प्रधानमंत्री ने शनिवार को नीति आयोग की बैठक में सभी राज्यों से विकसित भारत के लक्ष्य की दिशा में मिलकर काम करने की अपील की। इस बैठक के दौरान कुछ गैर भाजपाई मुख्यमंत्रियों ने अपने राज्यों को प्रभावित करने वाले मुद्दे भी उठाए। उनकी मुख्य शिकायतें संसाधनों के बंटवारे से जुड़ी थीं। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने जहां केंद्र से राज्यों के साथ अधिक धनराशि साझा करने पर जोर दिया, वहीं पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने तर्क दिया कि उनके राज्य के पास हरियाणा के साथ साझा करने के लिए पानी नहीं है।

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री स्टालिन, जिनकी सरकार का राष्ट्रीय शिक्षा नीति में तीन-भाषा खंड के मुद्दे पर भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र के साथ विवाद चल रहा है और उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। उन्होंने दावा किया है कि इस खींचतान के काराण् राज्य से 2,000 करोड़ रुपये से अधिक की राशि रोक ली गई है। उन्होंने केंद्र सरकार से तमिलनाडु सहित सभी राज्यों को “गैर-भेदभावपूर्ण सहयोग” देने का आग्रह किया।

नीति आयोग की 10वीं गवर्निंग काउंसिल में बोलते हुए डीएमके प्रमुख ने कहा, “भारत जैसे संघीय लोकतंत्र में राज्यों के लिए यह आदर्श स्थिति नहीं है कि वे अपने हक का फंड पाने के लिए संघर्ष करें, बहस करें या मुकदमा लड़ें। इससे राज्य और देश दोनों का विकास बाधित होता है।”

कर राजस्व में राज्यों की हिस्सेदारी बढ़ाकर 50% करें
कर राजस्व में राज्यों की हिस्सेदारी को बढ़ाकर 50% करने की वकालत करते हुए तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ने बताया कि 15वें वित्त आयोग ने विभाज्य कर राजस्व का 41% राज्यों के साथ साझा करने की सिफारिश की थी। उन्होंने दावा किया कि पिछले चार वर्षों में केंद्र सरकार के सकल कर राजस्व का केवल 33.16% ही साझा किया गया है।

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