हैदराबाद:  सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को तेलंगाना विधानसभा स्पीकर को निर्देश दिया कि वे कांग्रेस में शामिल हुए 10 बीआरएस विधायकों के खिलाफ दायर अयोग्यता याचिकाओं पर तीन महीने के भीतर फैसला लें। कोर्ट ने कहा कि अगर राजनीतिक दल-बदल को समय पर रोका नहीं गया तो यह लोकतंत्र को नुकसान पहुंचा सकता है।

‘कानूनी विशेषज्ञों से सलाह के बाद अगली कार्रवाई’
स्पीकर जी. प्रसाद कुमार ने कहा, ‘हम सुप्रीम कोर्ट के पूरे आदेश की प्रति मिलने के बाद कानूनी विशेषज्ञों से सलाह करेंगे और फिर अगली कार्रवाई के बारे में जानकारी देंगे।’ वहीं जब उनसे पूछा गया कि क्या उन्होंने इन विधायकों को नोटिस भेजा है, तो उन्होंने बताया कि वह पहले ही नोटिस भेज चुके हैं और इन विधायकों ने जवाब देने के लिए कुछ समय मांगा है।

‘राष्ट्रपति और स्पीकर के कार्यों पर अदालत सवाल नहीं उठा सकती’
जी. प्रसाद कुमार ने पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के भाषणों का हवाला देते हुए कहा कि राष्ट्रपति और स्पीकर के कार्यों पर अदालत सवाल नहीं उठा सकती। यह मामला उन 10 बीआरएस विधायकों से जुड़ा है जो पार्टी छोड़कर सत्तारूढ़ कांग्रेस में शामिल हो गए थे, और अब उनके खिलाफ अयोग्यता की कार्रवाई चल रही है।

सुप्रीम कोर्ट ने विधानसभा अध्यक्ष को दिया था निर्देश
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने तेलंगाना विधानसभा अध्यक्ष को निर्देश दिया है कि कांग्रेस में शामिल हुए बीआरएस विधायकों की अयोग्यता याचिकाओं पर तीन महीने के भीतर फैसला करें। कोर्ट ने कहा कि राजनीतिक दलबदल लोकतंत्र के लिए खतरा हैं और देरी को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। स्पीकर को निष्पक्ष और तेज कार्रवाई करनी होगी। मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि यदि स्पीकर समय पर कार्रवाई नहीं करते तो यह ‘ऑपरेशन सफल, मरीज मृत’ वाली स्थिति होगी। कोर्ट ने कहा कि यह मामला 10वीं अनुसूची से जुड़ा है, जिसमें दलबदल की स्थिति में स्पीकर को त्वरित फैसला लेना होता है। कोर्ट ने स्पीकर से कहा कि वे विधायकों को प्रक्रिया में देरी नहीं करने दें और यदि ऐसा होता है तो उनके खिलाफ प्रतिकूल निष्कर्ष निकाल सकते हैं।

By Editor