Friday , May 3 2024

विदेश

संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में बोले एंटनी ब्लिंकन- “अफगानिस्‍तान को विकास और सुरक्षा सहायता…”

भारत दौरे पर आए अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा कि हम अफगानिस्तान से बलों की वापसी के बाद अफगान लोगों और क्षेत्रीय स्थिरता का समर्थन करने के लिए उपस्थिति कायम रखेंगे।

उन्होंने कहा कि हमारे पास न केवल एक मजबूत दूतावास है बल्कि महत्वपूर्ण कार्यक्रम भी हैं जो अफगानिस्‍तान को विकास और सुरक्षा सहायता के माध्यम से आर्थिक रूप से समर्थन देंगे।

उन्होंने विदेश मंत्री एस. जयशंकर के साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा कि अफगानिस्तान की शांति के लिए अमेरिका-भारत मिलकर काम करना जारी रखेंगे।

यह निश्चित रूप से अफगानिस्‍तान को लेकर उनके इरादे के बारे में उनके दृष्टिकोण को नहीं दर्शाता है। हम अफगानिस्तान में अभी भी लगे हुए हैं।उन्‍होंने कहा कि कोरोना ने अमेरिका और भारत दोनों को बहुत बुरी तरह प्रभावित किया। भारत ने हमें महामारी में सहायता प्रदान की।

हमने अफगानिस्तान सहित क्षेत्रीय सुरक्षा मुद्दों पर चर्चा की। क्‍वाड के सवाल पर उन्‍होंने कहा कि क्वाड क्या है? यह काफी सरल है लेकिन उतना ही महत्वपूर्ण है।

SCO मीटिंग: दुशान्बे में बेलारूस के रक्षा मंत्री से राजनाथ सिंह ने की द्विपक्षीय वार्ता, लिए कई बड़े फैसले

रक्षामंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) ने अपने बेलारूसी समकक्ष लेफ्टिनेंट जनरल विक्टर ख्रेनिन के साथ दुशान्बे में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के सम्मेलन से इतर बुधवार को द्विपक्षीय वार्ता की.

एससीओ की स्थापना 2001 में शंघाई में रूस, चीन, किर्गिज गणराज्य, कजाकिस्तान, ताजिकिस्तान और उजबेकिस्तान के राष्ट्रपतियों ने एक शिखर सम्मेलन में की थी.

रक्षा मंत्रालय ने ट्वीट किया, “रक्षामंत्री श्री राजनाथ सिंह ने बेलारूस के रक्षामंत्री, लेफ्टिनेंट जनरल विक्टर ख्रेनिन से दुशान्बे में एससीओ रक्षा मंत्रियों की बैठक से इतर मुलाकात की.” रक्षामंत्री एससीओ के सदस्य राष्ट्रों के रक्षा मंत्रियों के सम्मेलन में शामिल होने के लिए तीन दिवसीय यात्रा पर मंगलवार को ताजिकिस्तान की राजधानी में हैं.

भारत ने एससीओ और इसके क्षेत्रीय आतंकवाद-रोधी ढांचे (आरएटीएस) के साथ अपने सुरक्षा-संबंधी सहयोग को गहरा करने में गहरी दिलचस्पी दिखाई है, जो विशेष रूप से सुरक्षा और रक्षा से संबंधित मुद्दों से संबंधित है.अधिकारियों ने बताया कि दोनों मंत्रियों ने द्विपक्षीय रक्षा सहयोग पर चर्चा की और क्षेत्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर भी बात की.

 

अमेरिकी विदेश मंत्री से S Jaishankar ने की मुलाकात, हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भागीदारी बढ़ाने के मुद्दे पर हुई वार्ता

विदेश मंत्री एस जयशंकर (S Jaishankar) और उनके अमेरिकी समकक्ष एंटनी ब्लिंकन ने बुधवार को कई मुद्दों पर व्यापक बातचीत शुरू की. बातचीत के एजेंडे में अफगानिस्तान में तेजी से बदल रहे सुरक्षा परिदृश्य, हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भागीदारी बढ़ाने, कोविड-19 से निपटने के प्रयासों में सहयोग समेत अन्य विषय शामिल हैं.

अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा कि उन्होंने अमेरिका-नेपाल भागीदारी की अहमियत और हाल में नेपाल को टीके की 15 लाख खुराकें दान देने तथा अन्य सहयोग पर चर्चा की। प्राइस ने एक बयान में कहा, ”विदेश मंत्री ब्लिंकन और प्रधानमंत्री ने जलवायु परिवर्तन के असर से निपटने में सहयोग को लेकर भी बातचीत की।”

इससे पहले ब्लिंकन ने ट्वीट किया कि उन्होंने प्रधानमंत्री देउबा से बातचीत की और जलवायु परिवर्तन के असर, कोविड-19 से निपटने को लेकर सहयोग बढ़ाने के संबंध में चर्चा की।

नेपाल के प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्होंने ब्लिंकन के साथ दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों, कोविड-19 महामारी और जलवायु परिवर्तन को लेकर चर्चा की।विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने दोनों नेताओं के संग की एक तस्वीर के साथ ट्वीट किया, विभिन्न क्षेत्रों में व्यापक रणनीतिक साझेदारी शामिल हैं.

ब्लिंकन ने सिविल सोसाइटी के प्रतिनिधियों के साथ भी बैठक की. बैठक के बाद ब्लिंकन ने ट्विटर पर कहा कि अमेरिका और भारत लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति प्रतिबद्धता व्यक्त करते हैं. अमेरिकी विदेश मंत्री ने कहा, ”मुझे आज सिविल सोसाइटी के प्रतिनिधियों से मिलकर खुशी हुई.

अमेरिकी विदेश मंत्री ब्लिंकन आज दो दिवसीय दौरे पर आएँगे दिल्ली, कई अहम मुद्दों पर हो सकती है चर्चा

अमरीका के विदेश मंत्री एंटनी जे. ब्लिंकन भारत की दो दिन की यात्रा पर आज नई दिल्‍ली पहुंचेंगे। विदेश मंत्री का पद सम्‍भालने के बाद ब्लिंकन की यह पहली भारत यात्रा है। यात्रा के दौरान परस्‍पर हित के विभिन्‍न क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर चर्चा होगी और दोनों देशों के संबंधों को मजबूती देने पर विचार-विमर्श होगा।

इस साल मार्च में अमरीकी विदेश सचिव लायड ऑस्टिन और अप्रैल में जलवायु परिवर्तन मामलों के विशेष दूत जॉन कैरी ने भारत की यात्रा की थी।सूत्रों ने बताया कि रक्षा के क्षेत्र में दोनों पक्ष सहयोग को प्रगाढ़ करने के तरीके तलाशेंगे.

इसके अलावा, भारत स्वास्थ्य प्रोटोकॉल का पालन करते हुए अंतरराष्ट्रीय यात्रा को चरणबद्ध तरीके से बहाल करने की मांग करेगा, जिसमें खासतौर पर छात्रों, पेशेवरों और कारोबारियों के लिए यात्रा नियमों में ढील तथा अन्य मानवीय मामलों के अलावा परिवारों को मिलाना सुनिश्चित करने पर जोर रहेगा.

उन्होंने बताया कि भारत कोरोना वायरस टीके के उत्पादन में उपयोग होने वाली सामग्री की बिना रूकावट आपूर्ति श्रृंखला सुनिश्चित करने के लिए दबाव बनाना जारी रखेगा ताकि टीके की घरेलू उत्पादन क्षमता को बढ़ावा मिल सके. ब्लिंकन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात करेंगे.

इस यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच व्‍यापार और निवेश बढ़ाने तथा स्‍वास्‍थ्‍य, शिक्षा, डिजिटल क्षेत्र, नवाचार और सुरक्षा संबंधी अवसरों का उपयोग करने पर भी चर्चा होगी। दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग मजबूत करने पर भी विमर्श होने की संभावना है।

SCO के रक्षा मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लेने के लिए ताजिकिस्तान रवाना हुए राजनाथ सिंह, रक्षा सहयोग पर होगी चर्चा

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह मंगलवार दोपहर ताजिकिस्तान की राजधानी दुशांबे के लिए रवाना होंगे. दुशांबे में राजनाथ सिंह शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गेनाइजेशन यानी SCO के रक्षा मंत्रियों की बैठक में शिरकत करेंगे. आपको बता दें कि भारत, चीन और पाकिस्तान भी एससीओ के सदस्य देशों में शामिल है.

वार्षिक बैठक में, एससीओ सदस्य देशों के बीच रक्षा सहयोग के मुद्दों पर चर्चा की जाती है और विचार-विमर्श के बाद एक विज्ञप्ति जारी किए जाने की उम्मीद है। दुशांबे की अपनी यात्रा के दौरान, राजनाथ सिंह के अपने ताजिक समकक्ष कर्नल जनरल शेराली मिर्ज़ो से भी द्विपक्षीय मुद्दों और आपसी हित के अन्य मुद्दों पर चर्चा करने की उम्मीद है।

ताजिकिस्तान इस साल एससीओ की अध्यक्षता कर रहा है और मंत्रिस्तरीय और आधिकारिक स्तर की बैठकों की एक श्रृंखला की मेजबानी कर रहा है।

इस बैठक में पाकिस्तान के रक्षा मंत्री परवेज़ खटक और चीन के रक्षा मंत्री वेई फेंघे भी हिस्सा ले रहे हैं. बैठक के साइडलाइन पर किसी द्विपक्षीय मुलाकात को लेकर अभी पुष्टि नहीं हुई है. हालांकि इस बैठक के दौरान भारत, चीन और पाकिस्तान के रक्षा मंत्री एक ही कमरे में मौजूद रहेंगे.

 

 

अफ़ग़ान: तालिबान को सेना की तरफ से मिला करारा जवाब, चार दिनों में 950 तालिबान आंतकी हुए ढेर

अफगानिस्तान में अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद तालिबान अपने पैर पसार रहा है और अफगान सुरक्षा बल अकेले आतंकियों का सामना कर रहे हैं।

करीब 200 जिलों पर नियंत्रण स्थापित करने वाले तालिबान को अब सेना की तरफ से करारा जवाब मिलना शुरू हो गया है और पिछले चार दिनों में अफगानिस्तान में एक बार फिर से सेना ने तालिबान नियंत्रित जिलों पर फिर से छीनना शुरू कर दिया है ।

500 से ज्यादा चरमपंथी इस दौरान ऑपरेशन में घायल हुए हैं। अफगान सेना और तालिबान के बीच 20 से ज्यादा प्रांतों और नौ शहरों में भारी संघर्ष चल रहा है।

कंधार पर एक बार फिर से सेना अपना नियंत्रण बनाने वाली है और कंधार में ज्यादातर तालिबानी चरमपंथी मारे जा चुके हैं। लेकिन सूत्रों के मुताबिक, निमरोज में चखानसुर जिले का केंद्र एक बार फिर तालिबान के हाथ में आ गया है।

तालिबान नियंत्रित कई जिलों को वापस सेना अपने नियंत्रण में लेने के लिए बड़े स्तर पर अभियान चला रही है, जिसमें अफगान वायु सेना पहली बार एक्शन में नजर आ रही है।

 

संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में हुआ बड़ा खुलासा, अफगानी सेना और तालिबान के बीच आम जनता को हो रहा भारी नुकसान

अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना (US Army) की वापसी के बाद से ही देश के हालात सही नहीं हैं. तालिबान और अफगानी सेना के बीच देश में कब्जे को लेकर जंग जारी है. संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के मुताबिक अफगानी सेना और तालिबान के बीच जारी जंग में अब तक हजारों आम नागरिकों की जान जा चुकी है.

अमेरिका की तरफ से दो दिन पहले ही कहा गया था कि तालिबान ने अफगानिस्‍तान के करीब 50 फीसद इलाकों पर अपना कब्‍जा कर लिया है. वहीं तालिबान ने कुछ दिन पहले मास्‍को में एक प्रेस कांफ्रेंस में बताया था कि उसने देश के 80 फीसद इलाकों पर कब्‍जा कर लिया है.

पिछले वर्ष अमेरिका और तालिबान के बीच अफगानिस्‍तान केा लेकर एक शांति समझौता हुआ था. इस समझौते के तहत अमेरिका को मई 2021 तक अपनी फौज को वापस ले जाना था. लेकिन अमेरिका में सरकार बदलने और जो बाइडन के सत्‍ता में आने के बाद इसमें थोड़ा सा बदलाव किया गया.

नए बदलाव के तहत अमेरिकी और नाटो सेना को अफगानिस्‍तान से पूरी तरह से बाहर जाने की समय सीमा सितंबर 2021 तक बढ़ा दी गई थी. अमेरिका की तरफ से कहा या था कि वो 9/11 से पहले अपनी फौज को यहां से वापस ले जाएगा. इस घोषणा के साथ ही तालिबान ने अफगानिस्‍तान में कब्‍जे को लेकर अपने हमले तेज कर दिए थे.

ब्रिटेन में तेज़ी से फैल रहे Coronavirus के एल्फा वैरिएंट को लेकर रिसर्चर्स ने किया बड़ा खुलासा

लंदन. ब्रिटेन में गत शरद ऋतु के दौरान कोरोना वायरस के ‘एल्फा’ स्वरूप के तेजी से फैलने का एक प्रमुख कारण संक्रमित लोगों का देश के विभिन्न हिस्सों की यात्रा करना था. संबंधित अध्ययन से जुड़े अनुसंधानकर्ताओं में ब्रिटेन की ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के अनुसंधानकर्ता भी शामिल थे.

जब ब्रिटेन में कोरोना वायरस का संक्रमण अपनी चरम पर था, तब प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने लोगों से बेहतरीन जांच व्यवस्था बनाने का वादा किया था। उन्होंने ने संक्रमितों के संपर्क में आए लोगों को भी जल्द से जल्द ढूंढ निकालने की प्रणाली विकसित करने का भरोसा दिलाया था।

इंग्लैंड के पूर्वी शहर साउथेंड-ऑन-सी में रायटर के रिपोर्टर ने भी वाक-इन जांच केंद्र पर कोरोना टेस्ट कराने की कोशिश की। लेकिन उसे सफलता नहीं मिली। उस केंद्र पर लोग स्थानीय समय के अनुसार भोर से ही जमा हुए थे। केंद्र पर लंबी लाइन लगी हुई थी।

उन्होंने उल्लेख किया कि ‘एल्फा’ स्वरूप का विस्फोटक प्रसार वायरस में जैविक परिवर्तन की वजह से ही नहीं, बल्कि संक्रमित लोगों के देश के एक हिस्से से दूसरे हिस्सों की यात्रा करने की वजह से भी फैला..

अध्ययन में कहा गया कि लंदन और ब्रिटेन के दक्षिण-पूर्व के क्षेत्रों से देश के अन्य हिस्सों में लोगों की यात्रा की वजह से वायरस के संबंधित स्वरूप के प्रसार की नई श्रृंखला शुरू हुई जिसमें जनवरी की शुरुआत तक कोई कमी नहीं देखी गई.

भारत के खिलाफ बड़ी साजिश रच रहा पकिस्तान, अफगान में तालिबानी शासन को लेकर कही ये बड़ी बात

पाकिस्तान पर कभी भरोसा नहीं किया जा सकता है, काफी घिसी-पिटी बात हो चुकी है। क्या किसी दुश्मन पर कभी भरोसा किया जा सकता है। कारगिल विजय दिवस के 22वें साल में यह स्पष्ट है कि तत्कालीन जम्मू-कश्मीर राज्य के मुशकोह, द्रास, काकसर और बटालिक सेक्टरों की दुर्लभ ऊंचाइयों में पाकिस्तानी सेना की धूर्तता का उद्देश्य श्रीनगर के साथ भारतीय गलती का फायदा उठाना था।

नरेंद्र मोदी सरकार ने तत्कालीन राज्य को जम्मू और कश्मीर और लद्दाख के दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने और पूर्व जम्मू-कश्मीर राज्य के विशेष दर्जे को निरस्त करने के साथ, दोष-रेखा को लगभग मिटा दिया है। पिछले तीन दशकों से, पाकिस्तान भी भारत के भीतर दरार पैदा करने और समुदायों का ध्रुवीकरण करने के लिए आतंकवाद को एक अन्य हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रहा है।

काबुल में इस्लामाबाद के इरादे मौलिक रूप से भिन्न हैं। इस्लामाबाद जानता है कि जब 1996-2011 के बीच काबुल में अपनी शक्ति के चरम पर था, तब भी तालिबान ने जम्मू-कश्मीर पर एक शब्द भी नहीं कहा।  क्योंकि उनके पास युद्ध के मैदान का अनुभव है।

अफगानिस्तान की वर्तमान स्थिति को लेकर अशरफ गनी और जो बिडेन ने की चर्चा, समर्थन का दिया आश्वासन

अफगानिस्तान से अमेरिकी बलों की वापसी शुरू होने के बाद तालिबान की हिंसा व कब्जा तेजी से बढ़ गया है। पिछले दो महीनों में कुछ प्रमुख सीमावर्ती शहरों सहित 200 से अधिक जिले तालिबान के हाथ में आ गए हैं ।

इस बीच अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने अपने अफगान समकक्ष अशरफ गनी के साथ फोन पर बात की और काबुल के लिए वाशिंगटन के समर्थन की पुष्टि की ।  दोनों नेताओं ने अफगानिस्तान की वर्तमान स्थिति पर चर्चा की और एक स्थायी द्विपक्षीय साझेदारी के लिए अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की।

बाइडेन ने अमेरिकी सेना को अपनी मूल 11 सितंबर की समय सीमा से कुछ दिन पहले 31 अगस्त तक अफगानिस्तान में अपने मिशन को समाप्त करने का आदेश दिया था और पिछले हफ्ते 95 प्रतिशत से अधिक निकासी पूरी हो चुकी है।

अमेरिकी समर्थन जारी रखने पर जोर दिया। व्हाइट हाउस के अनुसार बाइडेन और गनी इस बात पर भी सहमत हुए कि तालिबान का मौजूदा आक्रमण संघर्ष के बातचीत के समझौते का समर्थन करने के आंदोलन के दावे के सीधे विरोधाभास में है।