भारत का रासायनिक क्षेत्र 2040 तक 1 ट्रिलियन डॉलर के आंकड़े को छू सकता है। नीति आयोग की एक रिपोर्ट में यह दावा किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार यह वैश्विक मूल्य श्रृंखला (जीवीसी) में 12 प्रतिशत हिस्सेदारी हासिल कर लेगा। इससे वह वैश्विक रासायनिक महाशक्ति बन जाएगा।
रसायनिक क्षेत्र में भारत की 3.5 प्रतिशत की हिस्सेदारी
वर्तमान में जवीसी में भारत की हिस्सेदारी 3.5 प्रतिशत है, जबकि 2023 में इसका केमिकल व्यापार घाटा 31 अरब डॉलर रहा। यह देश की आयातित फीडस्टॉक और विशेष रसायनों पर भारी निर्भरता को दर्शाता है। वर्ष 2030 के लिए भारत का विजन है कि वह वैश्विक मूल्य श्रृंखला में 5 से 6 प्रतिशत की हिस्सेदारी के साथ वैश्विक रासायनिक विनिर्माण महाशक्ति बने।
रासायनिक क्षेत्र देश के पारंपरिक उद्योगों से कहीं बड़ा है
नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी बीवीआर सुब्रह्मण्यम ने कहा कि रासायनिक क्षेत्र देश के कई पारंपरिक उद्योगों से कहीं बड़ा है और इसका लाभ उठाने का यह सही समय है। उन्होंने कहा कि भारत रसायनों का एक प्रमुख उत्पादक है। यह एक तेजी से बढ़ता हुआ क्षेत्र है।
रोजगार और निर्यात में वृद्धि
रिपोर्ट में कहा गया कि मौजूदा उत्पादन को दोगुना करने और 31 अरब डॉलर के व्यापार घाटे को नेट जीर पर लाने का प्रयास किया जाएगा। इस पहल से 35 से 40 अरब डॉलर का अतिरिक्त निर्यात होगा और लगभग 7 लाख कुशल नौकरियां पैदा होंगी। इसके लिए सराक को लक्षित सुधारों को लागू करना होगा।