नई दिल्ली: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) सामाजिक सद्भाव बढ़ाने के लिए पूरे देश में लोगों से घर-घर संपर्क करेगा। इसके लिए संघ के स्वयंसेवक सामाजिक सरोकार के साहित्य को लेकर लोगों से घर-घर संपर्क स्थापित करेंगे। इसका उद्देश्य समाज की विभिन्न जातियों के बीच आपसी सहयोग और समन्वय को बढ़ाना है जिससे राष्ट्रीय एकता को बल दिया जा सके। आरएसएस की 4 जुलाई से 6 जुलाई के बीच होने वाली विशेष बैठक में इसको लेकर अंतिम रणनीति बनाई जाएगी।
इस बैठक में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत और दत्तात्रेय होसबोले सहित संघ के 233 वरिष्ठ पदाधिकारी शामिल होंगे। संघ ने अपने शताब्दी वर्ष में दिल्ली, बंगलौर मुंबई और कोलकाता में संघ प्रमुख मोहन भागवत के चार विशेष कार्यक्रम आयोजित करने की योजना बनाई है। प्रमुख तौर पर इसमें संघ के सांगठनिक विस्तार को लेकर चर्चा होगी।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील अंबेकर ने गुरुवार को एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में संगठन की दृष्टि से 46 प्रान्त हैं। इन सभी प्रान्तों के प्रमुख और सहप्रमुख इस बैठक में शामिल होंगे। कार्य विभागों के प्रमुख भी बैठक में शामिल होंगे। प्रशिक्षण वर्ग के समापन के बाद होने वाली इस बैठक में प्रशिक्षण वर्गों पर भी चर्चा की जाएगी। 40 वर्ष की आयु से नीचे के 75 वर्ग और 40 से 60 वर्ष की उम्र वाले स्वयंसेवकों के 25 वर्ग संपन्न हुए हैं। इन वर्गों के अनुभव की समीक्षा भी की जाएगी। संघ की प्रेरणा से 32 अलग-अलग संगठन चलते हैं। इसमें भाजपा, ABVP और भारतीय मजदूर संघ जैसे संगठन शामिल हैं। इनके संगठन प्रमुख भी इस बैठक में शामिल होंगे।
संघ शताब्दी वर्ष के लिए विशेष कार्यक्रम
नागपुर से विजयादशमी 2 अक्टूबर से पूरे देश में हिंदू सम्मेलन शुरू होंगे। इसके बाद पूरे देश में हिन्दू सम्मेलन आयोजित किये जायेंगे। इसके बाद स्वयंसेवक घर-घर जनसंपर्क अभियान चलाएंगे। वे अपने साथ कुछ साहित्य लेकर लोगों से मुलाकात करेंगे। आपस में सद्भाव और सहयोग बनाये रखने के लिए लोगों से मुलाकात की जाएगी। समाज के अलग-अलग वर्गों के प्रमुख लोगों से मुलाकात कर प्रमुख विषयों पर जिलावार चर्चा की जाएगी। युवाओं के लिए विशेष कार्यक्रम बनाये जा रहे हैं। संघ शताब्दी वर्ष में युवा लोगों से मिलकर राष्ट्र के महत्त्व की दृष्टि से प्रमुख मुद्दों पर चर्चा की जाएगी।