नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा को सिर्फ वर्मा कहने पर एफआईआर की मांग कर रहे याचिकाकर्ता के वकील को फटकार लगाई। शीर्ष अदालत ने जस्टिस वर्मा के खिलाफ नकदी बरामदगी मामले में एफआईआर की मांग वाली याचिका पर तत्काल सुनवाई करने से भी इनकार कर दिया।

सीजेआई जस्टिस बीआर गवई व जस्टिस के विनोद चंद्रन की पीठ के समक्ष वकील मैथ्यूज नेदुम्पारा ने आग्रह किया कि यह इस मुद्दे पर उनकी तीसरी याचिका है और इसे तत्काल सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाए। सीजेआई ने पूछा, क्या आप चाहते हैं कि इसे अभी खारिज कर दिया जाए? उन्होंने आगे कहा कि इसे उचित समय पर सूचीबद्ध किया जाएगा।

इस पर नेदुम्पारा ने कहा इसे खारिज करना असंभव है। एक एफआईआर दर्ज होनी चाहिए। अब तो वर्मा बस यही मांग कर रहे हैं। एक एफआईआर और एक जांच होनी चाहिए। पीठ ने इस बात पर कड़ा संज्ञान लिया कि वकील ने हाईकोर्ट के जज को वर्मा कहकर संबोधित किया।

सीजेआई ने पूछा, क्या वह आपके मित्र हैं? वह अभी भी जस्टिस वर्मा हैं। आप उन्हें ऐसे कैसे संबोधित कर रहे हैं? कुछ शिष्टाचार रखें। आप एक विद्वान जज का उल्लेख कर रहे हैं। वह अभी भी जज हैं। जवाब में वकील ने कहा, मुझे नहीं लगता कि यह महानता उन पर लागू हो सकती है। मामले को सूचीबद्ध किया जाना चाहिए। इस पर सीजेआई ने कहा, कृपया न्यायालय को निर्देश न दें।

आंतरिक जांच समिति की रिपोर्ट के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे जस्टिस वर्मा
जस्टिस वर्मा ने भी हाल ही में सुप्रीम कोर्ट का रुख कर उसकी आंतरिक जांच समिति की रिपोर्ट को अमान्य ठहराने की मांग की है। जस्टिस वर्मा ने तत्कालीन सीजेआई जस्टिस संजीव खन्ना की ओर से 8 मई को की गई उस सिफारिश को रद्द करने की भी मांग की है, जिसमें संसद से उनके खिलाफ महाभियोग चलाने का आग्रह किया गया था। उधर, सरकार भी मानसून सत्र में जस्टिस वर्मा को हटाने के लिए महाभियोग प्रस्ताव लाने की योजना बना रही है।

By Editor