय किए गए साझा सहमति बिंदुओं को लागू करने पर बातचीत की गई। यह मुलाकात भारतीय राजदूत प्रदीप कुमार रावत और चीन के उप विदेश मंत्री सुन वेइडोंग के बीच बीजिंग में हुई। इस बैठक को ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत और चीन के बीच पहली औपचारिक कूटनीतिक बातचीत मानी जा रही है।

चीन के विदेश मंत्रालय द्वारा जारी बयान में कहा गया कि दोनों पक्षों ने नेतृत्व स्तर पर हुई सहमति को गंभीरता से लागू करने की प्रतिबद्धता जताई है। इसके अलावा, सांस्कृतिक आदान-प्रदान और पारस्परिक लाभ के लिए सहयोग को बढ़ावा देने, मतभेदों का उचित प्रबंधन करने और द्विपक्षीय संबंधों को स्थिर और स्वस्थ दिशा में आगे बढ़ाने के उपायों पर भी चर्चा की गई।

चीन की ओर से सुन वेइडोंग(पहले भारत में चीन के राजदूत रह चुके हैं और वर्तमान में दक्षिण एशिया मामलों के प्रभारी हैं) ने बैठक में भारत के साथ संबंधों को लेकर सकारात्मक संकेत दिए।
बैठक ऐसे समय में हुई है जब दोनों देश कैलाश मानसरोवर यात्रा को पुनः शुरू करने की तैयारियों में लगे हैं। यह यात्रा 2020 में पहले कोविड-19 महामारी और फिर लद्दाख में सैन्य गतिरोध के कारण स्थगित कर दी गई थी।

विदेश मंत्रालय (एमईए) ने 26 अप्रैल को घोषणा की थी कि यात्रा जून से अगस्त के बीच दो मार्गों उत्तराखंड के लिपुलेख दर्रे और सिक्किम के नाथू ला मार्ग से आयोजित की जाएगी। गौरतलब है कि लद्दाख में पूर्वी सीमा पर करीब चार वर्षों तक चले सैन्य तनाव के बाद अक्तूबर 2024 में डेमचोक और डेपसांग से सैनिकों के पूर्ण विसंगति के बाद भारत-चीन संबंधों को सामान्य करने के लिए प्रयास तेज किए गए। पीएम नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की रूस के कज़ान में हुई मुलाकात में कई द्विपक्षीय संवादों को पुनः शुरू करने पर सहमति बनी थी।

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