Sunday , May 19 2024

विदेश

‘संघीय डिजिटल मुद्रा का नहीं होने देंगे निर्माण’, पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप का संकल्प

आयोवा कॉकस के मतदान में जीत दर्ज करने के बाद डोनाल्ड ट्रंप और उनके समर्थक उत्साहित हैं। अब उनकी निगाहें न्यू हैंपशायर में होने वाले कॉकस चुनाव पर लगी हैं। यहां एक रैली में डोनाल्ड ट्रंप ने संघीय डिजिटल मुद्रा के निर्माण को रोकने का संकल्प लिया है। उन्होंने इसे स्वतंत्रता के लिए खतरनाक खतरा बताया।

आपके राष्ट्रपति के रूप में…
न्यू हैंपशायर के पोर्ट्समाउथ में एक रैली में ट्रंप ने कहा, ‘आज रात, मैं अमेरिकियों को सरकारी अत्याचार से बचाने का एक और वादा कर रहा हूं। आपके राष्ट्रपति के रूप में, मैं कभी भी केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा के निर्माण की अनुमति नहीं दूंगा।’

पैसे पर सरकार का नियंत्रण होगा
उन्होंने आगे कहा, ‘इस तरह की मुद्रा से आपके पैसे पर सरकार का नियंत्रण होगा। वे आपके पैसे ले सकती हैं। आपको इसका पता भी नहीं चलेगा कि पैसे निकल गए। यह स्वतंत्रता के लिए एक बड़ा खतरा होगा।’

नियमित डॉलर की तरह किया जा सकता है इस्तेमाल
एक केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (CBDC) एक केंद्रीय बैंक द्वारा जारी मुद्रा का एक डिजिटल संस्करण है। रिपोर्ट के अनुसार, इस निर्णय के तहत अमेरिका का फेडरल रिजर्व एक डिजिटल डॉलर जारी करेगा, जिसका उपयोग नियमित डॉलर की तरह ही किया जा सकता है।

न्यू हैंपशायर में ट्रंप पर भारी पड़ सकती हैं हेली
गौरतलब है, न्यू हैंपशायर में 23 जनवरी को मतदान होना है। एक ताजा पोल में दावा किया जा रहा है कि न्यू हैंपशायर में डोनाल्ड ट्रंप और निक्की हेली के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिल सकती है क्योंकि पोल के अनुसार, दोनों को राज्य में 40-40 फीसदी वोट मिल सकते हैं। न्यू हैंपशायर के गवर्नर क्रिस सुनुनु निक्की हेली का समर्थन कर रहे हैं, ऐसे में राज्य में ट्रंप को जीत के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी। डोनाल्ड ट्रंप ने 15 जनवरी को हुए आयोवा कॉकस के चुनाव में जीत दर्ज की थी और उन्हें 51 प्रतिशत वोट मिले थे।

रोन देसांतिस को 21 प्रतिशत और निक्की हेली को 19 प्रतिशत लोगों ने वोट किया था। विवेक रामास्वामी, जो अब राष्ट्रपति पद की रेस से बाहर हो चुके हैं, उन्हें 7 फीसदी मतों से संतोष करना पड़ा था। हाल के दिनों में निक्की हेली की लोकप्रियता लगातार बढ़ रही है। न्यू हैंपशायर में जहां वह ट्रंप पर भारी पड़ सकती हैं, वहीं साउथ कैरोलिना उनका अपना राज्य है, जहां से वह दो बार गवर्नर रह चुकी हैं। यही वजह है कि ट्रंप को रिपब्लिकन पार्टी की तरफ से दावेदारी हासिल करने के लिए निक्की हेली की कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ेगा। रोन देसांतिस को लेकर कहा जा रहा है कि उनके पास फंड की कमी है और न्यू हैंपशायर में उनके बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद भी बहुत कम है। ऐसे में वह साउथ कैरोलिना पर फोकस कर रहे हैं।

भारतीय मछुआरों का एक जत्था सुरक्षित भारत पहुंचने के लिए तैयार
श्रीलंका में भारत के उच्चायोग ने बताया कि भारतीय मछुआरों का एक जत्था सुरक्षित भारत पहुंचने के लिए तैयार है। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि 32 भारतीय मछुआरों का एक समूह कोलंबो से भारत वापस आने के लिए विमान में सवार हो गया है।

अबु धाबी में जल्द पूरा होने वाला है हिंदू मंदिर का निर्माण, अयोध्या के बाद इसका उद्घाटन करेंगे पीएम मोदी

संयुक्त अरब अमीरात में भारतीय राजदूत संजय सुधीर ने अबु धाबी में बन रहे BAPS हिंदू मंदिर का दौरा किया। इस दौरान राजदूत ने मंदिर के निर्माण कार्य की प्रगति देखी। साल 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मंदिर के निर्माण का एलान किया था। अब इसका निर्माण कार्य पूरा होने के करीब है। भारतीय दूतावास ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट साझा कर इसकी जानकारी दी। उन्होंने लिखा कि ‘एक महीने से भी कम समय बचा है। अबु धाबी में बन रहे हिंदू मंदिर का निर्माण कार्य अब पूरा होने वाला है, जिसका एलान पीएम मोदी ने साल 2015 में किया था। भारतीय राजदूत ने इसकी प्रगति देखी।’

अयोध्या के राम मंदिर के बाद इसका उद्घाटन करेंगे पीएम मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 22 जनवरी को अयोध्या में भव्य राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल होंगे। इसके बाद 14 फरवरी को प्रधानमंत्री अबु धाबी में बन रहे इस हिंदू मंदिर की उद्घाटन करेंगे। BAPS हिंदू मंदिर संस्था ने प्रधानमंत्री मोदी को अबु धाबी में स्वामीनारायण मंदिर का उद्घाटन करने के लिए बीते साल दिसंबर में निमंत्रण दिया था, जिसे प्रधानमंत्री ने स्वीकार कर लिया है। स्वामीनारायण संस्था ने बयान जारी कर इसकी जानकारी दी है।

बयान में बताया गया कि स्वामी ईश्वरचरणदास, प्रधानमंत्री मोदी को माला पहनाकर और भगवा शॉल ओढाकर उनका स्वागत करेंगे। बयान के अनुसार, प्रधानमंत्री मोदी ने भारत में तीर्थ स्थानों के विकास और पुनर्निर्माण में अभूतपूर्व काम किया है। मंदिर का उद्घाटन कार्यक्रम एक भव्य कार्यक्रम होगा, जिसे आने वाले कई सालों तक याद रखा जाएगा। अबु धाबी में बन रहे हिंदू मंदिर को देखने फिल्म अभिनेता विवेक ओबेरॉय भी पहुंचे। उन्होंने सोशल मीडिया पर एक वीडियो साझा कर इस मंदिर के निर्माण पर खुशी जताई और इसे अभूतपूर्व आध्यात्मिक पल बताया। विवेक ओबेरॉय को अयोध्या राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम का भी निमंत्रण मिला है।

BAPS (बोचासनवासी श्री अक्षर पुरूषोत्तम स्वामीनारायण संस्था) एक सामाजिक-आध्यात्मिक संस्था है, जिसकी जड़ें वेदों में हैं। स्वामीनारायण संस्था ने नई दिल्ली, गुजरात में अक्षरधाम मंदिर के अलावा उत्तरी अमेरिका, अटलांटा, ऑकलैंड, शिकागो, ह्यूस्टन, लंदन, लॉस एंजिल्स, नैरोबी, रॉबिंसविले, सिडनी, टोरंटो में भव्य मंदिरों का निर्माण कराया है।

किंग चार्ल्स-III की सेहत पर अपडेट, प्रोस्टेट से जुड़ा इलाज कराना जरूरी; बकिंघम पैलेस ने कही यह बात

ब्रिटेन के 74 वर्षीय राजा को सेहत से जुड़ी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। वयोवृद्ध किंग चार्ल्स-तृतीय के स्वास्थ्य को लेकर राजनिवास- बकिंघम पैलेस ने बयान जारी किया। बकिंघम पैलेस की तरफ से बताया गया कि किंग चार्ल्स-III को प्रोस्टेट से जुड़ी बीमारी है। उनका इलाज कराना जरूरी है। बयान के मुताबिक प्रोस्टेट बढ़ने के कारण किंग चार्ल्स पेशाब से जुड़ी परेशानियों से जूझ रहे हैं। बीमारी और उनकी सेहत को देखते हुए ब्रिटेन के किंग का इलाज कराने की तैयारियां की जा रही हैं।

इलाज के दौरान सार्वजनिक कार्यक्रमों से दूर रहेंगे किंग चार्ल्स
किंग चार्ल्स-III की सेहत को लेकर सीबीएस न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक राजा अगले सप्ताह अस्पताल जाकर डॉक्टरों से सलाह लेंगे। फिलहाल उनकी तबियत को लेकर अधिक चिंता की बात सामने नहीं आई है। प्रोस्टेट बढ़ना सामान्य है। किंग चार्ल्स के इलाज को जरूरी बताते हुए बकिंघम पैलेस ने कहा, उनके तमाम सार्वजनिक कार्यक्रमों को इलाज की अवधि कर स्थगित रखा जाएगा।

किंग चार्ल्स ने 74 साल की आयु में ब्रिटेन का राजसिंहासन संभाला
बता दें कि किंग चार्ल्स-III की ताजपोशी उनकी मां के निधन के बाद हुई थी। साल 2022 में महारानी एलिजाबेथ-II के निधन के बाद किंग चार्ल्स 74 साल की आयु में ब्रिटेन का राजसिंहासन संभाला। इससे पहले किंग चार्ल्स की सेहत से जुड़ी चिंता साल 2008 में सामने आई थी। इसके इलाज के दौरान डॉक्टरों ने उनके चेहरे से गैर-कैंसरयुक्त उभार ऑपरेशन करके हटाया था।

प्रोस्टेट से जुड़ी परेशानी पर नेशनल हेल्थ सर्विस का बयान
देश की स्वास्थ्य सेवा के मुताबिक हर तीन में एक ब्रिटिश पुरुष को अपने जीवनकाल में प्रोस्टेट बढ़ने की समस्या से जूझना पड़ता है। आमतौर पर इस परेशानी का कारण बढ़ती आयु को माना जाता है। नेशनल हेल्थ सर्विस (NHS) की वेबसाइट के मुताबिक प्रोस्टेट बढ़ने के ठोस कारण फिलहाल पता नहीं हैं। हालांकि, यह परेशानी केवल कैंसर के कारण नहीं होती। प्रोस्टेट बढ़ने को प्रोस्टेट कैंसर जैसी घातक बीमारी से भी सीधा नहीं जोड़ा जा सकता।

स्विट्जरलैंड रेलवे के साथ मिलकर काम करेगा भारतीय रेलवे, रेल मंत्री बोले- बहुत कुछ सीख सकते हैं

भारतीय रेलवे, स्विट्जरलैंड रेलवे भविष्य में साथ मिलकर काम कर सकते हैं। दरअसल भारतीय रेलवे, स्विट्जरलैंड के रेलवे के साथ एमओयू करने की योजना पर काम कर रहा है। भारतीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने गुरुवार को यह जानकारी दी। दावोस में वर्ल्ड इकॉनोमिक फोरम की वार्षिक बैठक से इतर अश्विनी वैष्णव ने एक इंटरव्यू में बताया कि स्विट्जरलैंड रेलवे की कई चीजें ऐसी हैं, जिनसे हम सीख सकते हैं।

स्विस रेलवे की इन चीजों से प्रभावित हुए रेल मंत्री
रेल मंत्री ने कहा कि मेरी स्विस रेलवे के अधिकारियों और नीति निर्माताओं के साथ बैठक हुई। साथ ही मैं उनके केंट्रोल सेंटर भी गया। उन्हें सुरंग बनाने की तकनीक का अच्छा अनुभव है। दुनिया की सबसे लंबी रेल सुरंग भी स्विट्जरलैंड में ही है। साथ ही वहां ट्रैक तकनीक, ट्रैक की बनावट भी बहुत अच्छी है। सबसे अच्छी बात मैंने वहां ये देखी कि उनका पूरा नेटवर्क हब और स्पोक डिजाइन पर आधारित है।

स्विस तकनीक के मुरीद हुए वैष्णव
रेल मंत्री ने स्विट्जरलैंड रेलवे की हब और स्पोक ने नेटवर्क की तारीफ की। उन्होंने बताया कि राजधानी ज्यूरिख में स्विस रेलवे का हब है, तो वहां एक ही समय पर कई ट्रेनें आती हैं और कई ट्रेनें एक ही समय पर रवाना होती हैं। इससे फायदा ये होता है कि अगर किसी को ट्रेन बदलनी है तो वह आराम से हब स्टेशन से दूसरी ट्रेन बदल सकता है। स्विट्जरलैंड में ऐसे ही छह हब स्टेशन हैं, जिन्हें कई स्पोक नेटवर्क से कनेक्ट किया गया है।

भारत में जो रेलवे का स्ट्रक्चर है, उसमें रेल यात्रा की शुरुआत से लेकर गंतव्य स्टेशन तक ट्रेनें संचालित होती हैं। जबकि स्विट्जरलैंड में हब स्टेशन से किसी भी गंतव्य के लिए ट्रेन बदली जा सकती है। रेल मंत्री ने ये भी बताया कि स्विट्जरलैंड में ट्रेनों, बसों और मेट्रों आदि की इंटर कनेक्टिविटी बहुत बेहतर है, जिसकी वजह से लोग किसी भी माध्यम का इस्तेमाल कर यात्रा कर सकते हैं। स्विट्जरलैंड से हम बहुत कुछ सीख सकते हैं। यही वजह है कि हम स्विस रेलवे के साथ मिलकर एमओयू करने पर विचार कर रहे हैं ताकि भारत में भी रेलवे में सुधार किए जा सकें।

‘राष्ट्रपति बना तो सुधार दूंगा इस्राइल-फलस्तीन के बीच की स्थिति’, आयोवा कॉकस में जीत के बाद बोले ट्रंप

अमेरिका में रिपब्लिकन पार्टी की तरफ से राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी की रेस में पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 15 जनवरी को आयोवा प्रांत में पहली कॉकस में जीत दर्ज की है। इस जीत ने उन दावों को मजबूती दी है, जिसमें कहा जा रहा कि बाइडन और ट्रंप एक बार फिर अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में आमने-सामने हो सकते हैं। पार्टी के भीतर अपनी पहली जीत के बाद डोनाल्ड ट्रंप ने अपने समर्थकों को संबोधित किया। जिसमें उन्होंने कहा कि दुनिया को फिर से ठीक करना होगा, अस्त-व्यस्त दुनिया को अच्छा बनाना होगा। इस दौरान ट्रंप ने राजनीतिक विचारधाराओं को एक साथ आने का आग्रह किया है।

बाइडन अमेरिका इतिहास के सबसे खराब राष्ट्रपति-ट्रंप
संबोधन के दौरान उन्होंने कहा कि बाइडन अमेरिकी इतिहास के अब तक के सबसे खराब राष्ट्रपति हैं। पूरी दुनिया अब अमेरिका पर हंसने लगी हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि अब वक्त आ गया है कि हमारे देश के लोग एक साथ आएं। चाहे वो डेमोक्रेट हो या फिर रिपब्लिकन। दुनिया के लिए सबको एकजुट होना होगा। ट्रंप ने कहा कि बहुत अच्छा होगा कि अगर हर विचारधार के लोग एक साथ आएं। मुझे लगता है कि यह बहुत जल्द होने वाला है।

चिंता न करें मैं सब ठीक कर दूंगा दुनिया में- ट्रंप
इस्राइल-हमास युद्ध पर बोलते हुए डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि अगर मैं वर्तमान में अमेरिका का राष्ट्रपति रहता तो इस्राइल पर हमले का सवाल नहीं उठता। उन्होंने कहा कि अगर वह चुनाव जीतकर फिर से आए तो वे बहुत जल्द इस समस्या का ही समाधान कर देंगे। साथ ही उन्होंने कहा कि अगर मैं राष्ट्रपति रहता तो रूस की यूक्रेन पर हमला करने की हिम्मत ही नहीं होती। उन्होंने कहा कि यूक्रेन के हालत बहुत बुरे हैं। हम जल्द ही दुनिया में सब ठीक कर देंगे।

क्या है आयोवा कॉकस
अमेरिका में दो मुख्य पार्टियां डेमोक्रेट्स और रिपब्लिकन हैं। दोनों पार्टियां राष्ट्रपति चुनाव से पहले देश के हर राज्य में पार्टी के उम्मीदवार के चयन के लिए पार्टी के भीतर मतदान कराती हैं, जिसे कॉकस कहा जाता है। सभी राज्यों के मतदान के बाद दोनों पार्टियों के राष्ट्रीय सम्मेलन में मतदान में विजयी उम्मीदवार को पार्टी की तरफ से राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित किया जाता है।

‘पसंद के अंपायरों के साथ मैच खेल रहे नवाज, एक ने नो-बॉल दे दी’, इमरान खान का सुप्रीम कोर्ट पर निशाना

पाकिस्तान में आठ फरवरी को आम चुनाव होने हैं। उससे पहले सियासी दलों के एक दूसरे पर हमले तेज हो गए हैं। इस बीच, जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने पीएमएल-एन सुप्रीमो नवाज शरीफ, सर्वोच्च न्यायालय और शक्तिशाली सेना पर हमला बोला है। उन्होंने आरोप लगाया कि नवाज ‘दो अंपायरों’ के समर्थन से चुनाव लड़ रहे हैं और उनमें से एक अंपायर ने हाल ही में पीटीआई को चुनाव से किनारे करने के लिए ‘नो बॉल’ का संकेत दिया है।

पसंद के अंपायरों के साथ मैच खेलते हैं नवाज
सर्वोच्च न्यायालय ने हाल ही में पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी को उसके क्रिकेट बैट के चुनाव चिह्न वंचित किया है। इसको लेकर इमरान खान ‘लंदन प्लान’ को जिम्मेदार ठहराया। एक प्रमुख दैनिक अखबार की खबर के मुताबिक, खान ने तोशाखाना मामले में सुनवाई के बाद रावलपिंडी की उच्च सुरक्षा वाली अदियाला जेल के बाहर पत्रकारों से बात की। इस दौरान उन्होंने कहा, नवाज अपने पसंद के अंपायरों के साथ मैच खेलते हैं।

उच्चतम न्यायालय पर साधा निशाना
पीटीआई प्रमुख ने उच्चतम न्यायालय के आदेश का जिक्र करते हुए कहा, परसों एक अंपायर ने नो-बॉल दी थी। सर्वोच्च न्यायालय ने उनकी पार्टी को उनके क्रिकेट बैट के चुनाव चिह्न से वंचित किया है। इमरान खान सेना और शीर्ष अदालत को अंपायर बता रहे हैं, जो रिकॉर्ड चौथी बार नवाज शरीफ के प्रधानमंत्री बनने की हिमायत कर रहे हैं।

शीर्ष अदालत ने ईसीपी के फैसले को बरकरार रखा
गौरतलब है कि चुनाव आयोग (ईसीपी) ने पिछले साल 22 दिसंबर को पीटीआई के लिए क्रिकेट बैट को चुनाव चिह्न को रद्द कर दिया था। हालांकि, बाद पेशावर उच्च न्यायालय ने पीटीआई के लिए इस चुनाव चिह्न को बहाल कर दिया था। इसके बाद ईसीपी ने उच्च न्यायालय के फैसले को शीर्ष अदालत में चुनौती दी। फिर सर्वोच्च न्यायालय ने ईसीपी के फैसले को बरकरार रखा।

इस छोटे से देश ने ताइवान को दिया बड़ा झटका, ताइपे से संबंध तोड़ करेगा चीन से दोस्ती

नाउरू ने ताइवान के साथ राजनयिक संबंध समाप्त करने का फैसला लिया है। बताया जा रहा है कि वह ताइवान का साथ छोड़कर चीन के साथ राजनयिक संबंध स्थापित करने वाला है। यह घोषणा ऐसे समय में की गई है जब स्वशासित ताइवान को लेकर चीन के बढ़ते आक्रामक रुख समेत कई मामलों पर चीन एवं अमेरिका के बीच तनाव बढ़ रहा है। छोटे प्रशांत द्वीप राष्ट्र की सरकार ने सोमवार को कहा कि देश और उसके लोगों के हित में वह चीन के साथ राजनयिक संबंधों की पूर्ण बहाली की मांग कर रही है।

कोई आधिकारिक संबंध नहीं कर सकेगा स्थापित
नाउरू के इस फैसले का मतलब होगा कि वह अब ताइवान को एक अलग देश के रूप में मान्यता नहीं देगा। बल्कि चीन के एक अविभाज्य हिस्से के रूप में इसे जानेगा। इसके अलावा, वह ताइवान के साथ राजनयिक संबंधों को पूरी तरह से तोड़ देगा और अब ताइवान के साथ कोई आधिकारिक संबंध या संपर्क स्थापित नहीं करेगा।

केवल 12 देशों की मान्यता
वही, नाउरू के इस कदम के बाद ताइवान के पास ग्वाटेमाला, पराग्वे, इस्वातिनी, पलाऊ और मार्शल द्वीप समेत केवल 12 देशों की मान्यता रह जाएगी।

मुट्ठी भर देशों पर छींटाकशी जारी रखेगा चीन
चीन हमेशा दावा करता है कि ताइवान उसका है। इसी को लेकर विवाद जारी है। चुनाव से पहले ताइवान के सुरक्षा अधिकारियों ने कहा था कि चीन उन मुट्ठी भर देशों पर छींटाकशी जारी रख सकता है, जिनके ताइपे के साथ औपचारिक राजनयिक संबंध हैं। बता दें, ताइवान की सत्तारूढ़ डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (डीपीपी) के लाई चिंग-ते ने शनिवार को राष्ट्रपति चुनाव जीत लिया और वह 20 मई को पदभार ग्रहण करेंगे। चुनाव से पहले चीन ने लाई को खतरनाक अलगाववादी कहा था।

पिछले साल होंडुरास ने छोड़ा था ताइवान का साथ
इससे पहले, पिछले साल मार्च में होंडुरास ने ताइवान के साथ संबंध समाप्त करने के बाद चीन के साथ राजनयिक संबंध स्थापित कर लिए थे। होंडुरास के साथ संबंधों को लेकर यह घोषणा ऐसे समय में की गई थी।होंडुरास ने कहा था, ‘ताइवान चीनी क्षेत्र का एक अविभाज्य हिस्सा है और होंडुरास सरकार ने राजनयिक संबंधों को समाप्त करने के बारे में ताइवान को सूचित किया है। उसने ताइवान के साथ कोई आधिकारिक संबंध या संपर्क स्थापित नहीं करने का संकल्प लिया।’ ताइवान के विदेश मंत्री जोसेफ वु ने बताया था कि ताइवान ने ‘अपनी संप्रभुता एवं गरिमा की रक्षा’ के लिए होंडुरास के साथ अपने संबंधों को समाप्त कर लिया है। दोनों पक्षों के बीच संबंध 80 वर्ष से अधिक समय तक रहे।

‘मालदीव की संप्रभुता को चीन का पूरा समर्थन’; राष्ट्रपति जिनपिंग से मिलकर लौटे मुइज्जू ने जताया भरोसा

मालदीव में दो महीने पहले नई सरकार बनने के बाद चीन के साथ इसकी करीबी बढ़ रही है। चीनी राष्ट्रपति के साथ द्विपक्षीय बैठक कर लौटे राष्ट्रपति मुइज्जू ने भरोसा जताया है कि आने वाले समय में दोनों देशों के संबंध नई ऊंचाइयों पर पहुंचेंगे। उन्होंने कहा कि चीन मालदीव की संप्रभुता का पूरा समर्थन करता है। दोनों देश एक-दूसरे का सम्मान करते हैं। मुइज्जू का बयान इसलिए भी अहम है क्योंकि राजनयिक विवाद के कारण मालदीव और भारत के रिश्ते कड़वे हो चुके हैं।

राष्ट्रपति बनने के बाद पहली राजकीय यात्रा पर चीन पहुंचे मुइज्जू ने चीनी समकक्ष जिनपिंग के अलावा वहां के प्रधानमंत्री समेत कई शीर्ष अधिकारियों से मुलाकात की थी। यात्रा के दौरान डेढ़ दर्जन से अधिक समझौतों पर साइन करने के बाद बाद शनिवार को मालदीव लौटे मुइज्जू ने कहा, चीन ने 1972 में राजनयिक संबंध स्थापित करने के बाद से मालदीव के विकास में निरंतर सहायता की है। उन्होंने यह भी कहा कि चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) द्विपक्षीय संबंधों को एक नए स्तर पर ले गई है।

उन्होंने कहा कि चीन ऐसा देश नहीं है जो मालदीव के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करेगा, यही कारण है कि दोनों देशों के बीच मजबूत संबंध हैं। चीन के सरकारी चैनल- सीजीटीएन के साथ एक साक्षात्कार में मुइज्जू ने कहा, मालदीव और चीन एक-दूसरे का सम्मान करते हैं। चीन मालदीव की संप्रभुता का पूरा समर्थन करता है। राष्ट्रपति ने विश्वास जताया कि चीन-मालदीव संबंध भविष्य में भी मजबूत होते रहेंगे। राष्ट्रपति शी जिनपिंग नागरिकों के हित को पहले रखते हैं और उनके नेतृत्व में चीन की अर्थव्यवस्था नई ऊंचाइयों पर पहुंची है।

राष्ट्रपति मुइज्जू के मुताबिक राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने उन्हें आश्वासन दिया है कि चीनी सरकार मालदीव को उसके लक्ष्य हासिल करने में मदद करेगी। उन्होंने कहा कि जिनपिंग के साथ-साथ खुद उनके दृष्टिकोण में मालदीव की अर्थव्यवस्था को मजबूत करना और लोगों की अपेक्षाओं के अनुरूप प्रगति लाना शामिल है। बकौल मुइज्जू, वह मालदीव को एक ऐसे देश में बदलना चाहते हैं जो उनके दृष्टिकोण के ढांचे के भीतर अन्य विकसित देशों के साथ सद्भाव बरकरार रखते हुए रिश्ते कायम करे।

गौरतलब है कि मुइज्जू ने चीन दौरे से लौटने के बाद भी भारत का नाम लिए बिना तीखी टिप्पणी की थी। उन्होंने कहा था कि भले ही मालदीव काफी छोटा देश है, लेकिन केवल इस आधार पर किसी देश को उसे धमकाने या उस पर धौंस दिखाने का लाइसेंस नहीं मिल जाता। इस बयान को चीन से उनकी करीबी और भारत के खिलाफ उग्र तेवरों के तौर पर देखा गया।

कार रेस के दौरान सिख महिला की टक्कर लगने से हुई थी मौत, भारतीय मूल के युवक को छह साल की जेल

रोडरेज मामले में ब्रिटेन में 80 साल की सिख महिला की हत्या के आरोप में भारतीय मूल के एक व्यक्ति समेत दो लोगों को जेल की सजा सुनाई गई है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, गुरुद्वारे से घर जा रही महिला को तेज रफ्तार कार ने टक्कर मारी थी। नवंबर 2022 को वेस्ट मिडलैंड्स काउंटी के राउली रेजिस में ओल्डबरी रोड पर यह हादसा हुआ था।

कार रेस ने पहुंचाया जेल आरोपियों को जेल में
मामले पर स्थानीय पुलिस की रिपोर्ट में दावा किया गया था कि आरोपी अर्जुन दोसांझ और अन्य आरोपी जेसेक वियात्रोव्स्की एक-दूसरे को पहल से नहीं जानते थे, लेकिन घटना से पहले ट्रैफिक लाइट पर रुकने के दौरान दोनों ने रेस लगाने का फैसला किया था। पुलिस ने दावा किया कि सीसीटीवी फुटेज में देखने पर लगता है कि दोनों कारों की रफ्तार तय सीमा से ज्यादा थी।

सीसीटीवी फुटेज ने जरिए पकड़े गए आरोपी
वीडियो फुटेज के मुताबिक, आरोपी वियात्रोव्स्की ने सड़क पार कर रही महिला को देखकर ब्रेक लगा दी थी, जिससे वह उसकी गाड़ी से टकराने से बच गई थी। लेकिन रेस लगा रहे दोसांझ ने अपनी गाड़ी को दूसरी दिशा में मोड़ दिया। उस दौरान वियात्रोस्की की गाड़ी को बचाने के चक्कर में उसने 81 वर्षीय सिख महिला को टक्कर मार दी थी। वेस्ट मिडलैंड्स पुलिस के क्रिस रिज ने कहा कि दोनों आरोपी एक-दूसरे को नहीं जानते थे, लेकिन गाड़ियों की रेस की चक्कर के कारण बुर्जुग महिला को अपनी जान से हाथ गवांना पड़ा। गौरतलब है कि दोनों आरोपियों ने तेज रफ्तार से गाड़ी चलाने के अपने आरोपों को स्वीकार किया है।

दोनों आरोपियों को छह साल की कैद
रिपोर्ट में कहा गया कि वॉल्वरहैम्प्टन क्राउन कोर्ट ने दोनों आरोपियों को छह साल की कैद की सजा सुनाई है। साथ ही दोनों दोषियों पर आठ साल के लिए गाड़ी चलाने पर रोक लगा दी हैं। अदालत में सुनवाई के दौरान पीड़ित परिवार ने कहा कि हमारी मां साधारण जीवन जीने में विश्वास रखती थी, हादसे के दिन वह गुरुद्वारे से घर जा रही है, वह एक धार्मिक महिला थी। हमारे लिए इस दुखद घटना से उभरना किसी चुनौती से कम नहीं था।

ईरानी शहरी विकास मंत्री से जयशंकर ने की मुलाकात, चाबहार बंदरगाह से जुड़े मुद्दों पर हुई बातचीत

तेहरान दौरे पर पहुंचे विदेश मंत्री जयशंकर ने ईरान के शहरी विकास मंत्री के साथ बैठक की। इस दौरान दोनों पक्षों के बीच चाबहार बंदरगाह को लेकर मजबूती पर चर्चा की गई है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि विदेश मंत्री जयशंकर दोनों पक्षों के बीच चल रही उच्च स्तरीय बैठक में शामिल होने ईरान गए हैं।

दौरे से जुड़ा पोस्ट सोशल मीडिया पर किया साझा
सोशल मीडिया पोस्ट पर पोस्ट साझा करते हुए जयशंकर ने कहा कि ईरान के शहरी विकास मंत्री के साथ मेरी बैठक हुई। इस दौरान चाबहार बंदरगाह के जुड़े संबंधों को सुदृढ़ करने पर चर्चा की गई। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे(आईएनएसटीसी) भी बैठक का मुद्दा रहा। बता दें आईएनएसटीसी एक परिवहन मार्ग है, जो हिंद महासागर और फारस की खाड़ी को ईरान के जरिए से कैस्पियन सागर और रूस में सेंट पीटर्सबर्ग से उत्तरी यूरोप तक जोड़ता है। विदेश मंत्रालय के मुताबिक, जयशंकर का ईरान के विदेश मंत्री होसैन अमीर अब्दुल्लाहियन से भी मिलने का कार्यक्रम है। प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि दोनों द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर चर्चा की संभावनाएं हैं।

ईरान-भारत के बीच संबंधों को मजबूत करने पर जोर
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल अगस्त में ईरानी राष्ट्रपति सैय्यद इब्राहिम रायसी के साथ मुलाकात की थी। इस दौरान दोनों देशों के नेताओं ने कनेक्टिविटी हब के तौर पर चाबहार बंदरगाह की मजबूती के साथ द्विपक्षीय सहयोग पर अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया था। ईरान में स्थित चाबहार बंदरगाह भारत के लिए व्यापार के लिए अहम है। चाबहार बंदरगाह के जरिए ईरान, अफगानिस्तान और मध्य एशिया के बीच व्यापार किया जाता है।