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राम कथा का वर्णन करते हुए भगवान राम और केवट के प्रसंग की मार्मिक चर्चा

औरैया। बाबरपुर कस्बे के सब्जी मंडी में नवरात्रि के अवसर पर चल रही श्रीमद्भागवत कथा के षष्टम दिवस पर कथा कर रहे आचार्य वृंदावन से पधारे छबीले छैल बिहारी जी महाराज ने राम कथा का वर्णन करते हुए भगवान राम और केवट के प्रसंग की मार्मिक चर्चा की राम और केवट के प्रसंग की चर्चा सुनकर श्रोता भाव विभोर हो गए उन्होंने मानस की चौपाई-

मागी नाव न केवटु आना। कहइ तुम्हार मरमु मैं जाना॥

चरन कमल रज कहुं सबु कहई। मानुष करनि मूरि कछु अहई॥  

पर समाज को दिशा देने का प्रयास किया भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण के साथ वन गमन के लिए जब प्रस्थान करते हैं तो उनकी भेंट केवट से होती है केवट ने प्रभु श्री राम को वनवास के दौरान नाव में बिठाकर गंगा पार करवाया था गंगा पार करवाने से पहले केवट ने भगवान राम के सामने एक शर्त रख दी केवट ने कहा प्रभु में चरण कमलों की धूल के लिए आतुर हूं।

भगवान आपके पैरों की धूल किसी महा औषधि से कम नहीं हैं इसलिए नाव पर बैठने से पहले आपको पहले पांव धुलवाने होंगे तभी वह नाव पर चढ़ने देगा ,भगवान राम केवट की मंशा को तुंरत समझ लेते हैं और वे तैयार हो जाते।

केवट की इस बात को सुनकर प्रभु राम मुस्कराते हैं और कहते हैं केवट आओ मेरे पैर धोलो. इतना सुनकर केवट की प्रसन्नता का कोई ठिकाना नहीं रहता है और दौड़कर घर से पैर धोने के लिए लकड़ी का कठौता ले आता है और बड़े ही प्रेम भाव से स पत्नी भगवान के चरणों को धौता है और इसके बाद कठौती में भरा चरणामृत सभी लोगों को वितरित करता है और बाद में स्वयं चरणामृत का पान कर आनंद की अनुभूति करता है आचार्य ने भगवान और केवट के प्रसंग की चर्चा को समाज से जोड़कर कर अनेक रूप से व्याख्या कर श्रोताओं को भावुक कर दिया।

कथा के समाप्ति पर परीक्षित गजेंद्र महाराणा ने सपत्नी आरती के बाद प्रसाद वितरण किया गया कथा की व्यवस्था मे हरि ओम, शिव शरण लाल जी पोरवाल ,शेष कुमार वीनू गुप्ता, उमंग पोरवाल, रामप्रकाश, संजीव कुमार, वसंत, पुष्पेंद्र, रामशरण राजपूत ,बृजेश कुमार पोरवाल ,राजू गुप्ता, केदू पोरवाल , अनिल सविता , विनीत सविता , आदि का सहयोग रहा ।