नई दिल्ली: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) नेता अनिल ओक ने कहा है कि इस समय पूरे देश-समाज में संघ को जानने-समझने को लेकर उत्सुकता है, लेकिन उनकी अपील है कि लोग संघ को बाहर से नहीं, बल्कि इसके अंदर आकर जानें। किसी संगठन को जानने-समझने का सबसे बेहतर तरीका यही हो सकता है कि आप उसमें शामिल होकर उसकी विचारधारा को समझने का प्रयास करें।

संघ नेता ने कहा कि आज दुनिया जिस परिस्थिति में बढ़ रही है, लोगों को एक अंधकार दिखाई दे रहा है। लोगों को यह भी उम्मीद है कि केवल भारतीय धर्म-परंपरा और संस्कृति ही उन्हें इस अंधकार से बाहर निकाल सकती है। उन्होंने कहा कि जब कई मजबूत राष्ट्र दुनिया को बार-बार नष्ट करने की अपनी क्षमता की बात करते हैं, केवल भारत ही है जो दुनिया को एक परिवार का हिस्सा मानते हुए उसे बसाने की सोच रखता है। इसलिए यदि दुनिया को बचाना है तो भारतीय संस्कृति-परंपरा को आगे बढ़ाना चाहिए।

पंच परिवर्तन को जीवन में अपनाएं
संघ नेता अनिल ओक ने लोगों से अपील की है कि वे अपने जीवन में ‘पंच परिवर्तन’ अपनाने का प्रयास करें। पंच परिवर्तन के अंतर्गत लोगों को अपनी जातिगत सोच से बाहर आकर सामाजिक समरसता को आगे बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए। इसके अलावा अपने परिवार में बेहतर सामंजस्य के लिए परिवार प्रबोधन, पर्यावरण के अनुसार अपनी जीवनशैली को ढालना, राष्ट्र के प्रति अपने नागरिक कर्तव्य का पालन करना चाहिए और अपने जीवन में अधिकतम स्वदेशी वस्तुओं का उपयोग करना चाहिए। उन्होंने कहा कि इन पांच सूत्रों का पालन करने के बाद समाज का हर नागरिक अपने को ज्यादा सशक्त महसूस करेगा और इससे पूरा राष्ट्र आगे बढ़ेगा।

आरएसएस के दिल्ली प्रान्त द्वारा पिछले 15 दिन से चल रहे संघ शिक्षा वर्ग (सामान्य) के समापन समारोह में लोगों को संबोधित करते हुए अनिल ओक ने कहा कि संघ के संस्थापक डॉ. हेडगेवार मानते थे कि हिन्दू समाज को संगठित किए बिना इस राष्ट्र का विकास नहीं हो सकता। इसी बात को ध्यान में रखते हुए उन्होंने 1925 में आरएसएस की स्थापना की।

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