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शुक्ल और ब्रह्म योग के अद्भुत संयोग में शुरू हो रहे है शारदीय नवरात्र, जानिए क्यों खास है इस बार की नवरात्रि

फ़ोटो- पंडित अनिल दीक्षित जी महाराज

इटावा: भक्ति व आराधना का पावन पर्व शारदीय नवरात्र 26 सितंबर से हो रहे हैं शुरू, 4 अक्टूबर को नवरात्र होंगे संपन्न, 5 अक्टूबर को मनाया जाएगा विजयदशमी का पावन पर्व

पंडित अनिल दीक्षित जी महाराज ने बताया है कि देवी की उपासना का पर्व शारदीय नवरात्र पर इस बार बेहद दुर्लभ योग बन रहा है इस बार शारदीय नवरात्र की शुरुआत शुक्ल और ब्रह्म योग से हो रही है, 26 सितंबर को सुबह 8:06 पर ब्रह्म योग बन रहा है जो 27 सितंबर को 6:44 पर समाप्त होगा। वही शुक्ल योग की बात करें तो शुक्ल योग की शुरुआत 25 सितंबर को 9:06 से होगी 26 सितंबर 2022 को 8:06 तक शुक्ल योग रहेगा इस बार नवरात्र पूरे 9 दिन के है।

मां अंबे का पृथ्वी पर आगमन और प्रस्थान इस बार हाथी पर है जो अच्छी बारिश खुशहाली और समृद्धि का संकेत दे रहा है नवरात्र में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा उपासना की जाती है मां की पूजा से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।

यह है कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त-

26 सितंबर को कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 6:11 से लेकर 7:30 तक हस्त नक्षत्र व शुक्ल युग में होगा, यदि आप इस समय कलश स्थापना नहीं कर पाते हैं तो आप 9:12 से 10:42 के बीच घट स्थापित कर सकते हैं हस्त नक्षत्र ब्रह्म योग में कलश स्थापना कर सकते हैं नवरात्र पर कलश स्थापित करने के लिए तीसरा शुभ मुहूर्त 11:48 से 12:36 तक रहेगा इस समय अभिजीत मुहूर्त हस्त नक्षत्र ब्रह्म योग है आप अपनी सुविधा के अनुसार इनमें से किसी भी मुहूर्त में कलश स्थापना कर सकते हैं।

क्यों खास है इस बात की शारदीय नवरात्र-

शास्त्रों के अनुसार ऐसी मान्यताएं हैं कि जब नवरात्र का प्रारंभ रविवार या सोमवार के दिन से होता है तो माता रानी हाथी पर सवार होकर आती हैं, मां अंबे हाथी पर सवार होकर आती है तो बारिश होने की संभावना बहुत बढ़ जाती है इससे चारों और हरियाली छाने लगती है और प्रकृति का सुंदर भी बढ़ने लगता है।