लखनऊ: बिजली निगम ने विद्युत नियामक आयोग को बिजली दरों में बढ़ोतरी का प्रस्ताव सौंपा है। इस पर सोमवार को जनसुनवाई हुई। प्रस्ताव में घाटे का हवाला देते हुए दरें बढ़ाने की मांग की गई है। खास ये है कि राजधानी में एक अप्रैल 2024 से 31 मार्च 2025 के बीच 191.75 करोड़ की बिजली चोरी पकड़ी गई। इसमें से मात्र 5.82 करोड़ रुपये ही वसूले गए हैं। बिजली चोरों से 186.93 करोड़ वसूलने में नाकाम बिजली निगम अब ईमानदार उपभोक्ताओं पर बिजली दरों का बोझ बढ़ाकर भरपाई करना चाहता है।

आंकड़ों के अनुसार वित्तीय वर्ष 2024-25 के दौरान अमौसी, लखनऊ मध्य, जानकीपुरम और गोमतीनगर जोन में बिजली निगम की टीमों ने 8,992 बिजली चोरी के मामलों का भंडाफोड़ किया। इन सभी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई और कुल चोरी की गई बिजली के एवज में 191.75 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया

बिजली चोरों से वसूली के लिए जिम्मेदार जेई, एसडीओ, एक्सईएन कितने संजीदा थे, इसका अंदाज वसूली की रकम से लगाया जा सकता है। अब तक अफसर मात्र 5.82 करोड़ रुपये ही वसूल सके हैं, जो कुल रकम को मात्र तीन प्रतिशत है।

वसूली में असफलता के लिए सीधे तौर पर स्थानीय जेई, एसडीओ और एक्सईएन जिम्मेदार हैं। इस मामले में विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे कहते हैं कि जब घाटा बिजली चोरी और कर्मचारियों की लापरवाही से हो रहा है, तो उसकी भरपाई हर महीने बिल चुकाने वाले ईमानदार उपभोक्ताओं से क्यों की जा रही है? उपभोक्ता पहले से ही बिजली की महंगी कीमत चुका रहे हैं। बिजली दरों में बढ़ोतरी कहीं से तर्कसंगत नहीं। सच ये है कि निगम निजी कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए ही बिजली दरों को बढ़ाने पर आमादा है।

बिजली दरों में बढ़ोतरी के विरोधी और उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि प्रबंधन बिजली चोरों को उनके जुर्माना पर 65% की छूट देकर खुद बिजली चोरी को बढ़ावा दे चुका, जिससे घाटा हो रहा है। इस घाटे की भरपाई के लिए आम उपभोक्ता की बिजली किसी भी हालत में महंगी नहीं होने देंगे।

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