Wednesday , May 8 2024

विदेश

इमरान खान को एक और बड़ा झटका, पूर्व विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी के पांच साल तक चुनाव लड़ने पर रोक

पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान और उनकी पार्टी पीटीआई के आम चुनाव से कुछ दिन पहले ही बड़ा झटका लगा है। दरअसल इमरान खान के करीबी सहयोगी और उनकी सरकार में विदेश मंत्री रहे शाह महमूद कुरैशी के चुनाव लड़ने पर रोक लग गई है। कुरैशी को बीते दिनों गोपनीय दस्तावेज लीक करने के मामले में 10 साल जेल की सजा सुनाई गई थी। ऐसे में अब पाकिस्तान के संविधान के मुताबिक वे पांच साल तक चुनाव नहीं लड़ सकेंगे।

चुनाव आयोग ने किया एलान
पाकिस्तान की स्पेशल कोर्ट ने बीते दिनों गोपनीय दस्तावेज लीक करने के मामले में इमरान खान और शाह महमूद कुरैशी को दोषी मानते हुए 10-10 साल जेल की सजा सुनाई थी। अब कोर्ट के उस फैसले को आधार बनाते हुए पाकिस्तान के चुनाव आयोग ने कुरैशी के पांच साल तक चुनाव लड़ने पर रोक लगा दी है। चुनाव आयोग ने बयान में कहा कि मखदूम शाह महमूद कुरैशी को पाकिस्तान के संविधान के तहत चुनाव कानून के अनुच्छेद 63(1) के तहत चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य घोषित किया गया है। कुरैशी आगामी 8 फरवरी को होने वाले आम चुनाव में भी हिस्सा नहीं ले पाएंगे।

गोपनीय दस्तावेज लीक करने का पाया गया दोषी
शाह महमूद कुरैशी और इमरान खान पर बीते साल एक रैली के दौरान गोपनीय दस्तावेज लीक करने का दोषी पाया गया था। दरअसल कूटनीतिक चैनल के एक खत को इमरान खान ने रैली में लहराया था और दावा किया था कि उनकी सरकार को गिराने के लिए अमेरिका से साजिश रची जा रही है। उस वक्त शाह महमूद कुरैशी पाकिस्तान के विदेश मंत्री थे। इस मामले में इमरान खान को भी 10 साल जेल की सजा हुई है। इमरान खान को अब तक कुल चार मामलों में सजा हो चुकी है। आठ फरवरी को पाकिस्तान में आम चुनाव के लिए वोट डाले जाएंगे। उससे पहले पीटीआई का आरोप है कि उनकी पार्टी और इसके समर्थकों को प्रताड़ित किया जा रहा है और उन्हें निष्पक्ष तरीके से चुनाव नहीं लड़ने दिया जा रहा है।

जॉर्डन हमले के जवाब में अमेरिका ने सीरिया और इराक में 85 ठिकानों पर की बमबारी, छह आतंकी मारे गए

अमेरिकी सेना जॉर्डन में सैन्य अड्डे पर हुए ड्रोन हमले के जवाब में शुक्रवार को सीरिया और इराक में ईरान समर्थित मिलिशिया के ठिकानों पर बमबारी की। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, सीरिया में अमेरिका के हवाई हमलों में छह मिलिशिया लड़ाके मारे गए हैं। इनमें तीन गैर-सीरियाई थे। अमेरिकी सेना ने एक बयान में कहा कि अमेरिका ने शुक्रवार को इराक और सीरिया में ईरान रिवोल्यूशनरी गार्ड्स और उनके समर्थित मिलिशिया से जुड़े 85 से अधिक ठिकानों पर जवाबी हवाई हमले किए।

बयान में कहा गया है कि अमेरिकी सेना ने हवाई हमलों ने कमांड और नियंत्रण केंद्रों, रॉकेट, मिसाइल और ड्रोन भंडारण सुविधाओं के साथ-साथ रसद और गोला-बारूद आपूर्ति श्रृंखला सुविधाओं को निशाना बनाया। अमेरिकी सेना ने 125 से अधिक युद्ध सामग्री के साथ 85 से अधिक ठिकानों पर हमला किया। वहीं, सीरिया की सरकारी मीडिया ने कहा कि सीरिया के रेगिस्तानी इलाकों और इराक से लगती सीमा के पास स्थित ठिकानों पर अमेरिकी हमले में कई लोग हताहत और घायल हुए हैं।

हमले के बाद बाइडन का बयान
ईरान समर्थिक आतंकी समूहों के ठिकानों पर हमले के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन ने एक बयान में कहा कि अमेरिका मध्य-पूर्व में संघर्ष नहीं चाहता है, लेकिन अगर किसी अमेरिकी को नुकसान पहुंचता है, तो हम उसका मुंहतोड़ जवाब देंगे। उन्होंने कहा कि पिछले रविवार को जॉर्डन में ईरान द्वारा समर्थित आतंकी समूहों के ड्रोन हमले में तीन अमेरिकी सैनिक मारे गए थे। शुक्रवार को मैं डोवर एयरफोर्स बेस पर इन बहादुर सैनिकों के शवों की वापसी पर श्रद्धांजलि समारोह में शामिल हुआ और उनके परिवारों से बात की।

पिछले सप्ताह जॉर्डन में सैन्य अड्डे हुए ड्रोन हमले में तीन अमेरिकी सैनिक मारे गए थे और लगभग 40 अन्य घायल हुए थे। इसके बाद राष्ट्रपति जो बाइडन ने ईरान समर्थित समूहों के खिलाफ जवाबी कार्रवाई करने की बात कही थी। बीते दिनों ने बाइडन ने जवाबी हमले की मंजूरी दी थी। इसके बाद अमेरिकी ने शुक्रवार को पहला हमला किया।

पश्चिम एशिया में तनाव बढ़ने की आशंका
हालांकि, अमेरिकी सेना ने ईरान की सीमा के अंदर किसी भी ठिकाने को निशाना नहीं बनाया है। लेकिन अमरेकिा के जवाबी हमलों के बाद पश्चिम एशिया में तनाव बढ़ने की आशंका जताई जा रही है। गाजा में पिछले तीन महीने से चल रहे इस्राइल-हमास युद्ध के कारण क्षेत्र में पहले से ही तनाव की स्थिति बनी हुई है।

विकीलीक्स को हैकिंग सीक्रेट सौंपने वाले को 40 वर्ष की जेल, देश की सुरक्षा को गंभीर क्षति

अमेरिकी खुफिया एजेंसी ‘सीआईए’ के इतिहास में वर्गीकृत जानकारी की अब तक की सबसे बड़ी चोरी और बाल यौन शोषण की तस्वीरें तथा वीडियो रखने के लिए पूर्व सॉफ्टवेयर इंजीनियर को दोषी ठहराया गया है। मैनहट्टन संघीय अदालत में 35 वर्षीय जोशुआ शुल्टे को इस जुर्म में 40 साल जेल की सजा सुनाई गई है। उसने 2017 में सीआईए की खुफिया सूचनाएं विकीलीक्स को लीक की थीं। जोशुआ शुल्टे 2018 से जेल में बंद है। शुक्रवार को मैनहट्टन संघीय कोर्ट के जज एम. फुरमैन ने सजा देते हुए कहा, हमें संभवतः कभी भी नुकसान की पूरी सीमा का पता नहीं चलेगा, लेकिन मुझे इसमें कोई संदेह नहीं है कि यह अमेरिकी इतिहास में बहुत ज्यादा था।

वॉल्ट-7 लीक से पता चला कि कैसे सीआईए ने विदेशी जासूसी अभियानों में एपल और एंड्रॉयड स्मार्टफोन को हैक किया और इंटरनेट से जुड़े टीवी को सुनने वाले उपकरणों में बदलने का प्रयास किया। अपनी गिरफ्तारी से पहले शुल्टे ने वर्जीनिया के लैंगली स्थित एजेंसी के मुख्यालय में एक कोडर के रूप में हैकिंग टूल बनाने में मदद की थी।

देश की सुरक्षा को गंभीर क्षति
जज फुरमैन ने कहा, शुल्टे ने कंप्यूटर पर एक छिपी हुई फाइल बनाकर सलाखों के पीछे से अपने अपराध जारी रखे। इनमें बाल यौन शोषण की 2,400 छवियां शामिल हैं। फुरमैन ने सीआईए के उप निदेशक डेविड कोहेन द्वारा सरकार को भेजे गए 1 पेज के पत्र का जिक्र भी किया, जिसमें शुल्टे के अपराधों को देश की राष्ट्रीय सुरक्षा व सीआईए को गंभीर क्षति वाला बताया गया।

अमेरिका ने कीमत चुकाई
जज ने कहा, शुल्टे के कार्यों से सीआईए को करोड़ों डॉलर का नुकसान हुआ। उसकी कोशिशों से अमेरिका के पास विरोधियों के खिलाफ विदेशी खुफिया जानकारी जुटाने की क्षमता कमजोर हो गई। इसने सीआईए के कर्मियों, कार्यक्रमों व संपत्तियों को खतरे में डाल दिया। सीआईए की संचालन क्षमता भी कमजोर हुई। संक्षेप में, इन कार्यों से अमेरिका को भारी कीमत चुकानी पड़ी।

शुल्टे बोला-यह न्याय नहीं है
शुल्टे ने ज्यादातर ब्रुकलिन के मेट्रोपॉलिटन डिटेंशन सेंटर में कठोर परिस्थितियों के बारे में शिकायत की, अपने सेल को ‘मेरा यातना पिंजरा’ कहा। उसने कहा, अभियोजकों ने एक बार उसे सौदे की पेशकश की, लेकिन उसके तहत वह अपील नहीं कर सकता था। शुल्टे ने कहा, यह न्याय नहीं है।

चुनाव प्रक्रिया से खुद अलग-थलग महसूस कर रहे हिंदू, कई लोगों का मतदाता के रूप में नहीं हुआ पंजीकरण

पाकिस्तान में पांच दिन बाद आम चुनाव होने हैं। लेकिन, उससे पहले अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय के ज्यादातर लोगों को लगता है कि उन्हें दक्षिणी सिंध प्रांत में चुनाव की प्रक्रिया से बाहर किया गया है। जनगणना के आंकड़ों के मुताबिक, मुस्लिम बहुल पाकिस्तान में हिंदू आबादी कुल 2.1 फीसदी है। इसमें से नौ फीसदी सिंध प्रांत में रहते हैं। जहां उनकी सबसे बड़ी आबादी है।

देश के संविधान के तहत कौमी असेंबली (संसद का निचला सदन) में अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्यों के लिए दस सीटें और प्रांतीय विधानसभा में 24 सीटें आरक्षित हैं। हिंदू समुदाय के नेताओं और सदस्यों का आरोप है कि उन्हें उचित प्रतिनिधित्व नहीं दिया जा रहा है और समुदाय के कई लोग मतदाता के रूप में पंजीकृत नहीं हैं।

पाकिस्तान हिंदू परिषद के मुख्य संरक्षक रमेश कुमार वांकवानी ने कहा, हिंदू समुदाय, खासकर वे लोग जो आर्थिक रूप से कमजोर आर्थिक पृष्ठभूमि से हैं या सिंध के दूरदराज के गांवों में रहते हैं, वे चुनाव प्रक्रिया से खुद को अलग-थलग महसूस कर रहे हैं। उन्होंने कहा, चुनावों से पहले हुई राष्ट्रीय जनगणना में हिंदुओं की गणना पूरी तरह से नहीं की गई। हम नेशनल डेटाबेस एंड रजिस्ट्रेशन अथॉरिटी (एनएडीआरए) और पाकिस्तान के चुनाव आयोग (ईसीपी) की ओर से जारी सूची से सहमत नहीं है। मतदाताओं को एनएडीआरए और ईसीपी में मतदाता के रूप में पंजीकरण कराना होता है।

कानून के मुताबिक, नागरिक को राज्य का होना चाहिए और उसे अपने मताधिकार का इस्तेमाल करने से पहले ईसीपी में एक मतदाता के रूप में पंजीकृत होना होगा। लेकिन, सिंध में रहने वाले सबसे बड़े अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय के सदस्यों का दावा है कि उनकी आबादी की तुलना में कुछ लोग ही अपने पहचान दस्तावेज के कारण मतदाता के रूप में पंजीकृत हैं।

मीरपुर खास के स्थानीय हिंदू समुदाय के नेता शिवा काची ने कहा, हिंदुओं की संख्या सही नहीं है और बहुत से लोग दूरदराज के इलाकों में रहते हैं और पढ़े-लिखे नहीं हैं। इसलिए उनके पहचान दस्तावेजों में विसंगतियां हैं। जिसका मतलब है कि वे मतदाता के रूप में पंजीकृत नहीं हैं। साल 2018 में जब आम चुनाव हुए थे, तो करीब 10.59 करोड़ मतदातों ने मताधिकार का इस्तेमाल किया। कुल 36.26 लाख मतदाता अल्पसंख्यक समुदायों से थे। काची ने कहा, हकीकत में हिंदू पाकिस्तान का सबसे बड़ा अल्पसंख्यक समुदाय है। जिनकी कुल संख्या लगभग 47.7 लाख है। लेकिन आधिकारिक तौर पर केवल 17.77 लाख मतदाता ही पंजीकृत हैं। ईसाई समुदाय 16.39 लाख मतदाताओं के साथ दूसरे स्थान पर है। अहमदियों के पास 1,65,369 मतदाता थे, जबकि सिखों के पास 8,833 मतदाता थे।
हिंदू समुदाय के एक अन्य नेता मुकेश मेघवार ने कहा, पाकिस्तान में अल्पसंख्य मतदाताओं की संख्या 2013 में 27.7 लाख से बढ़कर 208 में 36.26 लाख हो गई। लेकिन, निचली जाति के हिंदुओं को अभी भी मतदान का अधिकार नहीं दिया गया है। उन्होंने कहा, इसका मतलब है कि चुनाव प्रक्रिया में उनका प्रभाव और प्रतिनिधित्व वैसा नहीं है, जैसा होना चाहिए। उन्होंने कहा, हिंदू समुदाय में वर्ग और जाति के मतभेदों के कारण निचले स्तर के लोग खुद को अलग-थलग महसूस कर रहे हैं। काची ने मेघवार की बात पर सहमति जताई और बताया कि सिंध के विभिन्न इलाकों में कई बार अधिकारी सरकारी दस्तावेजों में धर्म के आधिकारिक बॉक्स में भी हिंदुओं और दलितों के बीच अंतर करते हैं।

सैन फ्रांसिस्को में खालिस्तानी समर्थक आपस में ही भिड़े, जमकर मारपीट; सोशल मीडिया में वीडियो वायरल

खालिस्तानी समर्थकों से जुड़ा एक वीडियो जमकर सोशल मीडिया में वायरल हो रहा है। वायरल हो रहे वीडियो के मुताबिक, सैन फ्रांसिस्को में कई खालिस्तानी समर्थक हाथ में खालिस्तानी झंडा लिए खड़े हुए थे। बड़ी संख्या में खालिस्तानी समर्थक वहां नारेबाजी कर रहे थे। इसी दौरान, अचानक वहां मौजूद खालिस्तानी समर्थक एक-दूसरे पर हमला करने लगे। वीडियो में साफ दिखाई दे रहा है कि वहां मौजूद पुलिसकर्मी इस झड़प को थामने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। इस दौरान बवाल में शामिल लोग खालिस्तान के झंडे लहराते दिखाई दे रहे हैं।

सोशल मीडिया में वीडियो वायरल
सोशल मीडिया यूजर सिद्धांत सिब्बल ने इस वीडियो को अपनी पोस्ट के जरिए साझा किया। उन्होंने लिखा सैन फ्रांसिस्को में खालिस्तानी समर्थकों में आपकी झड़प देखने को मिली। हालांकि ये वीडियो 28 जनवरी का है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, 28 जनवरी को कई खालिस्तानी समर्थक नए देश की मांग को लेकर मतदान कर रहे थे। इस दौरान तमाम समर्थक बसों, कारों, झंडे, ट्रेनों पर खालिस्तानी झंडा लहराते हुए नजर आए। इस दौरान भारत को लेकर अभद्र बयानबाजी भी की, जिसमें भारत से पंजाब को अलग करने की बात कही गई थी। गौरतलब है कि पंजाब भारत का अभिन्न अंग है।

सरेआम चाकूबाजी का शिकार बने मालदीव के महाभियोजक, हमलावरों ने घात लगाकर बनाया निशाना

मालदीव के महाभियोजक हुसैन शमीम, जिन्हें मालदीव की पिछली सरकार ने नियुक्त किया था, उन पर बुधवार को माले में हमला हो गया। बताया गया है कि उन पर सरेआम सड़क पर चाकू मारी गईं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, हमलावरों ने उन पर घात लगाकर हमला किया। घटना की पुष्टि करते हुए एक स्थानीय मीडिया आउटलेट ने बताया कि यह एक पुनर्नियोजित हमला हो सकता है।

फिलहाल शमीम का इलाज मालदीव के एडीके अस्पताल में कराया जा रहा है। पुलिस ने कहा कि उन पर शहर की भीड़भाड़ वाली गली में हमला हुआ। इस घटना पर मालदीव की विपक्षी डेमोक्रेट पार्टी (मोहम्मद नशीद की विपक्षी पार्टी) ने आक्रोश जताया है। पार्टी ने बयान जारी कर कहा है कि एक उच्च संवैधानिक पद पर नियुक्त अफसर पर इस तरह का हमला पूरे सिस्टम पर हमला है। वह भी तब जब वह शख्स राजनीति से बचकर आपराधिक न्याय प्रणाली में अपनी अहम भूमिका निभा रहा है। यह खतरनाक संकेत हैं। इस मामले में मालदीव पुलिस जांच कर रही है। न्यूज एजेंसी एएफपी के मुताबिक, यह हमला तब हुआ, जब शमीम अपने दफ्तर जा रहे थे। हमलावर ने पहले उन पर हथौड़े से हमला किया और उनके बाएं हाथ को घायल कर दिया। फिलहाल अस्पताल में उनकी हालत स्थिर बताई गई है।

मालदीव में पहले ही जारी है सियासी तनाव
गौरतलब है कि मालदीव में मोहम्मद मुइज्जू के राष्ट्रपति बनने के बाद से ही तनाव की स्थिति पैदा हो गई। बीते दिनों मालदीव की संसद में सरकार और विपक्षी सांसदों के बीच मारपीट भी हुई थी। दरअसल, विपक्ष अब मुइज्जू के खिलाफ महाभियोग चलाने की तैयारी में है। इसे लेकर मालदीव सरकार चिंता में है। विपक्ष ने मुइज्जू पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारत को लेकर दिए बयानों पर माफी मांगने के लिए कहा है।

‘हिंदुओं के लिए नए युग की शुरूआत’, प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम पर बोले कनाडा के सांसद चंद्र आर्य

22 जनवरी को अयोध्या में हुए राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा समारोह को लेकर दुनियाभर से अभी भी तमाम प्रतिक्रियाएं आ रही है। भारतीय मूल के कनाडाई सांसद चंद्र आर्य ने समारोह की सराहना करते हुए कहा कि दुनियाभर में 1.2 अरब हिंदुओं के लिए एक युग की शुरूआत है। बुधवार को राम मंदिर पर कनाडा के सांसद चंद्र आर्य ने कहा कि उन्होंने ओटावा स्थित हिंदू मंदिर में इस भावनात्मक क्षण के समारोह को लाइव कवरेज के जरिए देखा। दुनिया के सबसे पुराने धर्म के इतिहास में 22 जनवरी 2024 एक नए युग की शुरूआत हुई।

राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा एक भावनात्मक क्षण- आर्य
कनाडा के सांसद चंद्र आर्य ने कहा कि सदियों का इंतजार और लोगों के बलिदान के बाद अयोध्या में दिव्य राम मंदिर का उद्घाटन भगवान राम की प्रतिमा के प्राण प्रतिष्ठा के साथ किया गया। इस कार्यक्रम को पूरे कनाडा में मौजूद लगभग 115 मंदिरों में अन्य लोगों की तरह मैंने भी कार्यक्रम का लाइव कवरेज देखा, जो वास्तव में एक भावनात्मक क्षण था।

विश्व गुरू बनने के लिए सभ्यता का पुनर्निर्माण कर रहा भारत- आर्य
भारत और कनाडा को एक-दूसरे का साझेदार बताते हुए कनाडाई सांसद चंद्र आर्य ने कहा कि भारत वैश्विक आर्थिक शक्ति बनने के लिए अपनी सभ्यता का पुनर्निर्माण कर रहा है। दोनों देश आर्थिक अवसरों को साझा करने और वैश्विक चुनौतियों का समाधान करने के लिए हम एक प्राकृतिक साझेदार हैं। गौरतलब है कि अयोध्या में 22 जनवरी को पीएम मोदी की उपस्थिति में अनुष्ठान के बाद प्राण प्रतिष्ठा समारोह में रामलला की मूर्ति का अनावरण किया गया था। इस कार्यक्रम में दुनियाभर की कई बड़ी हस्तियों को आमंत्रित किया था।

प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के दिन अयोध्या नगरी भक्तिमय दिखाई दी
खास बात है कि अयोध्या में रामलला के मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम ने विश्वभर के देशों के लोगों का ध्यान आकर्षित किया है। कई देशों में लोगों ने बड़े स्तर पर मिट्टी के दीए जलाए साथ ही भारत के कई इलाकों में रात के समय जमकर आतिशबाजी की गई। इस दौरान अयोध्या नगरी पूरी तरह से भक्तिमय हो गई। गलियों और सड़कों में भक्तों के राम नाम के जप ही सुनाई दे रहे थे।

भारतीय छात्र ने नशेड़ी की मदद के लिए बढ़ाया हाथ; उसने हथौड़े से मार-मारकर कर दी हत्या

अमेरिका के लिथोनिया शहर के जॉर्जिया में एक बेघर नशेड़ी ने एक 25 वर्षीय भारतीय छात्र की पीट-पीटकर हत्या कर दी। दरअसल, छात्र पिछले कुछ दिनों से उस बेघर नशेड़ी की मदद कर रहा था। हत्या की घटना सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गई है।

भारतीय छात्र की हत्या
सीसीटीवी फुटेज में देखा गया कि आरोपी जुलियन फॉकनर ने मृतक विवेक सैनी के सिर पर हथौड़े से करीब 50 बार बेरहमी से वार किया था। मृतक एक स्टोर में क्लर्क के तौर पर काम करता था, जहां वह उस बेघर नशेड़ी को पिछले दो दिनों से चिप्स, कोक, पानी और जैकेट देकर मदद करता था। सुरक्षा को देखते हुए मृतक ने आरोपी को स्टोर से चले जाने के लिए कहा था। इसे लेकर 16 जनवरी को आरोपी ने मृतक पर हमला कर दिया।

घटना की सूचना पाकर पुलिस मौके पर पहुंची। उन्होंने शव के पास ही फॉकनर को पाया। भारतीय छात्र विवेक सैनी दो साल पहले ही बीटेक की पढ़ाई पूरी करने के बाद अमेरिका आया था। उसने हाल ही में बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन में मास्टर की डिग्री पूरी की। उसके परिजनों ने बताया कि वह एक होनहार छात्र था। मृतक के माता-पिता इस घटना से टूट चुके हैं और वह इस मामले में फिलहाल बात करने की स्थिति में नहीं है।

मालदीव की संसद ने चार में से केवल एक कैबिनेट सदस्य को मंजूरी दी; मुइज्जू की फिर किरकिरी

मालदीव की संसद ने सोमवार को चीन समर्थक राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू के मंत्रिमंडल के चार सदस्यों में से केवल एक को मंजूरी दी। मुइज्जू के खिलाफ मुख्य विपक्षी मालदीव की मुख्य विपक्षी पार्टी मालीदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी (एमडीपी) ने तीन-पंक्ति का रेड व्हिप जारी किया है।

स्थानीय मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, संसद ने आवास मंत्री अली हैदर अहमद, इस्लामिक मंत्री मोहम्मद शहीम अली सईद और अटॉर्नी जनरल अहमद उशम को मंजूरी देने से इनकार करने के लिए मतदान किया। वहीं, आर्थिक मंत्री मोहम्मद सईद बाल-बाल बच गए। 45 वर्षीय राष्ट्रपति मुइज्जू ने कार्यभार संभालने के दो दिन बाद 20 नवंबर को अपने मंत्रिमंडल की मंजूरी के लिए औपचारिक अनुरोध किया था।

संसद में 18 दिसंबर को कैबिनेट पर मतदान होना था, लेकिन सरकारी निगरानी समिति की मूल रिपोर्ट को खारिज कर दिया गया। समिति की नई रिपोर्ट पर वोटिंग के लिए संसद ने रविवार को एक बैठक बुलाई, जिसे 30 दिसंबर को पारित किया गया था, लेकिन रविवार को मतदान से ठीक पहले मुख्य विपक्षी मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी (एमडीपी) ने मुइज्जू के मंत्रिमंडल के चार सदस्यों के लिए संसदीय मंजूरी को रोकने का फैसला किया और उनके खिलाफ तीन-पंक्ति का रेड व्हिप जारी किया। एमडीपी के पास संसद में बहुमत है।

इस कदम से सरकार समर्थक और विपक्षी सांसदों के बीच झड़पें शुरू हो गईं, जिससे संसदीय बैठक की कार्यवाही बाधित हो गई। लंबे समय से लंबित मतदान आखिरकार सोमवार दोपहर को हुआ और संसद ने हैदर, शहीम और उशम को खारिज कर दिया। हैदर को 46-24 वोटों से खारिज कर दिया गया। उशम को 44-24 और शहीम को 31-30 वोटों के साथ खारिज कर दिया गया। हालांकि, सईद ने 37-32 के वोट के साथ बाल-बाल बच गए।

इससे पहले एमडीपी ने राष्ट्रपति मुइज्जू के खिलाफ महाभियोग लाने के लिए पर्याप्त संख्या में प्रस्ताव पर हस्ताक्षर जुटा लिए हैं। मालदीव सरकार के खिलाफ वहां का विपक्ष एकजुट हो गया है। एमडीपी के साथ ही विपक्षी पार्टी डेमोक्रेट भी राष्ट्रपति मुइज्जू के खिलाफ महाभियोग का समर्थन कर रही है।

रविवार को कैबिनेट को संसद की मंजूरी मिलनी थी, लेकिन हंगामे और सांसदों के बीच हाथापाई के चलते संसद की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी थी। आज संसद में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे। संसद भवन के बाहर भारी संख्या में सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए थे। इस बीच विपक्ष सरकार के खिलाफ महाभियोग लाने की तैयारी कर रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, एमडीपी और डेमोक्रेट पार्टी के कुल 34 सांसदों ने महाभियोग प्रस्ताव को अपना समर्थन दे दिया है।

मुइज्जू को झेलना पड़ रहा विरोध
मोहम्मद मुइज्जू को चीन समर्थक माना जाता है। बीते दिनों लक्षद्वीप के मुद्दे पर भारत और मालदीव के रिश्तों में तनाव देखने को मिला था। मालदीव के सांसदों ने ही अपनी सरकार के भारत विरोधी रुख की आलोचना की थी। मालदीव की एमडीपी पार्टी भारत समर्थक मानी जाती है। एमडीपी आरोप है कि मुइज्जू की विदेश नीति से देश के विकास पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा। विपक्ष की मांग है कि सरकार सभी देशों के साथ मिलकर काम करे, जिससे मालदीव के लोगों को फायदा मिले।

मुश्किल में फंसे राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू, महाभियोग चलाने के लिए प्रस्ताव लाएंगे विपक्षी दल

मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू की मुश्किलें बढ़ गई हैं। दरअसल, संसद में बहुमत रखने वाला प्रमुख विपक्षी दल एमडीपी उनके खिलफ महाभियोग चलाने की तैयारी में है। इसके लिए वह प्रस्ताव पेश करने की योजना बना रहा है। सोमवार को स्थानीय मीडिया की खबर में यह जानकारी दी गई।

राष्ट्रपति मुइज्जू के मंत्रिमंडल में चार सदस्यों की मंजूरी को लेकर रविवार को सरकार समर्थक सांसदों और विपक्षी सदस्यों के बीच झड़प हो गई थी। उसके एक दिन बाद यह घटनाक्रम सामने आाया है। मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी (एमडीपी) और डेमोक्रेट के सांसदों ने मतदान से पहले राष्ट्रपति के मंत्रिमंडल में चार सदस्यों की मंजूरी को रोकने का फैसला किया। इसके बाद सत्तारूढ़ प्रोग्रेसिव पार्टी ऑफ मालदीव (पीपीएम) और पीपुल्स नेशनल कांग्रेस (पीएनएसी) के सरकार समर्थक सांसदों ने हंगामा शुरू कर दिया और संसदीय बैठक में बाधा डाली।

एमडीपी के एक सांसद ने बताया कि उनकी पार्टी ने डेमोक्रेट के साथ मिलकर महाभियोग प्रस्ताव के लिए पर्याप्त हस्ताक्षर एकत्र कर लिए हैं। हालांकि, इन हस्ताक्षरों को अभी पेश नहीं किया गया है।स्थानीय मीडिया की खबर के मुताबिक, एमडीपी के संसदीय समूह की सोमवार बैठक हुई। इस दौरान सर्वसम्मति से महाभियोग प्रस्ताव पेश करने का फैसला किया गया। मुइज्जू ने पिछले साल सितंबर में हुए राष्ट्रपति चुनाव में इब्राहिम सोलिह को हराया था।

इसके बाद सत्रह नवंबर को उन्होंने राष्ट्रपति पद की शपथ ली थी। शपथ लेने के तुरंत बाद उन्होंने भारत से पंद्रह मार्च तक उनके देश से 88 सैनिकों को वापस बुलाने का अनुरोध किया था। इसके साथ मुइज्जू ने कहा था कि जनता ने उन्हें भारत से यह अनुरोध करने के लिए मजबूत जनादेश दिया है। मुइज्जू को चीन समर्थक नेता माना जाता है।माले की संसद में कुल 87 सदस्य हैं। संसद ने हाल ही में महाभियोग प्रस्ताव को आसानी से सौंपने के लिए अपने स्थायी आदेशों में संशोधन किया था। एमडीपी डेमोक्रेट के मिलाकर 56 सांसद हैं। इनमें 43 सांसद एमडीपी और 13 डेमोक्रेट के हैं। संविधान और संसद के स्थायी आदेशों के मुताबिक, 56 मतों के साथ राष्ट्रपति के खिलाफ लगाया जा सकता है।