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साहित्यकार शैलेंद्र सागर सिंह की मुझे कहने दो साहित्य कृति प्रकाशित

साक्षात्कार- साहित्यकार शैलेंद्र सागर सिंह

*मुझे कहने दो* यह साहित्य कृति पहले भाग के रूप में सुप्रसिद्ध ब्लू रोज पब्लिकेश दिल्ली द्वारा प्रकाशि शैलेंद्र सागर सिंह की पहली प्रकाशित पुस्तक है। मूल रूप से गाजीपुर में जन्मे श्री सिंह इलाहाबाद विश्वविद्यालय से स्नातक करने के बाद उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग से लोअर पीसीएस में चयनित होकर पूर्ति निरीक्षक के पद पर कार्यरत हैं उनके द्वारा इस कृति में अपने विद्यार्थी जीवन से लेकर अब तक के कार्यकाल में अर्जित अनुभवों एवं साहित्य चिंतन को समाहित किया गया है। हमारे संवाददाता द्वारा उनसे की गई बातचीत के अंश अग्रलिखित हैं-

प्रश्न 1- अपनी पुस्तक के बारे में कुछ बतायें? यह किस विषय को लेकर लिखी गयी है??

मेरी पुस्तक मूलतः हिन्दी साहित्य से संबंधित है…. इस पुस्तक में दो खंड हैं…
प्रथम खंड में साहित्य दर्शन के माध्यम से आठ बिन्दुओं में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि कोई आम आदमी एक साहित्यकार में कैसे तब्दील होता है। दूसरे शब्दों में इस खंड में यह बताया गया है कि साहित्य व साहित्यकार के सृजन की प्रक्रिया क्या है ??
द्वितीय खंड में मेरी स्वरचित 20 कविताएं हैं। इन कविताओं में समाज, राजनीति, रहस्यवाद तथा प्रेम-सौन्दर्य इन सबको समाहित किया गया है। कविताओं को समझने में पाठक को आसानी रहे इसके लिए प्रत्येक कविता के पूर्व उसका संक्षिप्त परिचय दे दिया गया है।

प्रश्न 2- लेखन की प्रेरणा आपको कहाँ से मिली?

सुख कहने से बढ़ जाता है तथा दुःख कहने से कम हो जाता है…. यही भाव कुछ कहने को बाध्य करता है। अनुभव का तनाव कहे बिना कम नही होता है इसी भावना के तहत साहित्य सृजन की तरफ कोई भी लेखक उन्मुख होता है। मेरे जीवन में इस भावना के अतिरिक्त एक अन्य कारण भी रहा है जिसने मुझे साहित्य सृजन की तरफ उन्मुख किया- वो है समय का दस्तावेजीकरण और समय की समीक्षा। साहित्य समय के प्रवाह में बहते जाने का नाम नही है… बल्कि साहित्य है… “समय की समीक्षा के साथ समय को लिपिबद्ध करना”. इन्हीं भावनाओ के तहत मैं साहित्य सृजन की तरफ उन्मुख हुआ।

प्रश्न 3- आपके पाठकों को आपकी पुस्तक के अध्ययन से क्या लाभ होंगे?

मेरी पुस्तक के अध्ययन से पाठक को तीन लाभ होंगे-
(i)पाठक इस पुस्तक को पढ़कर साहित्य सृजन की प्रक्रिया से अवगत होगा जो कि अभी तक आलोचनात्मक दर्शन में एक यूनिक उपलब्धि है। वर्तमान साहित्य सृजन में इस तथ्य की बहुत उपेक्षा हुई है। इस संदर्भ में यह पुस्तक उन छात्रों के लिए ज्यादा उपयोगी होगी जो हिन्दी साहित्य में शोधरत हैं… या होने वाले हैं।
(ii) मेरी पुस्तक से पाठक को दूसरा लाभ यह होगा कि वह उन अनुभवों से गुजरेगा जिनका लेखक या कवि अपने जीवन में साक्षी रहा है। यह बात पाठक को अनुभव संपन्न बनाएगी।
(iii) इस पुस्तक में दर्ज कविताएँ समय का दस्तावेज हैं जिनमें समय की आलोचनात्मक समीक्षा की गयी है इसलिए पाठक इससे लाभान्वित होगा।

प्रश्न 4- क्या लेखन आपका फुल टाइम कैरिअर है? क्या आप भविष्य में एक साहित्यकार बनना चाहते हैं?

लेखन मेरा शौक, मेरा पैशन है… मेरी जीविका या फुल टाइम कैरिअर नही है… इसीलिए मैं इतना निडर और निर्भीक लिख पाता हूँ। यदि भविष्य में परमात्मा की कृपा हुई तो इस दिशा में गति होगी।

प्रश्न 5- बाल्यकाल से आपका जीवन में क्या लक्ष्य रहा है?

बचपन से मेरा लक्ष्य प्रशासन में जाना था. मैं अभी सरकारी सेवा में कार्यरत भी हूँ… लेकिन इन व्यस्तताओ के बाद भी साहित्य का अध्ययन और सृजन मेरे जीवन की प्रबल आंतरिक प्रवृत्ति रही है.. मैंने हमेशा अपनी इस आंतरिक प्रवृत्ति के साथ न्याय करने की और उसके माध्यम से पूर्णता प्राप्त करने की कोशिश की है और यह कोशिश लगातार जारी रहेगी।

साहित्यकार शैलेंद्र सागर सिंह का कहना है कि जो व्यक्ति साहित्य को तथा साहित्य सृजन की प्रक्रिया को समझना चाहता है उसके लिए यह कृति अत्यंत उपयोगी होगी।

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