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हेल्थ

रात में नींद के दौरान भी आ सकता हैं दिल का दौरा, यदि दिख रहे हैं ऐसे लक्ष्ण तो हो जाएं सतर्क

हार्ट अटैक का नाम सुनते ही अब लोग घबरा रहे हैं. दिल का दौरा पड़ने से मौके पर ही मौत होने के मामले बढ़ गए हैं. खानपान की गलत आदतें, खराब लाइफस्टाइल और कोविड वायरस की वजह से हार्ट डिजीज बढ़ रही है.

हार्ट अटैक के अधिकतर मामले दिन के समय होते हैं, क्या आप जानते हैं कि रात में नींद के दौरान भी अटैक आ सकता है. उन लोगों को ज्यादा खतरा है जिन्हें स्लीप एपनिया ( नींद में खर्राटे लेना) की बीमारी है.

 जिन लोगों को ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया की परेशानी है उन्हें सोते समय हार्ट अटैक आ सकता है. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि स्लीप एपनिया वाले लोगों में अकसर बीपी का लेवल हाई हो जाता है. बीपी के बढ़ने से हार्ट पर स्ट्रेस भी बढ़ता है. इस वजह से हार्ट को ब्लड पंप करने में काफी मेहनत करनी पड़ती है.

डॉ. कुमार के मुताबिक, 10 से 12 फीसदी मरीजों को रात के समय नींद में भी हार्ट अटैक आने का खतरा रहता है. ऐसे लोगों को अपनी सेहत का विशेष ध्यान रखना चाहिए. इसके लिए नियमित रूप से अपनी बीमारियों की दवाएं लें और हर तीन महीने में हार्ट की जांच कराते रहें.

मधुमेह रोगी अगर नाश्ते में करते हैं इन चीजों का सेवन तो हमेशा रहेंगे स्वास्थ्य

एक बार जब किसी व्यक्ति को मधुमेह हो जाता है तो मीठी चीजें उसके लिए जहर बन जाती हैं। इससे बचना ही बुद्धिमानी है। फिर उन्हें प्रोटीन और फाइबर युक्त खाना खाने की सलाह दी जाती है।

अगर वे चीनी या ऐसा कुछ भी खाते हैं, तो उनका ब्लड शुगर लेवल निश्चित रूप से बढ़ जाएगा और किडनी और दिल की बीमारियों का खतरा रहता है। तो अगर मधुमेह रोगी मीठा खाने के लिए तरस रहे हैं, तो उनके लिए स्वास्थ्यप्रद विकल्प क्या है?

मधुमेह रोगी अगर नाश्ते में ग्रीक योगर्ट का सेवन करें तो यह उनके स्वास्थ्य के लिए अच्छा रहेगा। इसमें प्रोटीन अधिक होता है जिससे भूख को नियंत्रित करना आसान हो जाता है, कम खाने से वजन और कोलेस्ट्रॉल भी नियंत्रण में रहता है।

सेब के फायदों से तो हम सभी वाकिफ हैं, कहा जाता है कि रोजाना एक सेब खाने से डॉक्टर दूर रहते हैं । इस फल में कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स होता है, इसलिए यह ग्लूकोज के स्तर को नकारात्मक रूप से प्रभावित नहीं करता है।

जंक फूड खाने से शरीर में हो सकती है सूजन इसे भूल से भी न करें नज़रंदाज़

शरीर में नजर आने वाली सूजन को हल्‍के में नहीं लेना चाह‍िए। सूजन, त्‍वचा, जोड़ या शरीर के क‍िसी भी अन्‍य ह‍िस्‍से में हो सकती है। इसके कारण बैठने या चलने में अड़चन महसूस हो सकती है। सूजन आने पर व्‍यक्‍त‍ि को त्‍वचा में गर्मी और दर्द भी महसूस होता है। सूजन के कारण नींद भी प्रभाव‍ित होती है।

अगर शरीर में सूजन नजर आ रही है या अचानक से सूजन बढ़ गई है तो संभल जाएं। इसका एक कारण एक्‍सरसाइज न करना भी हो सकता है। जो लोग शारीर‍िक रूप से एक्‍ट‍िव नहीं होते हैं उन्‍हें अक्‍सर सूजन की समस्‍या का सामना करना पड़ता है।

आज के समय में तनाव भरी ज‍िंदगी आम हो गई है। लेक‍िन जो लोग ज्‍यादा तनाव में रहते हैं, उन्‍हें सूजन की समस्‍या हो सकती है। तनाव, हमारे मन के साथ-साथ शरीर को भी प्रभाव‍ित करता है।

प‍िज्‍जा, बर्गर, मोमोज, फ्राइज आद‍ि पसंद है, तो बीमार‍ियों के ल‍िए तैयार रहें। इन अनहेल्‍दी फूड्स के जर‍िए र‍िफाइंड कॉर्ब्स, ट्रांस फैट का सेवन करते हैं, तो शरीर में सूजन हो सकती है। लाइफस्‍टाइल की इन गलत आदतों का असर सेहत पर पड़ता है। शरीर में सूजन नजर आ रही है, तो फास्‍ट फूड या जंक फूड पूरी तरह से बंद कर दें। एक हफ्ते में ही आपको फर्क नजर आने लगेगा।

लहसुन में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट आपको दिला सकते हैं ब्लड प्रेशर की समस्या से छुटकारा

लहसुन खाना सेहत के लिए अच्छा माना जाता है. इसे मिलाने से न सिर्फ सब्जियों का स्वाद बढ़ता है बल्कि सेहत के लिए भी अच्छा माना जाता है. इसकी तासीर गर्म होती है, इसलिए सर्दियों में इसके सेवन पर जोर दिया जाता है।

इसे खाने से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, जिससे मौसमी बीमारियों से बचाव होता है। लेकिन केवल यही फायदा नहीं है। कई लोगों के लिए इसका सेवन नुकसान की वजह भी बन जाता है। आज हम आपको लहसुन से जुड़े कुछ ऐसे ही नुकसानों के बारे में बताने जा रहे हैं।

लहसुन खाने से शरीर का ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है। इसलिए जो लोग घबराहट, चक्कर या ब्लड प्रेशर की समस्या से परेशान हैं उन्हें लहसुन का सेवन कम करना चाहिए। शरीर में खून की कमी होने पर लहसुन नहीं खाने की सलाह दी जाती है।

लहसुन में एंटीऑक्सीडेंट होते हैं, जो लिवर में विषाक्त पदार्थों के संचय को रोक सकते हैं। ऐसे में ज्यादा लहसुन खाने से भी लीवर खराब हो सकता है। इसलिए इसका सेवन उचित मात्रा में करना फायदेमंद होता है।

अत्यधिक मसालेदार भोजन का सेवन करने से आप भी हो सकते हैं हेपेटाइटिस के शिकार

मानव शरीर को स्वस्थ रखने में लीवर का योगदान बहुत महत्वपूर्ण होता है। लिवर भोजन में पोषक तत्वों को संग्रहीत करता है और उन्हें शरीर के विभिन्न अंगों में वितरित करता है। लोकी में विषाक्त पदार्थों की पहचान करना और उन्हें फैलने से रोकना।

जब किसी व्यक्ति के लिवर में सूजन हो जाती है तो उस शारीरिक स्थिति को हेपेटाइटिस कहा जाता है। भारत के अधिकांश लोग जानकारी के अभाव में इस रोग से पीड़ित हैं। इसके लिए एक वायरस को जिम्मेदार माना जाता है।

इसके लक्षण शरीर में अपने आप प्रकट हो जाते हैं, इसलिए इसे ऑटो इम्यून डिजीज भी कहा जाता है।खाने-पीने के दौरान साफ-सफाई का ध्यान नहीं रखना भी इसका प्रमुख कारण है।

हेपेटाइटिस के लिए पांच तरह के वायरस ए, बी, सी, डी और ई को जिम्मेदार माना जाता है। हेपेटाइटिस बी और सी के मरीजों में लिवर कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। हेपेटाइटिस ए और ई दूषित पानी और भोजन से फैलते हैं। हेपेटाइटिस बी वायरस का संक्रमण संक्रमित रक्त चढ़ाने से फैलता है।

लाइफस्टाइल और खानपान कर सकता हैं आपकी किडनी को बुरी तरह प्रभावित

किडनी हमारे शरीर से गंदगी को बाहर निकालने का काम करती है. यह ब्लड को भी फिल्टर करती है. आजकल खराब लाइफस्टाइल और खानपान की गलत आदतों की वजह से कम उम्र में ही लोगों को हो रही हैं.

एक्यूट किडनी फेल ज्यादा खतरनाक नहीं होता है. ये कुछ समय में ठीक भी हो जाती है. डायरिया या फिर दवाओं के गलत सेवन की वजह से यह स्थिति बनती है, लेकिन यह अस्थाई होती है और थोड़े से ट्रीटमेंट के बाद किडनी काम करना शुरू कर देती है.

डॉ कुमार बताते हैं कि क्रोनिक किडनी फेल होने का सबसे बड़ा कारण खानपान की गलत आदतें और खराब लाइफस्टाइल है. इसके अलावा डायबिटीज, हाई बीपी या किडनी में पथरी की वजह से भी ये परेशानी हो सकती है. आजकल कम उम्र में ही किडनी डिजीज हो रही हैं. इसका बड़ा कारण शराब का सेवन, धूम्रपान और लाइफस्टाइल से संबंधित गलत आदतें हैं. क्रोनिक किडनी फेल होने पर किडनी पूर्ण रुप से खराब हो जाती है. ऐसे में डायलिसिस या फिर किडनी ट्रांसप्लांट से ही मरीज की जान बचाई जा सकती है.

युवाओं में तेज़ी से बढ़ रही ब्रेन स्ट्रोक की समस्या, जानिए इसके लक्ष्ण व बचाव

 हाल के वर्षों में कम उम्र के लोगों में ब्रेन स्ट्रोक की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं. ब्रेन स्ट्रोक को लंबे समय से बुजुर्गों की बीमारी माना जाता रहा है, लेकिन हाल के आंकड़ों से पता चलता है कि यह अब भारत में युवा आबादी को भी अपना शिकार बना रही है.

ब्रेन स्ट्रोक में योगदान देने वाले कुछ फैक्टर में युवा लोगों में मोटापा, हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज जैसे रिस्क फैक्टर में वृद्धि के साथ-साथ कोकीन और मेथामफेटामाइन जैसे ड्रग्स के उपयोग में वृद्धि शामिल है.

देश में एक अन्य जनसंख्या-आधारित अध्ययन में, स्ट्रोक के कुल रोगियों में से 8.8 प्रतिशत युवा आयु वर्ग के पाए गए.ब्रेन स्ट्रोक एक ऐसी आपात स्थिति है जो किसी भी समय हो सकती है. चाहे आप बैठे हो, चल रहे हो या सो रहे हो.

दिमाग के हिस्से में खून की आपूर्ति कम होने लगती है. स्ट्रोक आने के बाद मरीज को 4 घंटे के अंदर अस्पताल पहुंचाना जरूरी होता है. अगर चार घंटे के अंदर मरीज को थ्रोबोलीटिक दवा मिल जाती है तो उसकी जान बच जाएगी. ये दवा धमनी में मौजूद ब्लॉकेज को खोल देती है.

पानी पीने से पेट में मौजूद खाना पचने की जगह हो सकता हैं खराब

अक्सर मां या किसी दूसरे बड़े ने आपको उस समय पक्का टोका होगा जब आप खाना खाने के तुरंत बाद पानी पी रहे होंगे… ऐसा अक्सर सुना तो होता है, लेकिन इसे मानने में दिक्कत होती है. अक्सर हम सामने वाले से पूछ लेते हैं कि क्यों नहीं पीना चाहिए. अगर तो सामने वाला ईमानदार है तो वह साफ कह देगा कि उसे नहीं पता, और अगर पता ही नहीं है तो वह अपने सुने-सुनाए बेतुके से जवाब आपको देगा…

तो अगर आप भी आज तक इस सवाल का जवाब नहीं पा सके हैं कि आखिर खाने के तुरंत बाद पानी क्यों नहीं पीना चाहिए, तो चलिए हम आपको बताते हैं-जो भी आप खाते हैं उसे पचने में तकरीबन 2 घंटे का समय लगता है.

खाने के बाद जब आप पानी पी लेते हैं तो खाने को पेट से आंत तक जितने समय में जाना चाहिए, उससे कम समय में वह आंत तक पहुंच जाता है. ऐसा होने पर शरीर को भोजन में मौजूद पोषक तत्वों का पूरा लाभ नहीं मिल पाता।

खाने के तुरंत बाद पानी पीने से पेट में मौजूद खाना पचने की जगह खराब होने लगता है जिससे गैस बनने लगता है. अगर आप तला और मसालेदार खाना खाते हैं तो आपको एसिडिटी भी हो जाती है. खाने के बीच पानी पीने से एसिडिटी और ज्यादा बढ़ जाती है.

मस्तिष्क में सेरोटोनिन का स्तर बढ़ाते हैं ये पोषक तत्व

यदि आपका मूड बेकार है तो ओट्स को दूध, शहद व किशमिश के साथ खाने से अपने आप अच्छा हो जाता है. ओट्स में ग्लाइसेमिक इंडेक्स को कम करने की क्षमता होती है, जिससे रक्त प्रवाह सुधरता है. इसमें उपस्थित मिनिरल, सेलेनियम भी थायरॉयड ग्लैंड मूड को नियंत्रित करने में मदद करते हैं.

अंडा
अंडे में उपस्थित लेसिथिन मूड को कंट्रोल करने में मदद करता है. इसमें उपस्थित कोलीन पोषक तत्व से भरपूर होता है, जिसके सेवन से मूड अच्छा होता है. शरीर को आराम भी महसूस होता है. विटामिन बी 12 से भरपूर होने से डिप्रेशन भी नहीं होता है.

मछली
मूड अच्छा करने के लिए मछली का सेवन बहुत फायदेमंद है. इसमें विटामिन डी व ओमेगा 3 फैटी एसिड भरपूर मात्रा में होते हैं जो मस्तिष्क में सेरोटोनिन का स्तर बढ़ाते हैं.

कॉफी
कैफीन के सेवन से अच्छा महसूस होता है. कैफीन भरी एक कप कॉफी के साथ दिन की आरंभ मूड पर प्रभाव डालती है. हालांकि, इसका सेवन नियंत्रित रूप से करें नहीं तो लत जल्दी लग जाती है. ज्यादा सेवन स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं है.

इम्यून सिस्टम और गार्ड्स को मज़बूत बनाने का काम करता हैं विटामिन ए

पैरों में सूजन एक आम समस्‍या है जो कि गलत जीवनशैली, पोषण की कमी, शारीरिक गतिविधियां न करने या मोटापे की वजह से उत्‍पन्‍न होती है। देर तक खड़े रहने या बड़ती उम्र, प्रेग्‍नेंसी, प्रीमैंस्‍ट्रुअल सिंड्रोम और पैरों में ठीक तरह से रक्‍त प्रवाह न होने पर भी पैरों में सूजन आ सकती है।

विटामिन ए
विटामिन ए आपके इम्यून सिस्टम और गार्ड्स को मज़बूत बनाने का काम करता है जिसकी वजह से आप किसी भी प्रकार की इंफेक्शन युक्त बीमारी से बचे रहते हैं. इसलिए हमारी सलाह है कि आप एक से दो हफ्ते तक विटामिन ए कि गोलियों का सेवन करें, इससे आपको ज़रूर ही फायदा पहुंचेगा और आपको अच्छे नतीजे देखने को मिलेंगे. मुख्य तौर से यह मछली, दूध व अंडे आदि में पाया जाता है.

ब्रोमेलिन
ब्रोमेलिन जैसा पोषक तत्व अनानास में पाया जाता है. यह एंटी इन्फ्लेमेटरी गुणों से युक्त होता है जो आप के इम्यून सिस्टम के लिए बहुत अच्छे व लाभदायक होते हैं. इसका प्रयोग कई बार कुछ चोटें जैसे कि रीढ़(स्पाइन) आदि को ठीक करने के लिए भी किया जाता है. आप इसकी टैबलेट या कैप्सूल ले सकते हैं.

कैप्सैसिन
ये तत्त्व लाल मिर्ची में पाया जाता है. इसका काम प्रोटीन के एक समूह को रोकना है जो आपके शरीर की सूजन की प्रतिक्रिया को नियंत्रित करता है. आप कैप्सैसिन को उन उत्पादों में पा सकते हैं जिन्हें आप सीधे अपनी त्वचा पर लगाते हैं. आप एक चौथाई चम्मच से कैप्सैसिन की शुरुआत कर सकते हैं.